झुंझुनू. जिले में किसान महासभा ने शनिवार को सरकार के खिलाफ चेतावनी रैली निकाली. चेतावनी रैली में सैकड़ों किसानों ने किसान महासभा के झंडे हाथ में लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए. ये रैली गांधी चौक से लेकर कलेक्ट्रेट तक निकाली गई. इस रैली में अखिल भारतीय किसान महासभा के सभी सदस्यों ने भाग लिया. रैली के दौरान रुक-रुक कर हो रही बरसात से रैली की संख्या में प्रभाव जरूर पड़ा, लेकिन फिर भी रैली में शामिल किसानों ने पूरी ताकत से अपनी मांगे रखी.
ये है प्रमुख मांगे...
किसान चेतावनी रैली की प्रमुख मांगों में बिजली दरों की बढ़ोतरी को जनहित में वापस लेने, कृषि कनेक्शनों की बंद 1666 रुपए प्रति बिल सब्सिडी को दोबारा बिलों में ही जारी करने, ओलावृष्टि से हो रही फसलों की तबाही का सही आकलन कर मुआवजा देने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसल की लागत का डेढ़ गुना भाव देने, किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी, कृषि बीमा नीति को खेत इकाई मानते हुए किसानों के हित में फसल बीमा नीति बनाने, वीसीआर के नाम पर लूट बंद करने, वीसीआर में वास्तविक लोड की बजाय ज्यादा लोड दर्शाना बंद करने, सेटलमेंट कमेटी में न्याय के नाम पर मजाक बंद करने की मांग की.
इसके अलावा किसानों ने आवारा पशुओं का प्रबंध कर किसानों की फसल बचाने, किसानों को प्रति माह बिना शर्त पांच हजार रुपये वृद्धावस्था पेंशन देने, कृषि कुओं के मनमाने तरीके से बढ़ाए गए लोड की जांच कर वापस लेने, 100 मीटर तक घरेलू कनेक्शनों में सर्विस डोरी की बजाय विद्युत लाइनों को खड़ा कर कनेक्शन देने, नवलगढ़ क्षेत्र में सीमेंट कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण रोकने और गैर आबादी में और जोहड़ो में बसे सभी को घरेलू विद्युत कनेक्शन देने की 16 सूत्री मांग पत्र चेतावनी रैली की तरफ से मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया. जिला कलेक्टर ने ओलावृष्टि से नष्ट हुई फसलों की सही गिरदावरी के लिए तहसीलदारों को पाबंद करने की बात कही.
पढ़ें. मदन दिलावर के सोनिया और गहलोत पर दिए बयान को लेकर हंगामा, कांग्रेस ने भी किया पलटवार
अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड फूलचंद ढेवा ने कहा कि, गहलोत सरकार हठधर्मिता छोड़ किसानों की जायज मांग मान ले, अन्यथा साल 2002 और 2003 के जैसे किसान आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहें. अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरी ने कहा कि, एक तरफ कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने पर 300 यूनिट बिजली की घोषणा करती है और दूसरी तरफ राजस्थान में बिजली दरों में डेढ़ गुना बढ़ोतरी कर जनता पर भार थोपती है. कृषि विद्युत कनेक्शनों की 1666 रुपए प्रति बिल जारी सब्सिडी को बंद करती है. ये भेदभाव राज्य का किसान बर्दाश्त नहीं करेगा.
जिला अध्यक्ष कामरेड ओम प्रकाश झारोड़ा ने कहा कि, ओलावृष्टि से जिले के कई गांव की फसलें पहले ही बर्बाद हो गई हैं और हाल ही में हो रही बरसात के कारण बुहाना, खेतड़ी और चिड़ावा के कई गांव की फसलें भी ओलावृष्टि की भेंट चढ़ रही हैं. ऐसी हालत में भी राजस्व विभाग कम नुकसान दर्शा कर किसानों के साथ मजाक कर रहा है. जिला कलेक्टर के वादे के अनुसार जिले के तहसीलदारों ने फसलों के नुकसान का सही आंकलन नहीं किया और गहलोत सरकार ने किसानों की जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो, शीघ्र ही एक बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी. जिसकी सूचना किसान महासभा की तरफ से किसानों को दे दी जाएगी.