सिंघाना/झुंझुनूं. भारत पाकिस्तान के बीच हुई 1965 की लड़ाई में शहीद हुए थली निवासी रामजीलाल सिराधना की मूर्ति का अनावरण किया गया. अनावरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजोर, सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनिया, खेतड़ी के पूर्व विधायक दाताराम गुर्जर मौदूर रहे. अतिथियों ने शहीद वीरांगना सुगनी देवी का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया. बाजोर ने संबोधित करते हुए कहा शहीद को भगवान की तरह पूजना चाहिए. कोई भी कार्य करने से पहले शहीद की मूर्ति पर धोक लगानी चाहिए जिससे वह काम अवश्य सिद्ध होगा. साथ ही उन्होंने कहा शादी विवाह में भी शहीद की मूर्ति पर धोक लगाकर ही बारात चढऩा चाहिए.
ये भी पढ़ें: 20 साल कारगिल: तोलोलिंग चोटी पर तिरंगा फहराते वक्त शहीद हुए थे प्रभुराम चोटिया
विधायक सुभाष पूनिया ने शहीद मूर्ति के पास विधायक कोटे से सिंगल फेस बोरवेल लगाने की घोषणा की. उन्होंने झुंझुनूं की धरा को वीर भूमि बताते हुए कहा यहां के कण-कण व बच्चे-बच्चे में देश भक्ति का जज्बा है पूर्व विधायक दाताराम गुर्जर ने वीर सैनिकों की वजह से ही हमारे देश के सीमाएं सुरक्षित है जिससे हम सुख चैन की जिंदगी जी रहे हैं.
कार्यक्रम का संचालन राधेश्याम भारती ने किया. शहीद के पौत्र महक सिंह ने आए हुए अतिथियों और ग्रामीणों का धन्यवाद प्रेषित किया. शहीद रामजीलाल सिराधना का जन्म 27 जुलाई 1944 को हुआ 27 मई 1963 को आर्मी में भर्ती हुए दो साल नौकरी के बाद ही भारत पाकिस्तान की लड़ाई में 25 मई 1965 को शहीद हो गए. इस मूर्ति का निर्माण प्रेम सिंह बाजोर ने अपने खर्चे से करवाया है.
ये भी पढ़े: 20 साल कारगिल: गोलियों से छलनी सीना लिए दुश्मनों को खदेड़ रहे थे शहीद भंवर सिंह
कार्यक्रम में कैप्टन इंद्राज सिंह, सुमेर, रोहतास, रण सिंह, केसी गुर्जर, सूबेदार झाबरमल, एडवोकेट सत्यवीर, डॉ हरिसिंह, सत्यवीर, गिरवर सिंह तवर, रतन सिंह, राजपाल पंवार, मदन लाल, राजेंद्र जांगिड़ शहीद सैकड़ों लोग शामिल हुए.
शहीद परिवार को नहीं मिली अभी तक सहायता:
54 साल बीत जाने के बाद भी थली के शहीद रामजीलाल का परिवार सरकार की सहायता पैकेज से वंचित है. शहीद की वीरांगना सुगनी देवी ने बताया कि शहीद पैकेज की कोई सहायता अभी तक नहीं मिली है. पेंशन के सहारे ही घर चलाना पड़ रहा है. शहीद के पौत्र महक सिंह ने बताया कि बार-बार अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं. शहीद परिवार को जो नौकरी की घोषणा हुई थी वह अभी तक पूरी नहीं की गई है.