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सरकार ने 50 साल बाद चुकाया शहीद का कर्ज, अन्य परिजन भी कर सकते हैं ये दावा

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Published : Aug 2, 2019, 5:26 PM IST

देश की आजादी के बाद कम संसाधनों के बावजूद आंतरिक और बाहरी संघर्ष से लड़ते हुए अपनी जान देने वाले जवानों के लिए राजस्थान सरकार ने बीते साल नंबर में अधिसूचना जारी की थी. इसमें शहीद के किसी एक ब्लड रिलेशन वाले परिजन को नौकरी देनी थी और झुंझुनू में इस तरह से राजस्थान में पहली नौकरी मिल गई है.

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झुंझुनू. प्रदेश सरकार ने 50 साल बाद शहीद के परिजनों को नौकरी देकर कहीं न कहीं उनका कर्ज चुकाने का प्रयास किया है. सरकार ने 3 अक्टूबर 2018 को अधिसूचना जारी की गई थी कि 15 अगस्त 1947 से 30 दिसंबर 1970 के बीच जवान के किसी ब्लड रिलेशन वाले परिजन को सरकारी नौकरी दी जाएगी. इसके बाद सबसे पहले झुंझुनू सैनिक कल्याण बोर्ड ने सारी औपचारिकताएं पूरी कर फाइल सरकार को भिजवाई.

प्रदेश सरकार ने झुंझुनू में 50 साल बाद चुकाया शहीद का कर्ज

इसके साथ ही नागालैंड संघर्ष के दौरान 24 जुलाई 1967 को शहीद नौरंग सिंह के दत्तक पुत्र योगेश कुमार को कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्ति दे दी गई. इसके लिए वीरांगना जानकी देवी की ओर से आवेदन किया नागया था. इस तरह से 1947 से 1970 के बीच शहीद हुए जवानों के लिए पहली नौकरी झुंझुनू में मिली है.

यह भी पढ़ेंः झुंझुनू : बोलेरो और बस की भिड़ंत, 1 की मौत और 4 गंभीर घायल

गोद लिए पुत्र को मिली नौकरी
जानकारी के अनुसार शहीद नौरंग सिंह कम आयु में ही शहीद हो गए थे और उनके कोई भी संतान नहीं थी. ऐसे में वीरांगना जानकी देवी ने योगेश कुमार को गोद लिया था और सरकार के नए नियम के अनुसार वे नौकरी के पात्र थे. जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में अपील की है कि यदि इसी तरह से 1947 से 1970 के बीच शहीद हुए किसी भी जवान के परिजन नौकरी चाहते हैं तो वे सैनिक कल्याण बोर्ड मे आवेदन दे सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः झुंझुनू में चिकित्सकों ने किया NMC बिल का विरोध​​​​​​​

एक ही परिजन को मिलेगी नौकरी
अधिसूचना के अनुसार शहीद के किसी एक परिजन को नौकरी दी जा सकती है. इसके लिए पौत्र व दोहीते भी नौकरी के हकदार हैं. लेकिन कोई एक ही इसका हकदार होगा. ब्लड रिलेशन इस ज्यादा आवेदक ज्यादा होने की स्थिति में अन्य लोगों शपथ पत्र देना होगा कि वे उक्त को नौकरी देने पर सहमत हैं.

झुंझुनू. प्रदेश सरकार ने 50 साल बाद शहीद के परिजनों को नौकरी देकर कहीं न कहीं उनका कर्ज चुकाने का प्रयास किया है. सरकार ने 3 अक्टूबर 2018 को अधिसूचना जारी की गई थी कि 15 अगस्त 1947 से 30 दिसंबर 1970 के बीच जवान के किसी ब्लड रिलेशन वाले परिजन को सरकारी नौकरी दी जाएगी. इसके बाद सबसे पहले झुंझुनू सैनिक कल्याण बोर्ड ने सारी औपचारिकताएं पूरी कर फाइल सरकार को भिजवाई.

प्रदेश सरकार ने झुंझुनू में 50 साल बाद चुकाया शहीद का कर्ज

इसके साथ ही नागालैंड संघर्ष के दौरान 24 जुलाई 1967 को शहीद नौरंग सिंह के दत्तक पुत्र योगेश कुमार को कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्ति दे दी गई. इसके लिए वीरांगना जानकी देवी की ओर से आवेदन किया नागया था. इस तरह से 1947 से 1970 के बीच शहीद हुए जवानों के लिए पहली नौकरी झुंझुनू में मिली है.

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गोद लिए पुत्र को मिली नौकरी
जानकारी के अनुसार शहीद नौरंग सिंह कम आयु में ही शहीद हो गए थे और उनके कोई भी संतान नहीं थी. ऐसे में वीरांगना जानकी देवी ने योगेश कुमार को गोद लिया था और सरकार के नए नियम के अनुसार वे नौकरी के पात्र थे. जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में अपील की है कि यदि इसी तरह से 1947 से 1970 के बीच शहीद हुए किसी भी जवान के परिजन नौकरी चाहते हैं तो वे सैनिक कल्याण बोर्ड मे आवेदन दे सकते हैं.

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एक ही परिजन को मिलेगी नौकरी
अधिसूचना के अनुसार शहीद के किसी एक परिजन को नौकरी दी जा सकती है. इसके लिए पौत्र व दोहीते भी नौकरी के हकदार हैं. लेकिन कोई एक ही इसका हकदार होगा. ब्लड रिलेशन इस ज्यादा आवेदक ज्यादा होने की स्थिति में अन्य लोगों शपथ पत्र देना होगा कि वे उक्त को नौकरी देने पर सहमत हैं.

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arvind


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