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एक ऐसा उम्मीदवार जिसे आज तक 1 हजार वोट नहीं मिले, फिर भी 7वीं बार डटा है मैदान में

झुंझुनू लोकसभा सीट से इस बार एक ऐसे उम्मीदवार ने चुनावी मैदान में ताल ठोकी है. जो पिछले सात बार से चुनाव लड़ रहा है. एक बार फिर भी उसने 1 हजार से ज्यादा वोट नहीं पाया है.

प्रत्याशी गोकुलचंद राष्ट्रवादी
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Published : Apr 27, 2019, 8:51 PM IST

झुंझुनू. झुंझुनू लोकसभा सीट से एक ऐसा उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है, जिसके बारे में पढ़कर एक बार आप हैरान तो जरूर हो जाएंगे. जी हां इस प्रत्याशी का नाम गोकुलचंद राष्ट्रवादी है. ये 7वीं बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. गजब तो यह है की इनको कभी भी 1 हजार से ज्यादा वोट नहीं मिला है.

7वीं बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी की दास्तान

इतना ही नहीं ये अपने आप को अंतरराष्ट्रीय मार्क्सवादी बताते हैं. इनसे झुंझुनू शहर का लगभग हर वाशिंदा वाकिफ भी है. क्षेत्र में लोग उन्हें 'गरीब की रोटी' के नाम से जानते हैं. क्योंकि इनके पास एक अटैची हमेशा रहती है, जिस पर उन्होंने बड़े अक्षरों में गरीब रोटी की क्रांति लिखवा रखी है.

गजब तो यह कि गोकुलचंद राष्ट्रवादी के नामांकन में हर कोने में बस एक ही शब्द लिखा हुआ है 'लागू नहीं'. नामांकन फार्म में न तो उनके पास नकदी का एक पैसा है, न ही बैंक में कुछ जमा है, न ही कोई अन्य संपत्ति है, न ही कोई मुकदमा उनके नाम से दर्ज है.

लोगों के मुताबिक पूर्व में वे न्यायालय में अनपढ़ लोगों की अर्जी लिखने का काम करते थे. बाद में कंप्यूटर आ जाने से वह काम बंद हो गया तो चुनाव लड़ने की सनक शुरू हो गई. हर चुनाव लड़ते हैं और हर बार तय रूप से करनी का अपना चुनाव लेते हैं. यह अलग बात है कि आज तक एक भी नामांकन रद्द नहीं हुआ.

लोकसभा के उम्मीदवार की गर्मी हो या सर्दी, एक ही वेशभूषा रहती है. सफेद कुर्ते पजामे में गहरा नीला एक शाल, लाल पगड़ी, एक अटैची और चुनाव के दिनों में सफेद और लाल रंग का झंडा. बताया जाता है कि उनको किसी ने कभी भी किसी तरह के वाहन में बैठे हुए नहीं देखा. वे हमेशा पैदल ही चलते रहते रहते हैं, झुंझुनू में वार्ड संख्या 1 के निवासी हैं.

झुंझुनू. झुंझुनू लोकसभा सीट से एक ऐसा उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है, जिसके बारे में पढ़कर एक बार आप हैरान तो जरूर हो जाएंगे. जी हां इस प्रत्याशी का नाम गोकुलचंद राष्ट्रवादी है. ये 7वीं बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. गजब तो यह है की इनको कभी भी 1 हजार से ज्यादा वोट नहीं मिला है.

7वीं बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी की दास्तान

इतना ही नहीं ये अपने आप को अंतरराष्ट्रीय मार्क्सवादी बताते हैं. इनसे झुंझुनू शहर का लगभग हर वाशिंदा वाकिफ भी है. क्षेत्र में लोग उन्हें 'गरीब की रोटी' के नाम से जानते हैं. क्योंकि इनके पास एक अटैची हमेशा रहती है, जिस पर उन्होंने बड़े अक्षरों में गरीब रोटी की क्रांति लिखवा रखी है.

