झुंझुनू. लॉकडाउन के कारण बन्द हो चुके महात्मा गांधी (मनरेगा) सहित ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं के काम वापस शुरू कर दिए गए हैं. जिले में लॉकडाउन से पहले मनरेगा में 20 हजार मजदूर काम कर रहे थे और ऐसे में वापस लक्ष्य रखा गया है कि कम से कम इतने लोगों को रोजगार दिया जाए. वहीं लॉकडाउन के दौरान भी फसल कटाई के कार्य पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं था और इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को फसल कटाई में मजदूरी मिल रही थी, लेकिन अब फसल कटाई का कार्य पूरा हो चुका है और ऐसे में मनरेगा का कार्य नहीं मिलने पर गरीब लोगों को मजदूरी नहीं मिल पाएगी. ऐसे में जिले की 231 ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य शुरू कर दिया गया है.
काम भी नहीं मांग रहे थे मजदूर
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी गाईडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान भी ग्रामीण स्वच्छता, सिंचाई और खेती से सम्बंधित कार्यों पर सोशल डिस्टेन्स को ध्यान में रखते हुए श्रमिकों को लगाया जा सकता है. जिले में लॉकडाउन से पहले मार्च के प्रथम पखवाड़े में नरेगा में 20 हजार से ज्यादा श्रमिक नियोजित थे, परन्तु लॉकडाउन के कारण अप्रैल के प्रथम पखवाड़े में काम मांगने वाले लोगों की संख्या एक हजार से भी कम हो गई थी.
भारत सरकार की गाइडलाइंस और उपमुख्यमंत्री द्वारा शुक्रवार को विडियो कॉन्फ्रेंस में दिए गए निर्देशों के बाद जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट ने सभी ग्राम पंचायतों को अनिवार्य रूप से श्रमिकों को काम देने के निर्देश दिए हैं. जारी निर्देशों के तहत व्यक्तिगत कामों पर अलग-अलग जगह पर श्रमिक लगाए जाए और प्रत्येक व्यक्ति के कार्य की अलग माप की जाएगी.
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उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 1 अप्रैल से नरेगा श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 199 से बढ़ाकर 220 रुपए कर दी है. नरेगा में मजदूरी और सामग्री पर खर्च करने की पंचायतों पर कोई सीमा नहीं है. अन्य योजनाओं में निर्धारित बजट उपलब्ध नहीं होने पर पंचायतों द्वारा विकास कार्य करवाने के लिए नरेगा ही एक मात्र विकल्प बचा है. सीईओ जाट के मुताबिक अगले एक माह में वृक्षारोपण, मेड़बंदी, टांका निर्माण, पशुशेड, चारागाह विकास आदि कार्यों के लिए जिले में एक हजार नए काम स्वीकृत किए जाएंगे, जिन पर 100 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी.