झुंझुनू. मारीगसर गांव के लोगों ने अवैध खनन का आरोप लगाते हुए झुंझुनू जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और प्रशासन से जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की. ग्रामीणों ने बताया कि प्राचीन भूमि मारीगसर में गैर मुमकिन पहाड़ लंबे समय से यहां के रहने वाले लोगों के पशु चराने के काम रहा है. यह जमीन काश्तकारी अधिनियम में आने से पहले यानी 2012 की जमाबंदी से लेकर 2077 तक राजकीय भूमि चारागाह के रूप में दर्ज है. लेकिन, साल 2016 को उपखंड अधिकारी ने इस भूमि का आवंटन गैरकानूनी रूप से इसी गांव के रहने वाले हनुमान सिंह दर्शन सिंह और अन्य लोगों के नाम कर दिया है, जिन्होंने गैर मुमकिन पहाड़ भूमि में गैरकानूनी तरीके से खनन का काम शुरू कर दिया है.
वहीं, इसी जमीन के पास करीब 500 लोगों की आबादी वाला एक गांव है. गांव के लोग यहां पर अपने अपने पशुओं को चराते हैं, लेकिन खनन कार्य शुरू होने की वजह से गांव के लोग अपने पशु नहीं चरा पा रहे हैं. साथ ही खनन के कारण यहां के लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आने लगे हैं. इसीलिए इस अवैध खनन को रुकवाने के लिए मारीगसर पंचायत और गांव के लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है, अब देखना यह होगा कि सरकार इन पशुधरों की सुध कब लेती है.
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कृषि कानून के विरोध में कलेक्ट्रेट पर चल रहा किसानों का 62 दिन से धरना जारी
वहीं, धरने पर बैठे किसानों ने सर्वसम्मति से तय किया है कि 12 फरवरी को किसान नेता बालूराम का शहादत दिवस पर 12 बजे किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इसमें राष्ट्रीय स्तर और जिला स्तर पर चल रहे किसान आंदोलन पर विचार विमर्श कर आंदोलन को तेज करने की रणनीति तैयार की जाएगी. धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि भाजपा के लोगों को जन आंदोलन की अहमियत का पता नहीं है, इसलिए मोदी सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है.