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SPECIAL: आपने कहीं नहीं देखी होगी ऐसी गौशाला, जहां गायों के लिए लगे हुए हैं AC और Shower

राजस्थान के झुंझुनू जिले में देखने के लिए बहुत से पर्यटक और धार्मिक स्थल हैं. यहां का ऐतिहासिक खेतड़ी महल पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है. यहां रानीसती का प्रसिद्ध मंदिर है, तो कमरुद्दीन शाह की दरगाह भी है. इसके अलावा इस जिले में एक ऐसी गौशाला भी है. जिसे देखकर कोई यह नहीं कहेगा कि ये गायों के रहने के लिए बनाई गई है. गर्मी से बचाने के लिए एसी, नहाने के लिए शावर और ना जाने कितनी सारी सुविधाएं गायों के लिए इस गौशाला में बनाई गई हैं. देखें यह रिपोर्ट

झुंझुनू की अनूठी गौशाला,  Jhunjhunu unique cowshed
झुंझुनू की अनूठी गौशाला
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Published : Aug 29, 2020, 3:05 PM IST

झुंझुनू. प्रदेश के झुंझुनू जिले में देश की यह पहली ऐसी गौशाला है जहां गायों के नहाने के लिए शावर स्ट्रीट रहने के लिए स्थान पक्के स्थान बने हुए हैं. इतना ही नहीं यहां हर एक गाय के लिए अलग कमरा और पूरी गौशाला में सेंट्रलाइज कूलिंग सिस्टम यानी एसी लगे हुए हैं. जिसकी निगरानी करने के लिए सीसीटीवी भी लगाया गया है. वहीं अगर कोई गाय बीमार भी हो जाए, तो इसका भी इंतजाम इस गौशाला में है. यहां सर्व सुविधा युक्त जानवरों का एक अस्पताल भी है.

झुंझुनू की अनूठी गौशाला

गायों के लिए हर तरह की सुख सुविधा इस गौशाला में है. इतना खर्च करने के बाद भी यह गौशाला हर साल फायदे में रहती है और करीब 4 करोड़ रुपए के आसपास राजस्व एकत्रित करती है. यह देश भर की गौशालाओं के लिए बड़ा उदाहरण है कि गायों की पूरी सेवा करने के बाद भी उनको पालना घाटे का सौदा नहीं है.

करीब 117 वर्ष पुरानी है यह गौशाला

117 साल पुरानी गोपाल गौशाला अपने आप में अनूठी है. देश की यह पहली ऐसी गौशाला है, जहां गायों के नहाने के लिए शावर स्ट्रीट लगाया गया है. इसके एक छोर में गाय घुसती हैं और नहाती हुई दूसरी तरफ निकल जाती है. गौशाला कैंपस में दिनभर भजनों की धुन बजती रहती है. गायों के रहने के स्थान पक्के हैं. हर दिन में दो बार प्रेशर युक्त पानी से इनकी सफाई होती है. रोजाना गायों का गोबर गौशाला के खेतों में पहुंचा दिया जाता है.

पढ़ें - SPECIAL: गायों का 'स्वीट होम' है मारोठ की गोशाला, चारा-पानी और बेहतर इलाज की भी है व्यवस्था

गायों को गर्मी से बचाने के लिए पूरी गौशाला में सेंट्रलाइज कूलिंग सिस्टम लगा हुआ है. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं. देश की किसी भी कोने में बैठकर वेबसाइट के जरिए गौशाला की गतिविधियां ऑनलाइन देखी जा सकती हैं. गौशाला में पूजा-अर्चना के लिए नंदी पूजा ग्रह और गोवर्धन परिक्रमा स्थल भी बने हुए हैं. यहां वर्तमान में करीब 1100 गाय हैं. इस गौशाला की एक और खासियत यह है कि इसमें 31 फाउंडिग मेंबर्स हैं. जिन्होंने इस गौशाला की स्थापना के दौरान 1 लाख रुपए की प्रारंभिक पूंजी दी थी.

झुंझुनू की अनूठी गौशाला,  Jhunjhunu unique cowshed
गायों के लिए बनाई गई है पक्की जमीन

व्यापारी देते हैं गौशाला के लिए दान

झुंझुनू के व्यापारियों का गौशाला को बड़ा सहयोग मिलता है और वे अच्छा खासा दान गौशाला को देते हैं. पदाधिकारियों मुताबिक भविष्य में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की भी योजना है और गायों के अंतिम संस्कार के लिए विद्युत चलित मशीन भी लगाया जाएगा. साथ ही बारिश का पानी एकत्रित करने के लिए पांच लाख लीटर क्षमता का वाटर टैंक बनाया जाएगा.गौशाला को पर्यटन विभाग से जोड़ने की भी कोशिश की जा रही है.

