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निकाय चुनाव 2019: अंग्रेजों के जमाने में बनी थी झुंझुनूं नगर पालिका, जयपुर स्टेट ने किया था मनोनयन

झुंझुनूं नगर परिषद का इतिहास काफी रोचक रहा है. यह शहरी निकाय आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने की है. नगर परिषद का नाम 'नामित मंडल' था. जिसका गठन 1931 में हुआ था. देखिए झुंझुनूं से स्पेशल रिपोर्ट

jhunjhunu City Council,jhunjhunu Nagar Parishad
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Published : Nov 12, 2019, 6:57 PM IST

झुंझुनूं. प्रदेश में 49 निकायों में चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में झुंझुनूं शहर के पुराने लोग नगर परिषद के इतिहास की चर्चा करते हैं कि शुरुआत में यह शहर की सरकार कैसी थी. इस बारे में शोध करने वाले और वर्तमान में चौमूं कॉलेज में प्राचार्य डॉ. कमल अग्रवाल से इतिहास के बारे में जानकारी मांगी गई. इसमें कई तरह की रोचक जानकारी निकलकर सामने आई.

झुंझुनूं नगर परिषद का रोचक इतिहास..देखिए स्पेशल रिपोर्ट

झुंझुनूं शहर की देखभाल के लिए अंग्रेजों के समय यहां की सरकार का बनाने का इतिहास लगभग 88 साल पहले से शुरू होता है. यह शहरी निकाय आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने का है और इसका गठन 1931 में हुआ था. अब तक यह अपने चार कार्यालय बदल चुकी है और नगर पालिका से शुरू होकर नगर परिषद तक पहुंच चुकी है. कभी इसमें सदस्यों की संख्या 7 हुआ करती थी. जो अब 60 तक पहुंच चुकी है. झुंझुनू परिषद का इतिहास काफी रोचक रहा है और स्थापना के समय केवल 7 सदस्य थे. नगर परिषद का नाम 'नामित मंडल' था और इसके पहले अध्यक्ष प्रेमनाथ दूत थे.

पढ़ें- निकाय चुनाव 2019: वोटर्स को लुभाने के लिए खाने-पानी की पूरी व्यवस्था, खुलेआम उड़ रही आचार संहिता की धज्जियां

7 से 60 पहुंच गई सदस्यों की संख्या
शुरुआत में इसमें नामित सदस्यों की संख्या केवल 7 हुआ करती थी. इस दौरान अध्यक्ष का मनोनयन जयपुर स्टेट ने किया था. अध्यक्ष की सहायता अन्य नामित सदस्य करते थे. बाद में 1954 में इसके सदस्यों की संख्या 16 हुई. उसके बाद 1973 में बढ़कर 24 पहुंच गई. फिर 1994 में सदस्यों की संख्या बढ़कर 35 हो गई. अब 2008 में 45 और इस चुनाव के लिए 60 तक पहुंच गई है.

पढ़ें- वंशवाद को खाद्य पानी दे रहे नगरीय निकाय चुनाव, यहां पिछले तीन दशकों से 5-7 परिवारों का है दबदबा

चार बार बदल गए कार्यालय
बता दें, पहले नामित मंडल का कार्यालय किराए के भवन में ही चलता था. बताया जाता है कि नामित मंडल का पहला कार्यालय दादाबाड़ी क्षेत्र में था. इसके बाद शहीदान चौक स्थित सिंघानिया हवेली से नामित मंडल का संचालन किया गया. वर्ष 1975-76 तक यह कार्यालय नटराज सिनेमा के पास अखेगढ़ में चला, बाद में इसके स्थाई व खुद के भवन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी थी. ऐसे में काफी वर्ष तक किराए के भवन में चलने के बाद पालिका का अपना भवन 1975-76 में वर्तमान जगह स्टेशन रोड पर स्थानांतरित हुआ. 2007 में यह पालिका क्रमोन्नत होकर नगर परिषद बन गई.

झुंझुनूं. प्रदेश में 49 निकायों में चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में झुंझुनूं शहर के पुराने लोग नगर परिषद के इतिहास की चर्चा करते हैं कि शुरुआत में यह शहर की सरकार कैसी थी. इस बारे में शोध करने वाले और वर्तमान में चौमूं कॉलेज में प्राचार्य डॉ. कमल अग्रवाल से इतिहास के बारे में जानकारी मांगी गई. इसमें कई तरह की रोचक जानकारी निकलकर सामने आई.

झुंझुनूं नगर परिषद का रोचक इतिहास..देखिए स्पेशल रिपोर्ट

झुंझुनूं शहर की देखभाल के लिए अंग्रेजों के समय यहां की सरकार का बनाने का इतिहास लगभग 88 साल पहले से शुरू होता है. यह शहरी निकाय आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने का है और इसका गठन 1931 में हुआ था. अब तक यह अपने चार कार्यालय बदल चुकी है और नगर पालिका से शुरू होकर नगर परिषद तक पहुंच चुकी है. कभी इसमें सदस्यों की संख्या 7 हुआ करती थी. जो अब 60 तक पहुंच चुकी है. झुंझुनू परिषद का इतिहास काफी रोचक रहा है और स्थापना के समय केवल 7 सदस्य थे. नगर परिषद का नाम 'नामित मंडल' था और इसके पहले अध्यक्ष प्रेमनाथ दूत थे.

