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सूरजगढ़ : साल के आखिरी सूर्यग्रहण पर कस्बे में छाया सन्नाटा - सूर्य ग्रहण

साल के आखिरी सूर्यग्रहण पर सूरजगढ़ कस्बे में सन्नाटा पसरा रहा. सूर्यग्रहण के दौरान मंदिरों के पट भी बंद रहे, जो ग्रहण शुद्धि के बाद ही खुले. ग्रहण के समय मंदिरों में भजन और प्रार्थनाओं का दौर चलता रहा. मुख्य बाजार और मंडी के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे.

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सूर्यग्रहण पर छाया सन्नाटा
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Published : Dec 26, 2019, 1:35 PM IST

सूरजगढ़ (झुंझुनू). जिले के सूरजगढ़ कस्बे में गुरुवार को साल के आखिरी सूर्यग्रहण का असर दिखा. ग्रहण काल के दौरान सूतक शुरू होते ही सभी मंदिरों के पट बंद हो गए. कस्बे के श्याम मंदिरों के साथ दूसरे मंदिरों के पट भी बंद रहे.

सूर्यग्रहण पर छाया सन्नाटा

इस दौरान मंदिरों में भक्ति भाव का माहौल नजर आया. हर जगह भजनों और प्रार्थनाओं का दौर जारी रहा. श्याम दरबार के पुजारी हजारीलाल सैनी ने बताया, कि सनातन संस्कृति के ग्रहण काल का विशेष महत्व है. इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. भगवान के दर्शन भी ग्रहण काल के दौरान वर्जित रहते हैं.

ग्रहण काल के समापन के बाद भगवान को स्नान कराकर आरती के बाद मंदिर के पट श्रध्दालुओं के लिए खोल दिए गए. ग्रहण का प्रभाव सबसे ज्यादा गर्भवती स्त्रियों को लगता है. इसके चलते गर्भवती महिलाएं ग्रहण के बीच घरों से बाहर नहीं निकलीं और ना ही ग्रहण को देखा.

ये पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: पानी पर अजमेर शहर, इमारतों पर मंडरा रहा खतरा

वहीं ग्रहण काल के दौरान बाजारों में भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा. अनाज मंडी सहित मुख्य बाजार के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे.

सूरजगढ़ (झुंझुनू). जिले के सूरजगढ़ कस्बे में गुरुवार को साल के आखिरी सूर्यग्रहण का असर दिखा. ग्रहण काल के दौरान सूतक शुरू होते ही सभी मंदिरों के पट बंद हो गए. कस्बे के श्याम मंदिरों के साथ दूसरे मंदिरों के पट भी बंद रहे.

सूर्यग्रहण पर छाया सन्नाटा

इस दौरान मंदिरों में भक्ति भाव का माहौल नजर आया. हर जगह भजनों और प्रार्थनाओं का दौर जारी रहा. श्याम दरबार के पुजारी हजारीलाल सैनी ने बताया, कि सनातन संस्कृति के ग्रहण काल का विशेष महत्व है. इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. भगवान के दर्शन भी ग्रहण काल के दौरान वर्जित रहते हैं.

ग्रहण काल के समापन के बाद भगवान को स्नान कराकर आरती के बाद मंदिर के पट श्रध्दालुओं के लिए खोल दिए गए. ग्रहण का प्रभाव सबसे ज्यादा गर्भवती स्त्रियों को लगता है. इसके चलते गर्भवती महिलाएं ग्रहण के बीच घरों से बाहर नहीं निकलीं और ना ही ग्रहण को देखा.

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वहीं ग्रहण काल के दौरान बाजारों में भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा. अनाज मंडी सहित मुख्य बाजार के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे.

Intro:सुरजगढ (झुंझुनूं )
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण पर कस्बे मे छाया सन्नाटा
मंदिरो के पाट हुए बंद, ग्रहण शुद्धि के बाद खुलेंगे पाट
मंदिरो मे भजनों व प्राथनाओ का चल रहा दौर
ग्रहण काल के दौरान बाजारों मे भी पसरा सन्नाटा
मुख्य बाजार व मंडी के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद Body:एंकर :- झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ कस्बे मे आज गुरुवार क़ो साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का असर काफी देखने क़ो मिला । ग्रहण काल के दौरान सूतक शुरू होते ही सभी मंदिरो के पाट बंद हो गए । कस्बे के श्याम मंदिरो के साथ अन्य मंदिरो के पाट भी बंद रहे । इस दौरान मंदिरो भक्ति भाव महौल नजर आया । श्याम दरबार के पूजारी हजारीलाल सैनी ने बताया की सनातन संस्कृति के ग्रहण काल का विशेष महत्व । इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते है । भगवान के दर्शन भी ग्रहण काल के दौरान वर्जित रहता है । ग्रहण काल के समापन के बाद भगवान क़ो स्नान आदि कराकर आरती के बाद मंदिर के पाट श्रध्दालूओ के लिए खोल दिए जाएंगे । वही ग्रहण काल के दौरान बाजारों मे भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा । अनाज मंडी सहित मुख्य बाजार के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे ।

बाईट :- हजारी लाल सैनी ,पूजारी श्याम दरबार सुरजगढ।
Conclusion:
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