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देवउठनी एकादशी से बजेगी शहनाइयां, भगवान शालिग्राम और तुलसी का होगा विवाह

12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ विवाह के लिए मुहूर्त शुरू हो जाएंगे.

देवउठनी एकादशी
देवउठनी एकादशी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2024, 9:54 AM IST

सीकर : चार माह की निंद्रा के बाद भगवान विष्णु देवउठनी को जागेंगे. देवउठनी एकादशी का पर्व 12 नवंबर को रवि योग, हर्षण योग, सर्वार्थ सिद्धी योग में मनाया जाएगा. इस दिन गोधूली बेला में घंटा, शंख की ध्वनि के बीच भगवान विष्णु को जगाया जाएगा. साथ ही तुलसी चौरा में गन्ने का मंडप सजाकर सालिग्राम भगवान और माता तुलसी का विवाह कराया जाएगा. साथ ही मांगलिक कार्य, गृह प्रवेश, विवाह के लिए मुहूर्त शुरू हो जाएंगे.

पंडित खेताराम शर्मा शेखीसर ने बताया कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से 4 माह के लिए भगवान विष्णु निंद्रा में चले जाते हैं. कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देवउठनी एकादशी के दिन भगवान नींद से जागते हैं, इसलिए मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है. इस साल 11 नवंबर को शाम 6.46 बजे से एकादशी तिथि प्रारंभ हो रही है. 12 नवंबर को शाम 4.45 बजे तक एकादशी रहेगी. उदय तिथि में ही पर्व मनाने का विधान है, इसलिए एकादशी का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा.

पढ़ें. देवउठनी से शुरू होगा विवाह सीजन, अगले साल 2025 दिसम्बर तक 86 सावों में होंगी हजारों शादियां

विवाह के लिए शुभ मुहूर्तः 12 नवंबर देव उठनी एकादशी के बाद से विवाह के लिए कई शुभ मूहूर्त है. नवंबर और दिसंबर में शुभ मुहूर्त है. इसके बाद धनुर्मास शुरू हो जाएगा. इस माह में विवाह समेत जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर फिर से ब्रेक लग जाएगा. पश्चात 2025 में 16 जनवरी से विवाह सहित मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

विष्णु ने वृंदा को दिया था तुलसी बनने का वरदानः महंत मनोहर शरण दास ने बताया कि देवउठनी एकादशी (12 नवंबर) से विवाह व गृह प्रवेश सहित अन्य कई मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी. साथ ही इस दिन मंदिरों में भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह भी होगा. कई जगह भगवान शालिग्राम की बारात निकलेगी. आयोजन की रस्में सोमवार से शुरू होंगी. इसमें शादी-ब्याह में होने वाले प्रमुख रीति रिवाज और रस्मों को भी निभाया जाएगा. सोमवार को भगवान गणेश को निमंत्रण देने के साथ ही तुलसी शालिग्राम की शादी की रस्मों की शुरुआत होगी. 12 नवंबर को फेरों के बाद तुलसी माता की विदाई की जाएगी. भगवान शालिग्राम की निकासी होगी. मेहंदी, महिला संगीत, हल्दी, चाक व पाणिग्रहण संस्कार के साथ ही अन्य आयोजन होंगे.

सीकर : चार माह की निंद्रा के बाद भगवान विष्णु देवउठनी को जागेंगे. देवउठनी एकादशी का पर्व 12 नवंबर को रवि योग, हर्षण योग, सर्वार्थ सिद्धी योग में मनाया जाएगा. इस दिन गोधूली बेला में घंटा, शंख की ध्वनि के बीच भगवान विष्णु को जगाया जाएगा. साथ ही तुलसी चौरा में गन्ने का मंडप सजाकर सालिग्राम भगवान और माता तुलसी का विवाह कराया जाएगा. साथ ही मांगलिक कार्य, गृह प्रवेश, विवाह के लिए मुहूर्त शुरू हो जाएंगे.

पंडित खेताराम शर्मा शेखीसर ने बताया कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से 4 माह के लिए भगवान विष्णु निंद्रा में चले जाते हैं. कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देवउठनी एकादशी के दिन भगवान नींद से जागते हैं, इसलिए मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है. इस साल 11 नवंबर को शाम 6.46 बजे से एकादशी तिथि प्रारंभ हो रही है. 12 नवंबर को शाम 4.45 बजे तक एकादशी रहेगी. उदय तिथि में ही पर्व मनाने का विधान है, इसलिए एकादशी का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा.

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विवाह के लिए शुभ मुहूर्तः 12 नवंबर देव उठनी एकादशी के बाद से विवाह के लिए कई शुभ मूहूर्त है. नवंबर और दिसंबर में शुभ मुहूर्त है. इसके बाद धनुर्मास शुरू हो जाएगा. इस माह में विवाह समेत जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर फिर से ब्रेक लग जाएगा. पश्चात 2025 में 16 जनवरी से विवाह सहित मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

विष्णु ने वृंदा को दिया था तुलसी बनने का वरदानः महंत मनोहर शरण दास ने बताया कि देवउठनी एकादशी (12 नवंबर) से विवाह व गृह प्रवेश सहित अन्य कई मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी. साथ ही इस दिन मंदिरों में भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह भी होगा. कई जगह भगवान शालिग्राम की बारात निकलेगी. आयोजन की रस्में सोमवार से शुरू होंगी. इसमें शादी-ब्याह में होने वाले प्रमुख रीति रिवाज और रस्मों को भी निभाया जाएगा. सोमवार को भगवान गणेश को निमंत्रण देने के साथ ही तुलसी शालिग्राम की शादी की रस्मों की शुरुआत होगी. 12 नवंबर को फेरों के बाद तुलसी माता की विदाई की जाएगी. भगवान शालिग्राम की निकासी होगी. मेहंदी, महिला संगीत, हल्दी, चाक व पाणिग्रहण संस्कार के साथ ही अन्य आयोजन होंगे.

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