झुंझुनू. झुंझुनू लोकसभा सीट से एक ऐसा उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है, जिसके बारे में पढ़कर एक बार आप हैरान तो जरूर हो जाएंगे. जी हां इस प्रत्याशी का नाम गोकुलचंद राष्ट्रवादी है. ये 7वीं बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. गजब तो यह है की इनको कभी भी 1 हजार से ज्यादा वोट नहीं मिला है.
इतना ही नहीं ये अपने आप को अंतरराष्ट्रीय मार्क्सवादी बताते हैं. इनसे झुंझुनू शहर का लगभग हर वाशिंदा वाकिफ भी है. क्षेत्र में लोग उन्हें 'गरीब की रोटी' के नाम से जानते हैं. क्योंकि इनके पास एक अटैची हमेशा रहती है, जिस पर उन्होंने बड़े अक्षरों में गरीब रोटी की क्रांति लिखवा रखी है.
गजब तो यह कि गोकुलचंद राष्ट्रवादी के नामांकन में हर कोने में बस एक ही शब्द लिखा हुआ है 'लागू नहीं'. नामांकन फार्म में न तो उनके पास नकदी का एक पैसा है, न ही बैंक में कुछ जमा है, न ही कोई अन्य संपत्ति है, न ही कोई मुकदमा उनके नाम से दर्ज है.
लोगों के मुताबिक पूर्व में वे न्यायालय में अनपढ़ लोगों की अर्जी लिखने का काम करते थे. बाद में कंप्यूटर आ जाने से वह काम बंद हो गया तो चुनाव लड़ने की सनक शुरू हो गई. हर चुनाव लड़ते हैं और हर बार तय रूप से करनी का अपना चुनाव लेते हैं. यह अलग बात है कि आज तक एक भी नामांकन रद्द नहीं हुआ.
लोकसभा के उम्मीदवार की गर्मी हो या सर्दी, एक ही वेशभूषा रहती है. सफेद कुर्ते पजामे में गहरा नीला एक शाल, लाल पगड़ी, एक अटैची और चुनाव के दिनों में सफेद और लाल रंग का झंडा. बताया जाता है कि उनको किसी ने कभी भी किसी तरह के वाहन में बैठे हुए नहीं देखा. वे हमेशा पैदल ही चलते रहते रहते हैं, झुंझुनू में वार्ड संख्या 1 के निवासी हैं.