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Special: झुंझुनू में राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हुआ शौर्य उद्यान, अभी तक आम जनता के लिए है बंद

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Published : Sep 16, 2020, 10:47 PM IST

देश को 469 शहीद देने वाले झुंझुनू जिले में शहीदों का शौर्य भी राजनीति की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. दरअसल, जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर दोरासर में साल 2015 में शौर्य उद्यान की घोषणा की गई थी. इसके लिए 4.5 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया. इसके बाद राजस्थान धरोहर एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से ये उद्यान बनाया गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका 27 सितंबर 2018 को ऑनलाइन लोकार्पण भी कर दिया. इसके बावजूद अभी तक ये आम जनता के लिए बंद है.

शौर्य उद्यान, Jhunjhunu News, राजनीतिक उपेक्षा
झुंझुनू में राजनीतिक उपेक्षा का दंश झेल रहा शौर्य उद्यान

झुंझुनू. शूरां निपजे झुंझुनू, लिया कफन का साथ, रण-भूमि का लाडला, प्राण हथेली हाथ. पूरे देश में इस समय हमारी सेना के जवानों के साहस और शहीदों के शौर्य की कहानियां कही और सुनी जा रही हैं. इन कहानियों के बीच बड़े फक्र के साथ देश को 469 शहीद देने वाले झुंझुनू जिले का अक्सर जिक्र होता है, लेकिन इसी जिले में शहीदों का शौर्य भी राजनीति की भेंट चढ़ गया है.

झुंझुनू में राजनीतिक उपेक्षा का दंश झेल रहा शौर्य उद्यान

पढ़ें: Special: पहले मौसम, फिर टिड्डी अटैक और अब मूंग की मार...प्रशासन की बेरुखी ने किया उम्मीदों को चकनाचूर

दरअसल, जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर दोरासर में साल 2015 में शौर्य उद्यान की घोषणा की गई थी. इसके लिए 4.5 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया. राजस्थान धरोहर एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से यह उद्यान बनाया गया है. इसकी भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसका निर्माण 20 बीघा में किया गया है और दावा है कि ये देश का पहला ऐसा शौर्य उद्यान है, जिसमें मुख्य भवन 43,250 वर्गफीट में बनाया गया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस उद्यान का लोकार्पण भी कर चुकी हैं. आचार संहिता लगने का समय नजदीक आने की वजह से आनन-फानन में उन्होंने 27 सितंबर 2018 को जयपुर से ही ऑनलाइन इसका लोकार्पण कर दिया था. लेकिन, इसके बावजूद अभी तक ये आम जनता के लिए बंद है.

पढ़ें: Special : राजस्थानी फिल्म उद्योग को उभारने के लिए गहलोत सरकार की 'पॉलिसी' से नाखुश हैं मेकर्स

चुनाव के बाद सरकार बदल गई. लेकिन, इसमें ताले लगे हुए हैं. साथ ही इसका काम भी बंद पड़ा है. शौर्य उद्यान में लाइट्स, फुटपाथ, मुख्य प्रवेश द्वार, गार्ड रूम, पार्किंग और प्रतिमाओं को स्थापित करने का काम बाकी है. बेहद कम समय में पूरा हो सकने वाले इन कामों को सरकार चाहे तो जल्द से जल्द करवाकर खुलवा सकती है. लेकिन, भाजपा सरकार में बनने की वजह से ये वर्तमान सरकार की प्राथमिकता में ही नजर नहीं आता.

शौर्य उद्यान में प्रदर्शित किया गया है सैनिकों के रण कौशल
राजस्थान में अब तक 1600 से अधिक शहीद हो चुके हैं. इनमें 457 शहीद झुंझुनू के हैं. शौर्य उद्यान में 21 तस्वीरों के जरिए सैनिकों के रण कौशल का प्रदर्शन किया गया है. बताया गया कि एक सैनिक युद्ध का सामना कैसे करता है. इसके लिए यहां एक युद्ध मैदान का निर्माण किया गया है. यहां शूरवीरों की प्रतिमाएं धातु, मार्बल, फाइबर आदि से बनाई गई हैं, इसके अलावा ऑडियो-वीडियो डॉक्यूमेंट्री भी तैयार करवाई गई है, जिससे शेखावाटी के शूरवीरों के अदम्य साहस की कहानी सब सुन और देख सकें.

