खेतड़ी (झुंझुनू). लोकेश सैनी 18 मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में हिसार में कार्यरत थे और वर्तमान में जयपुर यूनिट में कार्य कर रहे थे. सैनी का जयपुर के सेना अस्पताल में 30 अक्टूबर को रात्रि में इलाज के दौरान निधन हो गया था. शव जब नानूवाली बावड़ी पहुंचा तो घर में कोहराम मच गया.
नायक सूबेदार लोकेश सैनी के शव के साथ आए सूबेदार ए. रहमान, नायक सूबेदार चन्द्रभान व हवलदार बोदूराम ने बताया कि नायक सैनी मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे. नायक सैनी की पार्थिव देह पर तहसीलदार विवेक कटारिया, कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष गोकुलचन्द सैनी, सरपंच नानूवाली बावड़ी रमेश सैनी, बलवीर सैनी, प्रभु राजोता संजय सैनी, सुरेश राजोता, रुड़ाराम सैनी सहित दर्जनों लोगों ने पुष्पचक्र अर्पित किए. लगभग एक किमी लंबी अंतिम यात्रा में ग्रामीण भारत माता की जय उद्घोष के साथ चल रहे थे. सैनिक की पार्थिव देह को जयपुर से आई सेना की बिहार रेजीमेंट की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ आनर दिया तथा नन्हे पांच वर्षीय पुत्र वैभव ने मुखाग्नि दी तो हर किसी की आंखें नम हो उठीं.
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पिता को दिया तिरंगा...
नायक सैनी की पार्थिव देह के साथ आए सेना के सूबेदार ने तिरंगा उनके पिता किशनलाल सैनी के सुपुर्द किया. लोकेश सैनी जनवरी 2004 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और वर्ष 2013 में उनकी शादी हुई थी. घर में उनके पिता किशनलाल सैनी, माता गीता देवी सैनी, पत्नि राधा सैनी, पुत्री उर्वी (7 वर्ष) तथा पुत्र वैभव (5 वर्ष) व भाई विजेश कुमार तथा एक बहन कविता सैनी हैं, जो शादीशुदा हैं.