पढ़ें- SPECIAL: मारोठ में है 98 साल पुरानी बकरशाला, यहां रहते हैं भैरव बाबा के 'अमर' बकरे

गायों के लिए खरीदा जाता है 2 करोड़ का चारा

गायों के लिए यहां पर कई तरह के चारे खरीदें जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस चारे की कीमत करीब 2 करोड़ से भी ज्यादा होती है. इसमें से 1.10 करोड़ का राजस्व सिर्फ दूध बेचने और खाद से आता है. इसके साथ ही केंद्र सरकार से इस गौशला को 83 लाख रुपए का अनुदान मिलता है. गौशाला में हर साल गायों का नया घर बनाने के लिए 20 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं. गोपाल गौशाला के अधिकारी बताते हैं कि इस साल बनाए गए गायों के घर पिछली बार से ज्यादा बड़े हैं.

झुंझुनू. प्रदेश के झुंझुनू जिले में देश की यह पहली ऐसी गौशाला है जहां गायों के नहाने के लिए शावर स्ट्रीट रहने के लिए स्थान पक्के स्थान बने हुए हैं. इतना ही नहीं यहां हर एक गाय के लिए अलग कमरा और पूरी गौशाला में सेंट्रलाइज कूलिंग सिस्टम यानी एसी लगे हुए हैं. जिसकी निगरानी करने के लिए सीसीटीवी भी लगाया गया है. वहीं अगर कोई गाय बीमार भी हो जाए, तो इसका भी इंतजाम इस गौशाला में है. यहां सर्व सुविधा युक्त जानवरों का एक अस्पताल भी है.

झुंझुनू की अनूठी गौशाला

गायों के लिए हर तरह की सुख सुविधा इस गौशाला में है. इतना खर्च करने के बाद भी यह गौशाला हर साल फायदे में रहती है और करीब 4 करोड़ रुपए के आसपास राजस्व एकत्रित करती है. यह देश भर की गौशालाओं के लिए बड़ा उदाहरण है कि गायों की पूरी सेवा करने के बाद भी उनको पालना घाटे का सौदा नहीं है.

करीब 117 वर्ष पुरानी है यह गौशाला

117 साल पुरानी गोपाल गौशाला अपने आप में अनूठी है. देश की यह पहली ऐसी गौशाला है, जहां गायों के नहाने के लिए शावर स्ट्रीट लगाया गया है. इसके एक छोर में गाय घुसती हैं और नहाती हुई दूसरी तरफ निकल जाती है. गौशाला कैंपस में दिनभर भजनों की धुन बजती रहती है. गायों के रहने के स्थान पक्के हैं. हर दिन में दो बार प्रेशर युक्त पानी से इनकी सफाई होती है. रोजाना गायों का गोबर गौशाला के खेतों में पहुंचा दिया जाता है.

पढ़ें - SPECIAL: गायों का 'स्वीट होम' है मारोठ की गोशाला, चारा-पानी और बेहतर इलाज की भी है व्यवस्था

गायों को गर्मी से बचाने के लिए पूरी गौशाला में सेंट्रलाइज कूलिंग सिस्टम लगा हुआ है. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं. देश की किसी भी कोने में बैठकर वेबसाइट के जरिए गौशाला की गतिविधियां ऑनलाइन देखी जा सकती हैं. गौशाला में पूजा-अर्चना के लिए नंदी पूजा ग्रह और गोवर्धन परिक्रमा स्थल भी बने हुए हैं. यहां वर्तमान में करीब 1100 गाय हैं. इस गौशाला की एक और खासियत यह है कि इसमें 31 फाउंडिग मेंबर्स हैं. जिन्होंने इस गौशाला की स्थापना के दौरान 1 लाख रुपए की प्रारंभिक पूंजी दी थी.

झुंझुनू की अनूठी गौशाला,  Jhunjhunu unique cowshed
गायों के लिए बनाई गई है पक्की जमीन

व्यापारी देते हैं गौशाला के लिए दान

झुंझुनू के व्यापारियों का गौशाला को बड़ा सहयोग मिलता है और वे अच्छा खासा दान गौशाला को देते हैं. पदाधिकारियों मुताबिक भविष्य में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की भी योजना है और गायों के अंतिम संस्कार के लिए विद्युत चलित मशीन भी लगाया जाएगा. साथ ही बारिश का पानी एकत्रित करने के लिए पांच लाख लीटर क्षमता का वाटर टैंक बनाया जाएगा.गौशाला को पर्यटन विभाग से जोड़ने की भी कोशिश की जा रही है.

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गायों के लिए खरीदा जाता है 2 करोड़ का चारा

गायों के लिए यहां पर कई तरह के चारे खरीदें जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस चारे की कीमत करीब 2 करोड़ से भी ज्यादा होती है. इसमें से 1.10 करोड़ का राजस्व सिर्फ दूध बेचने और खाद से आता है. इसके साथ ही केंद्र सरकार से इस गौशला को 83 लाख रुपए का अनुदान मिलता है. गौशाला में हर साल गायों का नया घर बनाने के लिए 20 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं. गोपाल गौशाला के अधिकारी बताते हैं कि इस साल बनाए गए गायों के घर पिछली बार से ज्यादा बड़े हैं.

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