पढ़ें- निकाय चुनाव 2019: वोटर्स को लुभाने के लिए खाने-पानी की पूरी व्यवस्था, खुलेआम उड़ रही आचार संहिता की धज्जियां

7 से 60 पहुंच गई सदस्यों की संख्या
शुरुआत में इसमें नामित सदस्यों की संख्या केवल 7 हुआ करती थी. इस दौरान अध्यक्ष का मनोनयन जयपुर स्टेट ने किया था. अध्यक्ष की सहायता अन्य नामित सदस्य करते थे. बाद में 1954 में इसके सदस्यों की संख्या 16 हुई. उसके बाद 1973 में बढ़कर 24 पहुंच गई. फिर 1994 में सदस्यों की संख्या बढ़कर 35 हो गई. अब 2008 में 45 और इस चुनाव के लिए 60 तक पहुंच गई है.

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चार बार बदल गए कार्यालय
बता दें, पहले नामित मंडल का कार्यालय किराए के भवन में ही चलता था. बताया जाता है कि नामित मंडल का पहला कार्यालय दादाबाड़ी क्षेत्र में था. इसके बाद शहीदान चौक स्थित सिंघानिया हवेली से नामित मंडल का संचालन किया गया. वर्ष 1975-76 तक यह कार्यालय नटराज सिनेमा के पास अखेगढ़ में चला, बाद में इसके स्थाई व खुद के भवन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी थी. ऐसे में काफी वर्ष तक किराए के भवन में चलने के बाद पालिका का अपना भवन 1975-76 में वर्तमान जगह स्टेशन रोड पर स्थानांतरित हुआ. 2007 में यह पालिका क्रमोन्नत होकर नगर परिषद बन गई.

Intro:नगर परिषद के चुनाव हो रहे हैं और पुराने लोग इसकी चर्चा करते हैं कि शुरुआत में यह शहर की सरकार कैसे थी इस बारे में शोध करने वाले व वर्तमान में चोमू कॉलेज में प्राचार्य डॉ कमल अग्रवाल से इतिहास के बारे में जानकारी मांगी गई इसमें कई तरह की रोचक जानकारी निकलकर सामने आई।


Body:झुंझुनू। झुंझुनू शहर की देखभाल के लिए अंग्रेजों के समय यहां की सरकार का बनाने का इतिहास लगभग 88 साल पहले से शुरू होता है। यह शहरी निकाय आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने का है और इसका गठन 1931 में हुआ था अब तक यह अपने चार कार्यालय बदल चुकी है और नगर पालिका से शुरू होकर नगर परिषद तक पहुंच चुकी है। कभी इसमें सदस्यों की संख्या 7 हुआ करती थी जो अब 60 तक पहुंच चुके हैं। झुंझुनू परिषद का इतिहास काफी रोचक रहा है और स्थापना के समय केवल 7 सदस्य थे नगर परिषद का नाम 'नामित मंडल' था और इसके पहले अध्यक्ष प्रेमनाथ दूत थे।

7 से पहुंच गए 60

शुरुआत में इसमें नामित सदस्यों की संख्या केवल 7 हुआ करती थी इस दौरान अध्यक्ष का मनोनयन जयपुर स्टेट ने किया था अध्यक्ष की सहायता अन्य नामित सदस्य करते थे बाद में 1954 में इसके सदस्यों की संख्या 16, 1973 में हुआ बढ़ाकर 24, 1994 में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 35, 2008 में 45 व इस चुनाव के लिए 60 कर दी गई है।


चार बार बदल गए कार्यालय, 45 साल से इसी जगह

शुरुआत में नामित मंडल का कार्यालय किराए के भवन में ही चलता था बताया जाता है कि नामित मंडल का पहला कार्यालय दादावाड़ी क्षेत्र में था इसके बाद शहीदान चौक स्थित सिंघानिया हवेली से नामित मंडल का संचालन किया गया। वर्ष 1975-76 तक यह कार्यालय नटराज सिनेमा के पास अखेगढ़ में चला बाद में इसके स्थाई व खुद के भवन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी थी। ऐसे में काफी वर्ष तक किराए के भवन में चलने के बाद पालिका का अपना भवन 1975-76 में वर्तमान जगह स्टेशन रोड पर स्थानांतरित हुआ। 2007 में यह पालिका क्रमोन्नत होकर नगर परिषद बन गई।

बाइट नगर परिषद पर पीएचडी करने वाले डॉक्टर कमल चंद अग्रवाल


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