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Special: उर्वरकों ने घटाई माटी की ताकत, किसानों के लिए चिंता का विषय - agriculture news

खेतों में अधिक फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो गई है. पढ़िए- किस कारण हो रही जिले में मिट्टी की सेहत खराब....

झुंझनू न्यूज, राजस्थान न्यूज, jhunjhunu news, agriculture news
मिट्टी के उर्वरक क्षमता हो रही कम
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Published : Feb 2, 2020, 1:27 PM IST

Updated : Feb 2, 2020, 4:08 PM IST

झुंझुनू. जिले में अंधाधुंध हो रहे उर्वरकों के प्रयोग ने मिट्टी की सेहत बिगाड़ दी है. जिससे हर साल मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है. पिछले 10 साल में कृषि विभाग ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके अनुसार मिट्टी की उर्वरकता कम होती जा रही है. हालांकि, किसानों को ज्ञान नहीं होने की वजह से अभी समझ नहीं आ रहा है कि उनके खेतों में अब उपज कम क्यों हो गई है.

मिट्टी के उर्वरक क्षमता हो रही कम

मिट्टी की सेहत खराब

साल 2017-18 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड शुरू किया था. इसके बाद जिले में करीब 2 लाख से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए. इसमें कई चौंकाने वाली बात सामने आई है. बता दें कि 2 लाख कार्डों का अध्ययन करने के बाद कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने ये माना है कि जिले की मिट्टी में जिंक और आयरन तेजी से घट रहा है.

वहीं जिंक की कमी पूरी करने के लिए कृषि विभाग ने किसानों को जिंक सल्फेट डालने और आयरन की कमी पूरी करने के लिए फेरस सल्फेट डालने की सलाह दी है. दोनों पर ही किसानों को 50 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है.

यह भी पढ़ें. Special : 'स्पर्श' के माध्यम से बच्चों को जागरूक कर रहे हैं राजस्थान के IAS नवीन जैन

किसानों को दोनों सूक्ष्म तत्व क्रय-विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. लेकिन किसान अब भी अपनी पुरानी उर्वरकों के सहारे उपज लेना चाहते हैं लेकिन दोनों तत्व की कमी से यह नहीं हो पा रहा है. ऐसे में मृदा कार्ड बनाने के साथ-साथ किसानों को इस बारे में शिक्षित भी करना होगा.

जमीन में यह तत्व जरूरी

कृषि भूमि में तीन तरह के तत्व जरूरी होते हैं पहले मुख्य पोषक तत्व इनको NPK के नाम से जाना जाता है. इनमें नाइट्रोजन, फॅास्फोरस और पोटाश होता है. यह तीनों तत्वों में ज्यादा कमी नहीं आई है. द्वितीय पोषक तत्व में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य होते हैं. इनके अलावा तीसरे सूक्ष्म तत्व होते हैं, सबसे ज्यादा अंतर इन्हीं तत्वों का आया है.

यह भी पढ़ें. Special: 'भामाशाहों की नगरी' में गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही शोभा मंडल की मुहिम, मुफ्त में आंखों का इलाज

जिले की मिट्टी में जिंक और आयरन की कमी आई है. वहीं फर्टीलाइजर के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत कमजोर हो रही है. एक तो जिले में पानी वैसे ही कम होता जा रहा है. यहां केवल मलसीसर पंचायत समिति को छोड़कर जिले के सभी क्षेत्र डार्क जोन में हैं. अब, ऐसे में यदि मिट्टी की ताकत भी कमजोर हो गई है तो निश्चित ही आने वाले समय में किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

यहां पर पैदावार धीरे-धीरे निश्चित ही कम होती जाएगी. ऐसे में मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होना चिंता का विषय है. अब प्रशासन को मृदा कार्ड बनाने के साथ-साथ किसानों को उर्वरकों के प्रयोग के बारे में शिक्षित भी करना होगा.

झुंझुनू. जिले में अंधाधुंध हो रहे उर्वरकों के प्रयोग ने मिट्टी की सेहत बिगाड़ दी है. जिससे हर साल मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है. पिछले 10 साल में कृषि विभाग ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके अनुसार मिट्टी की उर्वरकता कम होती जा रही है. हालांकि, किसानों को ज्ञान नहीं होने की वजह से अभी समझ नहीं आ रहा है कि उनके खेतों में अब उपज कम क्यों हो गई है.

मिट्टी के उर्वरक क्षमता हो रही कम

मिट्टी की सेहत खराब

साल 2017-18 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड शुरू किया था. इसके बाद जिले में करीब 2 लाख से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए. इसमें कई चौंकाने वाली बात सामने आई है. बता दें कि 2 लाख कार्डों का अध्ययन करने के बाद कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने ये माना है कि जिले की मिट्टी में जिंक और आयरन तेजी से घट रहा है.

वहीं जिंक की कमी पूरी करने के लिए कृषि विभाग ने किसानों को जिंक सल्फेट डालने और आयरन की कमी पूरी करने के लिए फेरस सल्फेट डालने की सलाह दी है. दोनों पर ही किसानों को 50 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है.

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किसानों को दोनों सूक्ष्म तत्व क्रय-विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. लेकिन किसान अब भी अपनी पुरानी उर्वरकों के सहारे उपज लेना चाहते हैं लेकिन दोनों तत्व की कमी से यह नहीं हो पा रहा है. ऐसे में मृदा कार्ड बनाने के साथ-साथ किसानों को इस बारे में शिक्षित भी करना होगा.

जमीन में यह तत्व जरूरी

कृषि भूमि में तीन तरह के तत्व जरूरी होते हैं पहले मुख्य पोषक तत्व इनको NPK के नाम से जाना जाता है. इनमें नाइट्रोजन, फॅास्फोरस और पोटाश होता है. यह तीनों तत्वों में ज्यादा कमी नहीं आई है. द्वितीय पोषक तत्व में कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य होते हैं. इनके अलावा तीसरे सूक्ष्म तत्व होते हैं, सबसे ज्यादा अंतर इन्हीं तत्वों का आया है.

यह भी पढ़ें. Special: 'भामाशाहों की नगरी' में गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही शोभा मंडल की मुहिम, मुफ्त में आंखों का इलाज

जिले की मिट्टी में जिंक और आयरन की कमी आई है. वहीं फर्टीलाइजर के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत कमजोर हो रही है. एक तो जिले में पानी वैसे ही कम होता जा रहा है. यहां केवल मलसीसर पंचायत समिति को छोड़कर जिले के सभी क्षेत्र डार्क जोन में हैं. अब, ऐसे में यदि मिट्टी की ताकत भी कमजोर हो गई है तो निश्चित ही आने वाले समय में किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

यहां पर पैदावार धीरे-धीरे निश्चित ही कम होती जाएगी. ऐसे में मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होना चिंता का विषय है. अब प्रशासन को मृदा कार्ड बनाने के साथ-साथ किसानों को उर्वरकों के प्रयोग के बारे में शिक्षित भी करना होगा.

Intro:झुंझुनू। जिले में अंधाधुंध हो रहे उर्वरकों के प्रयोग ने हमारी माटी की सेहत बिगाड़ दी है ,उसकी ताकत हर वर्ष कमजोर हो रही है। पिछले 10 वर्ष में कृषि विभाग ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसके अनुसार माटी की ताकत कमजोर होने से उत्पादक कम हो रही है। हालांकि किसानों को ज्ञान नहीं होने की वजह से अभी समझ नहीं आ रहा है कि उनके खेतों में अब उपज कम क्यों हो गई है।




Body:यह आया है सामने
वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड शुरू किया था । इसके बाद झुंझुनू जिले में करीब 2 लाख से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए। इसमें कई चौंकाने वाली बात सामने आई है 2 लाख कार्डों का अध्ययन करने के बाद कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने यह माना है कि जिले की माटी में जिंक व आयरन तेजी से घट रहा है।जिले में सबसे ज्यादा कमी जिंक व आयरन की आई है जिंक की कमी पूरी करने के लिए कृषि विभाग ने जिंक सल्फेट डालने तथा आयरन की कमी पूरी करने के लिए फेरस सल्फेट डालने की सलाह दी है। दोनों पर ही 50 फ़ीसदी अनुदान किसानों को दिया जा रहा है किसानों को दोनों सूक्ष्म तत्व क्रय विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। लेकिन किसान अब भी अपनी पुरानी उर्वरकों के सहारे उपज लेना चाहते हैं लेकिन दोनों तत्व की कमी से यह नहीं हो पा रहा है। ऐसे में मृदा काड बनाने के साथ-साथ किसानों को इस बारे में शिक्षित भी करना होगा।

जमीन में यह तत्व जरूरी
कृषि भूमि में तीन तरह के तत्व जरूरी होते हैं पहले मुख्य पोषक तत्व इनको एनपीके के नाम से जाना जाता है इन में नाइट्रोजन फास्फोरस व पोटाश होता है यह तीनों तत्वों में ज्यादा कमी नहीं आई है। द्वितीय पोषक तत्व में कैल्शियम मैग्नीशियम व अन्य होते हैं इनके अलावा तीसरे सूक्ष्म तत्व होते हैं, सबसे ज्यादा अंतर इन्हीं तत्वों का आया है।

कमजोर सेहत
जिले में करीब दो लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए हैं। उनकी जांच में सामने आया है कि जिले की मिट्टी में जिंक व आयरन की कमी आई है वहीं उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत कमजोर हो रही है। एक तो झुंझुनू जिले में पानी वैसे ही कम होता जा रहा है और केवल मलसीसर पंचायत समिति को छोड़कर जिले के सभी क्षेत्र डार्क जोन में है और अब ऐसे में यदि मिट्टी की ताकत भी कमजोर हो गई है तो निश्चित ही आने वाले समय में किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा और यहां पर पैदावार धीरे-धीरे निश्चिती कम होती जाएगी।



बाइट वन विजयपाल कस्वा सहायक निदेशक कृषि विभाग

बाइट टू श्रीराम बड़जात्या किसान


Conclusion:
Last Updated : Feb 2, 2020, 4:08 PM IST
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