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वसुंधरा से 36 के आंकड़े के चलते कटा इस दिग्गज जाट नेत्री का टिकट - नरेंद्र खीचड़

लोकसभा चुनाव में कछ ही दिन बाकी रह गए हैं. झुंझुनूं लोकसभा सीट के लिए बीजेपी ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. यहां से मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का टिकट काट दिया गया है. माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से अहलावत का 36 का आंकड़ा होने के चलते उनका टिकट काटा गया है. उनकी जगह नरेंद्र खीचड़ बीजेपी मैदान में उतार रही है.

संतोष अहलावत का कटा टिकट
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Published : Mar 22, 2019, 4:10 PM IST

झुंझुनू. नरेंद्र खीचड ने यहां तक पहुंचने में भी लंबा संघर्ष किया है. उनको पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेहद नजदीकी माना जाता है. इसका ही फायदा पहले उन्हे विधानसभा चुनाव में मिला, और अब लोकसभा में भी उन पर विश्वास जताया गया. वहीं मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का वसुंधरा राजे से 36 का आंकड़ा चल रहा था. जिले में आम चर्चा है कि उप चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता दिगंबर सिंह के चुनाव हारने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सांसद संतोष अहलावत से नाराज चल रही थी.

संतोष अहलावत का कटा टिकट

सूरजगढ सीट संतोष अहलावत के सांसद बन जाने से खाली हुई थी. इसके बाद के चुनाव में मुख्यमंत्री ने अपने विश्वस्त दिगंबर सिंह को मैदान में उतारा था. जहां दिगंबर सिंह चुनाव हार गए.केंद्रीय आलाकमान में ये चर्चा रही कि जहां 6 माह पहले सूरजगढ़ विधानसभा में भाजपा विधायक 50,000 से अधिक मतों से जीती थी. वहां भाजपा के कद्दावर नेता दिगंबर सिंह चुनाव कैसे हार गए. बताया जा रहा है कि इसका ठीकरा सांसद संतोष अहलावत के सर पर फोड़ा गया है.

लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के सर्वे व आवेदन सहित सभी जगहों पर मौजूदा सांसद संतोष अहलावत और नरेंद्र खीचड़ ही दावेदार थे. बताया यह भी जा रहा है कि संतोष अहलावत का उनके खुद के क्षेत्र सूरजगढ व उससे लगती हुई पिलानी विधानसभा में खासा विरोध हो रहा था. सूरजगढ के मौजूदा विधायक सुभाष पूनिया को हराने के लिए उनके पति सुरेंद्र अहलावत के कुछ ऑडियो वायरल हुए थे. चर्चा है कि इसलिए झुंझुनू के दोनों ही भाजपा विधायक भी उनका विरोध कर रहे थे. यही वजह रही कि टिकट नरेंद्र के खाते में चला गया और अहलावत का पत्ता कट गया.

नरेंद्र खीचड़ का मंडावा विधानसभा में अच्छा खासा जनाधार है. लेकिन हरियाणा से लगती हुई विधानसभाओं में उनके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है, अगर सांसद संतोष अहलावत उनका विरोध करने उतरी तो भाजपा को यह सीट निकालने में परेशानी हो सकती है.

झुंझुनू. नरेंद्र खीचड ने यहां तक पहुंचने में भी लंबा संघर्ष किया है. उनको पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेहद नजदीकी माना जाता है. इसका ही फायदा पहले उन्हे विधानसभा चुनाव में मिला, और अब लोकसभा में भी उन पर विश्वास जताया गया. वहीं मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का वसुंधरा राजे से 36 का आंकड़ा चल रहा था. जिले में आम चर्चा है कि उप चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता दिगंबर सिंह के चुनाव हारने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सांसद संतोष अहलावत से नाराज चल रही थी.

संतोष अहलावत का कटा टिकट

सूरजगढ सीट संतोष अहलावत के सांसद बन जाने से खाली हुई थी. इसके बाद के चुनाव में मुख्यमंत्री ने अपने विश्वस्त दिगंबर सिंह को मैदान में उतारा था. जहां दिगंबर सिंह चुनाव हार गए.केंद्रीय आलाकमान में ये चर्चा रही कि जहां 6 माह पहले सूरजगढ़ विधानसभा में भाजपा विधायक 50,000 से अधिक मतों से जीती थी. वहां भाजपा के कद्दावर नेता दिगंबर सिंह चुनाव कैसे हार गए. बताया जा रहा है कि इसका ठीकरा सांसद संतोष अहलावत के सर पर फोड़ा गया है.

लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के सर्वे व आवेदन सहित सभी जगहों पर मौजूदा सांसद संतोष अहलावत और नरेंद्र खीचड़ ही दावेदार थे. बताया यह भी जा रहा है कि संतोष अहलावत का उनके खुद के क्षेत्र सूरजगढ व उससे लगती हुई पिलानी विधानसभा में खासा विरोध हो रहा था. सूरजगढ के मौजूदा विधायक सुभाष पूनिया को हराने के लिए उनके पति सुरेंद्र अहलावत के कुछ ऑडियो वायरल हुए थे. चर्चा है कि इसलिए झुंझुनू के दोनों ही भाजपा विधायक भी उनका विरोध कर रहे थे. यही वजह रही कि टिकट नरेंद्र के खाते में चला गया और अहलावत का पत्ता कट गया.

नरेंद्र खीचड़ का मंडावा विधानसभा में अच्छा खासा जनाधार है. लेकिन हरियाणा से लगती हुई विधानसभाओं में उनके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है, अगर सांसद संतोष अहलावत उनका विरोध करने उतरी तो भाजपा को यह सीट निकालने में परेशानी हो सकती है.

Intro:झुंझुनू ।.झुंझुनू लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नरेंद्र खीचड ने यहां तक पहुंचने में भी लंबा संघर्ष किया है । उनको पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेहद नजदीकी माना जाता है और इसका ही फायदा पहले उन्होंने विधानसभा चुनाव में मिला और अब लोकसभा में भी उन पर विश्वास जताया गया। वहीं मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का वसुंधरा राजे से 36 का आंकड़ा चल रहा था। जिले में आम चर्चा है कि उप चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता दिगंबर सिंह के चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सांसद संतोष अहलावत से नाराज चल रही थी । सूरजगढ सीट संतोष अहलावत के सांसद बन जाने से खाली हुई थी । इसके बाद के चुनाव में मुख्यमंत्री ने अपने विश्वस्त दिगंबर सिंह को मैदान में उतारा था। जिसे लेकर राज्य से लेकर केंद्रीय आलाकमान तक यह चर्चा रही की जहां 6 माह पहले सूरजगढ़ विधानसभा में भाजपा विधायक 50,000 से अधिक मतों से जीती थी वहां भाजपा के कद्दावर नेता दिगंबर सिंह चुनाव कैसे हार गए । बताया जा रहा है कि इसका ठीकरा सांसद संतोष अहलावत के सर पर फोड़ा गया है।


Body:दो ही प्रमुख दावेदार
लोकसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के सर्वे व आवेदन सहित सभी जगहों पर मौजूदा सांसद संतोष अहलावत व नरेंद्र ही दावेदार थे । बताया यह भी जा रहा है कि संतोष अहलावत का उनके खुद के क्षेत्र के सूरजगढ व उससे लगते हुए पिलानी विधानसभा में खासा विरोध हो रहा था। सूरजगढ के मौजूदा विधायक सुभाष पूनिया को हराने के लिए उनके पति सुरेंद्र अहलावत के कुछ ऑडियो वायरल हुए थे। चर्चा है कि इसलिए झुंझुनू के दोनों ही भाजपा विधायक भी उनका विरोध कर रहे थे। यही वजह रही कि टिकट नरेंद्र के खाते में चला गया और अहलावत का पत्ता कट गया ।


Conclusion:पार्टी को ही लड़ना होगा चुनाव
टिकट लेने वाले नरेंद्र का मंडावा विधानसभा में अच्छा खासा जनाधार है लेकिन हरियाणा से लगती हुई विधानसभाओ में उनके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। यदि सांसद संतोष अहलावत उनका विरोध करने उतरी तो भाजपा को यह सीट निकालने में परेशानी हो सकती है ।हालांकि इसमें देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस की टिकट किसको मिलती है।
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