झुंझुनू. राजस्थान विधानसभा चुनाव की विसात बिछ चुकी है. मंडावा विधानसभा सीट से एक तरह भाजपा के सांसद नरेंद्र खीचड़ को चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस की तरफ से रीटा चौधरी प्रत्याशी हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में रीटा चौधरी ने नरेंद्र खीचड़ पर आरोप लगाया कि सांसद बनने के बाद वो बिल्कुल गायब हो गए. अब शराब और पैसे के दम पर चुनाव जीतना चाहते हैं, लेकिन जनता उन्हें वोट नहीं देगी.
कुछ हमारी गलती, कुछ टिकट कटा : ईटीवी भारत ने रीटा चौधरी से पूछा कि कांग्रेस के गढ़ में भाजपा घुसने में कैसे कामयाब हो गई, इसपर उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में कांग्रेस की ओर से उनका टिकट काट दिया गया था. तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान कांग्रेस का टिकट मिला और मैंने जनता के कहने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा. इसमें कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष की जमानत जब्त हो गई, साथ ही रीटा चौधरी को भी चुनाव हारना पड़ा. निर्दलीय नरेंद्र पहली बार विधायक बने और वर्ष 2018 में भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और पहली बार मंडावा जीतने में सफल रही. इसमें कुछ कमियां हमारी भी रही थी.
पढ़ें. वल्लभनगर में बीजेपी को मिलेगा मौका या प्रीति करेंगी वापसी, क्या भिंडर का चलेगा जादू ?
4 साल तक गायब रहे : अपने विरोधी प्रत्याशी नरेंद्र खीचड़ को लेकर रीटा चौधरी ने आरोप लगाया कि सांसद बनने के बाद वे क्षेत्र से पूरी तरह से गायब हो गए. उन्होंने न तो कोई विकास कार्य करवाए और न ही जनता से अच्छे से बात की. अब अंतिम समय में आकर शराब और पैसे के दम पर चुनाव जीतना चाहते हैं, लेकिन जनता समझदार हो गई है. मंडावा में भी जनता कांग्रेस को लेकर आएगी और राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार बनेगी.
यहां पर केंद्र के मुद्दे भी प्रभावी : रीटा के विरोधी प्रत्याशी नरेंद्र लोकसभा सांसद रहे हैं, इसलिए मंडावा विधानसभा में केंद्र के मुद्दे भी प्रभावी हैं. रीटा चौधरी कहती हैं कि किसानों के साथ जो केंद्र सरकार ने किया है, उसे जनता भूली नहीं है. इसके अलावा अग्निवीर जैसी योजना लाकर सैनिक बाहुल्य जिला झुंझुनू के साथ विश्वास घात किया है. यहां के युवाओं के साथ इस तरह का मजाक होता रहा और सांसद नरेंद्र खीचड़ चुप रहे. जब पहलवान बेटियां दिल्ली के सड़कों पर रो रहीं थीं, तब भी नरेंद्र खीचड़ के मुंह से एक शब्द नहीं निकला, इसलिए जनता किसी भी हालत में उनको वोट नहीं देगी.
उपचुनाव में फिर से कांग्रेस ने की वापसी : मंडावा विधानसभा में वर्ष 2018 तक जनसंघ से लेकर भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पाई थी. वर्ष 2013 में निर्दलीय विधायक नरेंद्र खीचड़ जीते थे, जिन्हें साल 2018 के चुनाव में भाजपा ने टिकट दिया था. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी को लगभग 2000 मतों से शिकस्त दी थी. वर्ष 2019 में नरेंद्र खीचड़ सांसद बन गए, जिसके बाद उपचुनाव में रीटा चौधरी ने भाजपा की प्रत्याशी को करीब 33000 मतों से शिकायत देकर वापस कांग्रेस का सिक्का जमाया. अब एक बार फिर भाजपा ने अपने सांसद नरेंद्र को ही मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस की ओर से रीटा चौधरी फिर मैदान में हैं.