झुंझुनू। कहते हैं कलाकार मनमौजी होता है, उसका ना कोई देश होता है, और ना कोई भेष. इटली, फ्रांस और स्विट्जरलैंड से आई 4 युवतियां इन दिनों शेखावाटी में सभी को अपने काम से प्रभावित कर रही हैं. हर कोई इन्हें देखकर हैरान हो रहा है. खास बात ये है कि ये सभी यहां अपने स्वार्थ से नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को सहेजने के लिए रुकी हुई हैं.
चारों युवतियां इन दिनों शेखावाटी की हवेलियों पर चित्रित भित्ति चित्रों को बचाने और उनकी चमक फिर से लौटाने का काम कर रही हैं. गौरतलब है कि मंडावा की हवेलियां अपने भित्ति चित्रों की वजह से एक खास पहचान रखती है. हालांकि समय के साथ इनकी चमक काफी फीकी हो गई है.
रसायन का उपयोग नहीं....
ये युवतियां बिना किसी रसायनिक उपयोग के इन भित्ति चित्रों को अपने पूर्व स्वरुप में लौटाने का काम कर रही हैं. इटली की सफायर, फ्रांस की मोरीचय और स्विटजरलैंड की जुआन व अरीता ने शेखावाटी की हवेलियों को संवारने को ही अपना पैशन बना लिया है. ये सभी हर साल भारत आती हैं, और लगातार दो महीने किसी न किसी हेरिटेज सिटी में भित्ति चित्रों को संवारने का काम करती हैं.
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फिलहाल ये सभी गुलाबराय लडिया हवेली के भित्ति चित्रों पर काम कर रही हैं. इन्हीं की मेहनत का नतीजा है कि धूमिल हो रहे यहां के दुर्लभ चित्रों की चमक एक बार फिर से अपने पूर्व स्वरूप में लौटने लगी है. किसी जमाने में इन चित्रों को परंपरागत रंगों, चूने आदि की मदद से बनाया गया था. इस काम को करने वाले कलाकार अब काफी कम रह गए हैं. लगातार धूप और बारिश के थपेड़ों ने इन चित्रों की चमक को भी छीन लिया है.
लाजवाब है यहां की पेंटिंग....
हवेलियों में बने भित्ति चित्र लाजवाब हैं. इनमें यहां की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. इसके अलावा देवी-देवताओं के विभिन्न स्वरूप लोगों को अपनी ओर सहज ही आकर्षित करते हैं. ये चारों विदेशी युवतियां इससे पहले फतेहपुर की लादेन हवेली में भी भित्ति चित्रों को नया रूप दे चुकी हैं.
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क्या होते हैं भित्ति चित्र....
भित्ति चित्र का अर्थ है ऐसा चित्र जो दीवार पर बनाया गया हो. इनकी शुरुआत नव प्रस्तर मानव के उन प्रयासों के साथ हुई जब उसने गुफ़ाओं की दीवारों पर प्राकृतिक रंगों से अपने जीवन से जुड़े चित्र बनाए.