झुंझुनू. कृषि प्रधान देश भारत में सबसे ज्यादा योजनाएं किसान को ध्यान में रखकर बनाई जाती है. इसके बावजूद भारत में सबसे ज्यादा कोई पीड़ित है, तो किसान है. अपनी ही जमीन को गिरवी रखने के बावजूद बैंक से लोन नहीं देते और दलालों के बिना उसका कोई काम नहीं होता.
किसानों के साथ ठगी की वारदातें ज्यादा होती हैं. अब जब कोरोना महामारी के काल में भारत सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की गई है तो उसमें किसानों के लिए भी बहुत कुछ रखा हुआ है. किसानों को राहत देने के लिए घोषणा ही हुई और इसी के साथ ठग भी सक्रिय हो गए. किसानों की जेब पर डाका डालने के लिए ठगों ने नई रणनीति अपनाई है.
ठग ऐसे बना रहे किसानों को निशाना
कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री किसान ट्रैक्टर योजना 2020 नाम से किसानों को अनुदान पर ट्रैक्टर उपलब्ध करवाने के बारे में जानकारी दी जा रही है. इसे इस तरह प्रचारित किया जा रहा है जैसे सरकार की योजना हो. इसमें बताया जा रहा है कि मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में लगातार काम कर रही है. अब नया वित्त वर्ष 2020-21 शुरू हो गया है. इसमें किसानों की पात्रता और राज्य सरकार के नियमों के अनुसार 30 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है.
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खास बात यह है कि किसान किसी भी कंपनी का ट्रैक्टर खरीद सकता है. उसे केवल आधी कीमत चुकानी होती है. ठगों ने किसानों को ऑनलाइन लिंक भी भेजे हैं. कृषि विभाग ने कहा है कि ऐसे प्रलोभनों से किसान सावधान रहें. यह किसी असामाजिक तत्वों द्वारा प्रायोजित हो सकती है. वह आवेदन फार्म व फाइल चार्ज के नाम पर ठग सकते हैं.
आ रहे हैं बड़ी संख्या में फोन
ठग इसे मोदी सरकार की स्कीम बताते हुए आधे पैसों में नया ट्रैक्टर देने का झांसा दे रहे हैं. इसकी पूछताछ करने के लिए किसान कृषि विभाग के चक्कर लगा रहे हैं तो कई फोन पर भी जानकारी ले रहे हैं. विभागीय अधिकारी व कर्मचारी इन फोन कॉल्स से परेशान हो गए हैं.
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कृषि विभाग ने किसानों को चेताया है कि ऐसी कोई योजना केंद्र और राज्य सरकार की नहीं है. किसी के झांसे में ना आएं वरना आपको रजिस्ट्रेशन से लेकर डिलीवर तक करने के नाम पर पैसे हड़पे जा सकते हैं. सरकार की ओर से ट्रैक्टर पर सब्सिडी देने वाली खबर फर्जी है. पिछले 1 सप्ताह से इस योजना की जानकारी लेने के लिए जिले के सैकड़ों किसानों के फोन आ रहे हैं.
लिंक के बावजूद नहीं पकड़ पाना है लापरवाही
जिस तरह से किसानों को ठगने के लिए इस योजना का प्रचार प्रसार सोशल मीडिया पर किया जा रहा है. उससे साफ है कि कहीं ना कहीं सीधे तौर पर सुरक्षा एजेंसियों को भी इसकी खबर है. वहीं जिस तरह से लिंक दिए गए हैं, उसे यह भी स्पष्ट है कि यदि सुरक्षा एजेंसियां चाहे तो इन ठगों का पर्दाफाश कर सकती है.
बाद में जब कोई किसान ठगा जाएगा और कई तरह के मुकदमे दर्ज होंगे तो उसके बाद पुलिस या अन्य सुरक्षा एजेंसियां उन को पकड़ने का प्रयास करेंगे. लेकिन तब तक हो सकता है कि कई किसान अपना पैसा ठगों के हवाले कर दें.