झुंझुनू. जिले के एक सरकारी स्कूल में छात्राओं के स्वास्थ्य की जांच की गई. स्कूल में आठवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक की छात्राएं अध्ययनरत हैं. जिनकी उम्र बढ़ने के बाद जो या तो पहली बार इस दौर से गुजर रही हैं या यह दौर आने के बाद परेशानी में हैं. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर स्मिता तोमर ने बताया कि आज भी ग्रामीण क्षेत्र में कई लड़कियां और महिलाएं माहवारी के दौरान सेनेटरी पैड की जगह परंपरागत रूप से बेकार कपड़े का यूज करती हैं.
डॉक्टर स्मिता तोमर ने कहा कि इस तरह कपड़ा यूज करने से कई स्त्रियों में कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही है, त्वचा के रोग हो रहे हैं. यही नहीं उन्होंने कहा कि जब छात्राओं से बात की गई तो इसके बारे में बड़ी छात्राओं से सुनकर छोटी छात्राएं भी भयभीत हो गई. इस दौरान उनका चिकित्सक से एक ही सवाल रहा कि ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए.
ज्यादा मोबाइल यूज करने से होती हैं आंखें खराब
इसके बाद छात्राएं नेत्र चिकित्सक सारिक अग्रवाल से मिली. जहां उन्होंने आंखों से पानी आने की समस्या के बारे में बात की. डॉक्टर ने कहा कि इसका एक मात्र कारण कई घंटों तक मोबाइल का इस्तेमाल करना भी है. डॉक्टर सारिका ने बताया कि यह थोड़ी सुकून की बात है कि गांव का खान-पान थोड़ा ठीक है और इसलिए आंखों में पानी ही आ रहा है, लेकिन यही स्थिति यदि बनी रहे तो आगे जरूर समस्या बढ़ सकती है.
वहीं स्कूल की प्राचार्य ने कहा कि वह छात्राओं की काउंसलिंग कर लेती हैं और कई बार वह छात्राओं का चेहरा देख कर भी समझ लेती हैं कि उन्हें क्या चाहिए. उन्होंने बताया कि नियम तो यह भी है कि यहां पर दो बॉक्स लगे हुए होने चाहिए. जिसमें एक बॉक्स में छात्राएं बिना झिझक के सेनेटरी पैड प्राप्त कर सकें और दूसरे बॉक्स से यूज्ड हुए पैड डाल सकें. उन्होंने कहा कि जल्द ही यहां भी दोनों बॉक्स लगवाए जाएंगे.
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एक तरफ जहां देश स्वस्थ्य और फिट भारत की कल्पना कर रहा है और सरकार की ओर से तरह-तरह के हेल्थ प्रोग्राम चलाए जा रहे है. ऐसे में आज भी स्त्री रोगों के लिए खुलकर बात नहीं की जाती है. महिलाएं आज भी लाज में रहकर अपनी परेशानियों को बता नहीं पा रही है. ऐसे में समाज और सरकार को मिलकर महिलाओं को जागरुक करने की जरूरत है.