गजब तो यह कि गोकुलचंद राष्ट्रवादी के नामांकन में हर कोने में बस एक ही शब्द लिखा हुआ है 'लागू नहीं'. नामांकन फार्म में न तो उनके पास नकदी का एक पैसा है, न ही बैंक में कुछ जमा है, न ही कोई अन्य संपत्ति है, न ही कोई मुकदमा उनके नाम से दर्ज है.

लोगों के मुताबिक पूर्व में वे न्यायालय में अनपढ़ लोगों की अर्जी लिखने का काम करते थे. बाद में कंप्यूटर आ जाने से वह काम बंद हो गया तो चुनाव लड़ने की सनक शुरू हो गई. हर चुनाव लड़ते हैं और हर बार तय रूप से करनी का अपना चुनाव लेते हैं. यह अलग बात है कि आज तक एक भी नामांकन रद्द नहीं हुआ.

लोकसभा के उम्मीदवार की गर्मी हो या सर्दी, एक ही वेशभूषा रहती है. सफेद कुर्ते पजामे में गहरा नीला एक शाल, लाल पगड़ी, एक अटैची और चुनाव के दिनों में सफेद और लाल रंग का झंडा. बताया जाता है कि उनको किसी ने कभी भी किसी तरह के वाहन में बैठे हुए नहीं देखा. वे हमेशा पैदल ही चलते रहते रहते हैं, झुंझुनू में वार्ड संख्या 1 के निवासी हैं.

Intro:झुंझुनू। झुंझुनू लोकसभा सीट से एक उम्मीदवार है गुरु गोकुल चंद राष्ट्रवादी। सातवां चुनाव लड़ रहे हैं , पार्षद से लेकर लोकसभा तक लड़ चुके हैं। कभी है 1000 से ज्यादा मत नहीं आए। अपने आप को अंतरराष्ट्रीय मार्क्सवादी कहता है। कम से कम झुंझुनू शहर का लगभग हर बाशिंदा उससे वाकिफ है । क्षेत्र में लोग उसे गरीब की रोटी के नाम से जानते हैं , क्योंकि एक अटैची हमेशा उसके पास रहती है। जिस पर उसने बड़े अक्षरों में गरीब रोटी की क्रांति लिख रखा है। जमानत के पैसे पूछने पर कहता है कि लोग 1-2 रुपया दे देते हैं ।


Body:कुछ भी लागू नहीं

गुरु गोकुल चंद राष्ट्रवादी के नामांकन में हर कोने में बस एक ही शब्द लिखा हुआ है कि लागू नहीं । नामांकन फार्म में ना तो उसके पास नकदी का एक पैसा है, ना ही बैंक में कुछ है। ना ही कोई अन्य संपत्ति है, ना ही कोई मुकदमा लगा हुआ है ।बताया जाता है कि पहले न्यायालय में अनपढ़ लोगों की अर्जी लिखने का काम करता था। बाद में कंप्यूटर आ जाने से वह काम बंद हो गया तो चुनाव लड़ने की सनक शुरू हो गई । हर चुनाव लड़ते हैं और हर बार तय रूप से करनी का अपना चुनाव लेते हैं। यह अलग बात है कि आज तक एक भी नामांकन रद्द नहीं हुआ।


Conclusion:लोकसभा के उम्मीदवार की गर्मी हो या सर्दी, एक ही वेशभूषा रहती है। सफेद कुर्ते पजामे में गहरा नील, एक शाल, लाल पगड़ी एक अटैची और चुनाव के दिनों में सफेद और लाल रंग का झंडा। बताया जाता है कि उसको किसी ने ,कभी भी किसी तरह के वाहन में बैठे हुए नहीं देखा और हमेशा पैदल ही चलता रहता है। झुंझुनू के एक नंबर वार्ड का निवासी है।
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