झुंझुनू. जिले की राजनीति में कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामनारायण चौधरी की राजनीतिक अदावत का लंबा संघर्ष रहा है जो अब दूसरी पीढ़ी में भी जारी है. इसमें बड़ी बात यह है कि मंडावा विधानसभा उपचुनाव के लिए ओला परिवार ना तो प्रचार में आ रहा है और ना ही किसी तरह की बैठकों में हिस्सा ले रहा है.
भाजपा भी इसे समझ रही है. भले ही जिले के सभी नेताओं को निशाने पर लिया जा रहा हो, लेकिन शीशराम ओला और उनके परिवार पर निशाना नहीं साधा जा रहा है. भाजपा के सहयोगी संगठन आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने रामनारायण चौधरी को विकास को अवरुद्ध करने वाला बताया, लेकिन शीशराम ओला की प्रशंसा के पुल बांधे.
ओला परिवार में बृजेंद्र ओला विधायक, उनकी पत्नी पूर्व जिला प्रमुख और वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी तथा पुत्र वधू आकांक्षा राष्ट्रीय महिला कांग्रेस में सचिव के रूप में राजनीति में सक्रिय हैं.
भाजपा प्रत्याशी की ओला परिवार से रही है नजदीकी...
अभी यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रधान सुशीला सींगड़ा ओला परिवार के बेहद नजदीक रही हैं. वे गत विधानसभा चुनाव में विधायक बृजेंद्र ओला के नामांकन में शामिल रहीं, लेकिन रामनारायण चौधरी की पुत्री रीटा चौधरी की जमकर खिलाफत की. जिसके बाद सुशीला सींगड़ा को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया.
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मामला यही नहीं रुका, इसका खामियाजा रीटा चौधरी को भुगतना पड़ा और वे चुनाव हार गई. अब भी यह आरोप लग रहे हैं कि ओला परिवार अंदरखाने रामनारायण चौधरी के परिवार के खिलाफ काम कर रहा है. इस बारे में पार्टी के सह प्रभारी तरुण कुमार ने बयान दिया था कि पार्टी मामले पर नजर रखे हुए हैं और वे इस बारे में चर्चा करेंगे.