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विजय दिवस विशेषः झुंझुनू के 147 जवानों ने दी थी शहादत - भारत-पाक युद्ध

भारत-पाक युद्ध 1971 की जीत को लेकर पूरे देश में विजय दिवस मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में झुंझुनू में भी कार्यक्रम हुआ. लोगों ने जवानों की शहादत को सलाम किया. भारत-पाक के युद्ध में झुंझुनू के 147 जवानों ने शहादत दी थी.

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झुंझुनू में मनाया गया विजय दिवस
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Published : Dec 16, 2019, 2:38 PM IST

झुंझुनू. भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के साथ 16 दिसंबर 1971 में हुए युद्ध की जीत के मौके पर विजय दिवस मनाया जा रहा है. भारत-पाक युद्ध में झुंझुनू के भी 147 जांबाजों ने शहादत दी थी. विजय दिवस के मौके पर इन जांबाजों की शहादत को सलाम किया गया.

झुंझुनू में मनाया गया विजय दिवस

युद्ध, हमला, पाकिस्तान, विजय दिवस का नाम आए और उसमें झुंझुनू का जिक्र नहीं आए. ये हो ही नहीं सकता. यहां की मिट्टी से निकले जवानों ने देश की सेना में रहते हुए शहादत और शौर्य की मिसाल पेश की है. बता दें, कि इस जिले के 147 सैनिकों ने शहादत दी है.

लोगों ने बताया, कि आजादी को केवल 24 साल ही हुए थे, देश कबायली हमले के अलावा दो खुले युद्ध झेल चुका था, कि साल 1971 में बांग्लादेश को आजाद करने का जिम्मा उठाना पड़ा. झुंझुनू की हवाओं में अजीब सी सनसनी थी. यहां के सबसे ज्यादा जवान सेना में सेवाएं दे रहे थे, लेकिन लोग युद्ध के लिए अपने बेटों को खुशी-खुशी विदा कर रहे थे.

लोग सैनिकों को फूल मालाएं पहना रहे थे. देश ने युद्ध जीता, लेकिन नुकसान भी हुआ. झुंझुनू ने भी अपने बेटों को खोया. जिले के 147 बेटों ने शहादत देकर माटी का मोल चुकाया था.

यह भी पढे़ं : Special: देश का भविष्य 'अंधेरे' में, आखिर कब तक ये बच्चे चिमनी की रोशनी में करेंगे पढ़ाई

याद करते हैं आज भी वो दिन

विजय दिवस के दिन आज भी जिन लोगों ने सेना में रहते हुए युद्ध में भाग लिया था, वे उन दिनों को याद करते हैं. वे बताते हैं, कि उन्हें लोगों ने बहुत सम्मान दिया. बहुत कम समय में उन्होंने युद्ध जीत लिया था. आज वे लोग ये भी याद करते हैं, कि कैसे उनके साथ पढ़े, साथ में सेना में भर्ती हुए और उसके बाद युद्ध के जलजले ने उनके साथियों को छीन लिया था.

झुंझुनू. भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के साथ 16 दिसंबर 1971 में हुए युद्ध की जीत के मौके पर विजय दिवस मनाया जा रहा है. भारत-पाक युद्ध में झुंझुनू के भी 147 जांबाजों ने शहादत दी थी. विजय दिवस के मौके पर इन जांबाजों की शहादत को सलाम किया गया.

झुंझुनू में मनाया गया विजय दिवस

युद्ध, हमला, पाकिस्तान, विजय दिवस का नाम आए और उसमें झुंझुनू का जिक्र नहीं आए. ये हो ही नहीं सकता. यहां की मिट्टी से निकले जवानों ने देश की सेना में रहते हुए शहादत और शौर्य की मिसाल पेश की है. बता दें, कि इस जिले के 147 सैनिकों ने शहादत दी है.

लोगों ने बताया, कि आजादी को केवल 24 साल ही हुए थे, देश कबायली हमले के अलावा दो खुले युद्ध झेल चुका था, कि साल 1971 में बांग्लादेश को आजाद करने का जिम्मा उठाना पड़ा. झुंझुनू की हवाओं में अजीब सी सनसनी थी. यहां के सबसे ज्यादा जवान सेना में सेवाएं दे रहे थे, लेकिन लोग युद्ध के लिए अपने बेटों को खुशी-खुशी विदा कर रहे थे.

लोग सैनिकों को फूल मालाएं पहना रहे थे. देश ने युद्ध जीता, लेकिन नुकसान भी हुआ. झुंझुनू ने भी अपने बेटों को खोया. जिले के 147 बेटों ने शहादत देकर माटी का मोल चुकाया था.

यह भी पढे़ं : Special: देश का भविष्य 'अंधेरे' में, आखिर कब तक ये बच्चे चिमनी की रोशनी में करेंगे पढ़ाई

याद करते हैं आज भी वो दिन

विजय दिवस के दिन आज भी जिन लोगों ने सेना में रहते हुए युद्ध में भाग लिया था, वे उन दिनों को याद करते हैं. वे बताते हैं, कि उन्हें लोगों ने बहुत सम्मान दिया. बहुत कम समय में उन्होंने युद्ध जीत लिया था. आज वे लोग ये भी याद करते हैं, कि कैसे उनके साथ पढ़े, साथ में सेना में भर्ती हुए और उसके बाद युद्ध के जलजले ने उनके साथियों को छीन लिया था.

Intro:युद्ध, हमला, पाकिस्तान, विजय दिवस आदि का नाम आए और उसमें झुंझुनू का जिक्र नहीं आए यह हो ही नहीं सकता। यहां की मिट्टी से निकले जवानों ने देश की सेना में रहते हुए शहादत और शौर्य की मिसाल पेश की है विजय दिवस पर हम उनको याद करते हैं कि इस जिले के 147 सैनिकों ने शहादत देकर यहां की माटी का नाम बढ़ाया।


Body:झुंझुनू। आजादी को केवल करीब 24 साल ही हुए थे, देश कबायली हमले के अलावा दो खुले युद्ध झेल चुका था कि भारत-पाक के बीच 1971 में बांग्लादेश को आजाद करने का जिम्मा उठाना पड़ा। लोग याद करते हैं कि झुंझुनू की हवाओं में अजीब सी सनसनी थी यहां के सर्वाधिक जवान सेना में सेवाएं दे रहे थे लेकिन अदम्य साहस का धनी अपने बेटों को खुशी-खुशी विदा कर रहा था लोग सैनिकों को फूल मालाएं पहना रहे थे। देश ने युद्ध जीता लेकिन देश में सर्वाधिक नुकसान और गर्व है दोनों झुंझुनू को मिले, जिले के 147 बेटों ने शहादत देकर माटी का मोल चुकाया था।

याद करते हैं आज भी वो दिन

इसलिए विजय दिवस के दिन आज भी जिन लोगों ने सेना में रहते हुए युद्ध में भाग लिया था उन दिनों को याद करते ही उनकी भुजाएं फड़कने लगती है। वे बताते हैं कि जैसे लोग उन्हें सम्मान देते थे कैसे उन्होंने कितने कम समय में युद्ध जीत लिया था आज वे लोग यह भी याद करते हैं कि कैसे उनके साथ पढ़े, साथ में सेना में भर्ती और उसके बाद युद्ध के जलजले ने उनके साथियों को छीन लिया था।

सूबेदार जयराम, 1971 के युद्ध में भारतीय सेना में शामिल

कमांडर परवेज, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी

इस माइक में आवाज नहीं आने की वजह से बाइट राजस्थान डेस्क पर मेल से भेजी गई है।


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