महत्वपूर्ण युद्धों को 2 डी और 3 डी में किया गया है प्रदर्शित
शौर्य उद्यान 7500 वर्ग फीट में बनाया गया है. इस ब्लॉक में युद्धों की जानकारी है, तीनों सेवाओं की रैंकिंग, पदक और यूनिफॉर्म की जानकारी है. देश में अब तक हुए महत्वपूर्ण युद्ध सेना के कौशल का 2 डी और 3 डी में प्रदर्शन किया जाएगा. इस ब्लॉक में सेना के उन वीरों की गाथाएं हैं, जिन्होंने युद्ध के दौरान बेहतर रण कौशल का प्रदर्शन किया था. इसमें राजस्थान के शहीदों की मूर्तियां लगाई गई हैं.

झुंझुनू. शूरां निपजे झुंझुनू, लिया कफन का साथ, रण-भूमि का लाडला, प्राण हथेली हाथ. पूरे देश में इस समय हमारी सेना के जवानों के साहस और शहीदों के शौर्य की कहानियां कही और सुनी जा रही हैं. इन कहानियों के बीच बड़े फक्र के साथ देश को 469 शहीद देने वाले झुंझुनू जिले का अक्सर जिक्र होता है, लेकिन इसी जिले में शहीदों का शौर्य भी राजनीति की भेंट चढ़ गया है.

झुंझुनू में राजनीतिक उपेक्षा का दंश झेल रहा शौर्य उद्यान

पढ़ें: Special: पहले मौसम, फिर टिड्डी अटैक और अब मूंग की मार...प्रशासन की बेरुखी ने किया उम्मीदों को चकनाचूर

दरअसल, जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर दोरासर में साल 2015 में शौर्य उद्यान की घोषणा की गई थी. इसके लिए 4.5 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया. राजस्थान धरोहर एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से यह उद्यान बनाया गया है. इसकी भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसका निर्माण 20 बीघा में किया गया है और दावा है कि ये देश का पहला ऐसा शौर्य उद्यान है, जिसमें मुख्य भवन 43,250 वर्गफीट में बनाया गया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस उद्यान का लोकार्पण भी कर चुकी हैं. आचार संहिता लगने का समय नजदीक आने की वजह से आनन-फानन में उन्होंने 27 सितंबर 2018 को जयपुर से ही ऑनलाइन इसका लोकार्पण कर दिया था. लेकिन, इसके बावजूद अभी तक ये आम जनता के लिए बंद है.

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चुनाव के बाद सरकार बदल गई. लेकिन, इसमें ताले लगे हुए हैं. साथ ही इसका काम भी बंद पड़ा है. शौर्य उद्यान में लाइट्स, फुटपाथ, मुख्य प्रवेश द्वार, गार्ड रूम, पार्किंग और प्रतिमाओं को स्थापित करने का काम बाकी है. बेहद कम समय में पूरा हो सकने वाले इन कामों को सरकार चाहे तो जल्द से जल्द करवाकर खुलवा सकती है. लेकिन, भाजपा सरकार में बनने की वजह से ये वर्तमान सरकार की प्राथमिकता में ही नजर नहीं आता.

शौर्य उद्यान में प्रदर्शित किया गया है सैनिकों के रण कौशल
राजस्थान में अब तक 1600 से अधिक शहीद हो चुके हैं. इनमें 457 शहीद झुंझुनू के हैं. शौर्य उद्यान में 21 तस्वीरों के जरिए सैनिकों के रण कौशल का प्रदर्शन किया गया है. बताया गया कि एक सैनिक युद्ध का सामना कैसे करता है. इसके लिए यहां एक युद्ध मैदान का निर्माण किया गया है. यहां शूरवीरों की प्रतिमाएं धातु, मार्बल, फाइबर आदि से बनाई गई हैं, इसके अलावा ऑडियो-वीडियो डॉक्यूमेंट्री भी तैयार करवाई गई है, जिससे शेखावाटी के शूरवीरों के अदम्य साहस की कहानी सब सुन और देख सकें.

महत्वपूर्ण युद्धों को 2 डी और 3 डी में किया गया है प्रदर्शित
शौर्य उद्यान 7500 वर्ग फीट में बनाया गया है. इस ब्लॉक में युद्धों की जानकारी है, तीनों सेवाओं की रैंकिंग, पदक और यूनिफॉर्म की जानकारी है. देश में अब तक हुए महत्वपूर्ण युद्ध सेना के कौशल का 2 डी और 3 डी में प्रदर्शन किया जाएगा. इस ब्लॉक में सेना के उन वीरों की गाथाएं हैं, जिन्होंने युद्ध के दौरान बेहतर रण कौशल का प्रदर्शन किया था. इसमें राजस्थान के शहीदों की मूर्तियां लगाई गई हैं.

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