झुंझुनूं. पश्चिमी राजस्थान के शेखावाटी के बड़े हिस्से के भूगर्भ में कड़वा पानी है यानी जमीन का पानी निकालकर कोई भी फसल नहीं की जा सकती, और यदि ऐसा किया तो 5 से 7 साल में वो जमीन बंजर हो जाती है. ऐसे में पेट की भूख और परिस्थितियों को यहां के किसानों ने खेती और अपनी मेहनत के फल को किस्मत पर छोड़ दिया है. यहां के किसानों को ऐसी उम्मीद होती है जो नामुमकिन से समान होती है, लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है.
नवंबर की बारिश, फिर मावठ की आस
दरअसल, झुंझुनूं के किसान खेती पर अपनी किस्मत का दांव लगाते है, क्योंकि किसानों के लिए नवंबर का महीना खेती के लिए आशाओं से भरा होता है. अगर नवंबर में बारिश हो गई तो यह किसान खेती के लिए तैयार हो जाता है. वो इस कीमत पर चने की बुवाई करता है कि यदि मावठ हो गई तो उसकी वारै न्यारे हो जाएंगे, और यदि किस्मत ने साथ नहीं दिया तो उसका बीज, उसकी मेहनत और बुआई के लिए ट्रैक्टर या ऊंट वाले को पैसा दिया हुआ भी डूब जाएगा.
पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: रासायनिक खेती से तौबा! घटती उर्वरक क्षमता से किसान परेशान
एक बीघा में लगता है किसानों का इतना पैसा
अगर किसानों के एक बीघा में लगने वाले पैसे की बात करें तो प्रति बीघा 4 किलो का बीज डालना होगा, यानी 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 4 बीघा में 200 रुपए का खर्चा आ जाएगा. इसके अलावा जमीन से पानी को उड़ने से रोकना के लिए 200 रुपए प्रति बीघा का खर्चा आता है. वही करीब ₹200 बीघा बुवाई का खर्चा भी आता है यानी ₹600 बुवाई के वक्त ही खर्चा आ जाना है. वहीं इसके बाद निराई गुड़ाई आदि किसान खुद मेहनत करता है. अब यदि मावठ आ जाती है तो इसके बाद किसान के चेहरे खिल जाते हैं, क्योंकि तब प्रति बीघा करीब 4 मण यानी डेढ क्विंटल चने की बोरी हो जाती है. अब यदि 6000 रुपए भी भाव मिल जाए तो उसे करीब ₹9000 मिल जाते हैं. उसको प्रति बीघा पर बीज निकलवाने के लिए ट्रैक्टर वाले आदि को मिलाकर करीब हजार रुपए का खर्चा आ जाता है और किसान को हजारों रुपए खर्च कर 9 गुना पैसा मिल जाता है.
पढ़ें- 'खेतों ने ओढ़ी पीली चादर'...भीलवाड़ा जिले के किसानों के चेहरे खिले
शेखावाटी में मावठ की बारिश की संभावना 30%
ऐसे में झुंझुनूं के किसानों के लिए ये सब राम भरोसे ही है, क्योंकि एक तो नवंबर में बारिश आनी चाहिए. इसके बाद सब तैयार करने के बाद मावठ यानी सर्दी में एक बारिश नहीं आई तो उनकी फसल तिल-तिल पहले मुरझाते हुए, बाद में जमीन से उखड़ते हुए देखता है और इस पर उसका कोई बस नहीं होता है. अब यदि मावठ की शेखावाटी में बात की जाए तो इसकी संभावना 30% ही रहती है.