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क्रांति दिवस के अवसर पर किसान संघर्ष समन्वय समिति का गिरफ्तारी आंदोलन - राजस्थान की खबर

झुंझनू में रविवार को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने क्रांति दिवस पर गिरफ्तारी आंदोलन किया. इस दौरान उन्होंने कई मांगों को लेकर प्रदर्शन किया.

Sangharsh Samiti agitated, संघर्ष समिति ने किया आंदोलन
संघर्ष समिति ने किया आंदोलन
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Published : Aug 9, 2020, 3:17 PM IST

झुंझनू. वामपंथी दलों से जुड़े हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत जिले के तहसील कार्यालयों पर रविवार को क्रांति दिवस पर गिरफ्तारी आंदोलन किया. संघर्ष समन्वय समिति के घटक संगठनों के सदस्यों ने इसमें भाग लिया.

संघर्ष समिति ने किया आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर 'कॉरपोरेट भगाओ, किसान बचाओ' नारे के साथ देशभर के ढाई सौ किसान संगठन, ट्रेड यूनियन और छात्र नौजवान संगठन, मोदी सरकार की किसान, मजदूर, छात्र- नौजवान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया गया.

इन मांगों को लेकर किया गया आंदोलन

मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे तीन किसान विरोधी अध्यादेशों कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020, आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को वापस लेने, किसानों के संपूर्ण कर्ज मुक्ति का कानून पास करने, कोरोना दौर का सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करने, समूहों के कर्ज माफ करने, उनकी वसूली पर रोक लगाने, प्रत्येक फसल, सब्जी, फल, और दूध का एम एस पी कम से कम लागत से पचास फीसदी अधिक घोषित करने, इस दाम पर फसल खरीद की गारंटी करने, खरीद न करने पर फौजदारी जुर्म घोषित करने.

डीजल का रेट आधा करने, बिजली बिल 2020 वापस लेने, कोरोना दौर का किसानों, छोटे दुकानदारों, छोटे उद्यमियों व आमजन का बिजली बिल माफ करने, इस साल किसान के हुए नुकसान की भरपाई करने, देश में किसानों, आदिवासियों की खेती की जमीन कंपनियों को देने पर रोक लगाने, जंगल की जमीन कैम्पा कानून के नाम पर जबरन प्लांटेशन लगाना बंद करने, मनरेगा के तहत 200 दिन की गारंटी करने न्यूनतम मजदूरी की दर से भुगतान करने मांगों को लेकर व नई शिक्षा नीति के खिलाफ जन आंदोलन और जेल भरो आन्दोलन के साथ प्रधानमंत्री का पुतला दहन भी किया गया.

पढ़ेंः SPECIAL: भरतपुर के 160 आयुर्वेदिक अस्पतालों में 2 महीने से ठप पड़ी उपचार सुविधाएं

आंदोलन के दौरान ये रहे मौजूद

आंदोलन में कामरेड फूलचंद ढेवा, कामरेड फूलचंद बर्वर ,कामरेड विधाधर गिल, कामरेड रामचन्द्र कुलहरि, कामरेड सुमेर सिंह बुडानिया, कामरेड इंद्राज सिंह चारावास, कामरेड मदन यादव, कैलाश यादव, कप्तान मोहन लाल, कप्तान विधाधर, कामरेड फूलचंद बुडानिया, कामरेड पंकज गुर्जर, एडवोकेट बजरंग लाल, कामरेड विजेन्द्र कुलहरि थे.

झुंझनू. वामपंथी दलों से जुड़े हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत जिले के तहसील कार्यालयों पर रविवार को क्रांति दिवस पर गिरफ्तारी आंदोलन किया. संघर्ष समन्वय समिति के घटक संगठनों के सदस्यों ने इसमें भाग लिया.

संघर्ष समिति ने किया आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर 'कॉरपोरेट भगाओ, किसान बचाओ' नारे के साथ देशभर के ढाई सौ किसान संगठन, ट्रेड यूनियन और छात्र नौजवान संगठन, मोदी सरकार की किसान, मजदूर, छात्र- नौजवान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया गया.

इन मांगों को लेकर किया गया आंदोलन

मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे तीन किसान विरोधी अध्यादेशों कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020, आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को वापस लेने, किसानों के संपूर्ण कर्ज मुक्ति का कानून पास करने, कोरोना दौर का सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करने, समूहों के कर्ज माफ करने, उनकी वसूली पर रोक लगाने, प्रत्येक फसल, सब्जी, फल, और दूध का एम एस पी कम से कम लागत से पचास फीसदी अधिक घोषित करने, इस दाम पर फसल खरीद की गारंटी करने, खरीद न करने पर फौजदारी जुर्म घोषित करने.

डीजल का रेट आधा करने, बिजली बिल 2020 वापस लेने, कोरोना दौर का किसानों, छोटे दुकानदारों, छोटे उद्यमियों व आमजन का बिजली बिल माफ करने, इस साल किसान के हुए नुकसान की भरपाई करने, देश में किसानों, आदिवासियों की खेती की जमीन कंपनियों को देने पर रोक लगाने, जंगल की जमीन कैम्पा कानून के नाम पर जबरन प्लांटेशन लगाना बंद करने, मनरेगा के तहत 200 दिन की गारंटी करने न्यूनतम मजदूरी की दर से भुगतान करने मांगों को लेकर व नई शिक्षा नीति के खिलाफ जन आंदोलन और जेल भरो आन्दोलन के साथ प्रधानमंत्री का पुतला दहन भी किया गया.

पढ़ेंः SPECIAL: भरतपुर के 160 आयुर्वेदिक अस्पतालों में 2 महीने से ठप पड़ी उपचार सुविधाएं

आंदोलन के दौरान ये रहे मौजूद

आंदोलन में कामरेड फूलचंद ढेवा, कामरेड फूलचंद बर्वर ,कामरेड विधाधर गिल, कामरेड रामचन्द्र कुलहरि, कामरेड सुमेर सिंह बुडानिया, कामरेड इंद्राज सिंह चारावास, कामरेड मदन यादव, कैलाश यादव, कप्तान मोहन लाल, कप्तान विधाधर, कामरेड फूलचंद बुडानिया, कामरेड पंकज गुर्जर, एडवोकेट बजरंग लाल, कामरेड विजेन्द्र कुलहरि थे.

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