झुंझुनू. हवेलियों और चित्रकारी के लिए विख्यात मलसीसर कस्बे के पास स्थित बंका सेठ की जोहड़ी को 35 साल बाद पानी मिला तो एक बारिश तो उसका गला तर करने में ही लग गई. मिट्टी और कचरे से भरी हुई बंका सेठ की जोहड़ी की ईटीवी भारत की मुहिम के बाद खुदाई हुई तो यहां पर लगभग 35 साल बाद पानी आया. इतने साल सूखी रहने से जोहड़ी की अंदर की धरती को सालों से पानी नहीं मिला था, इसलिए पहली बार इसका पूरा पानी धरा नहीं अपने अंदर समेट लिया. हालांकि अभी यह तय है अब जो इस जोड़ी में पानी आएगा, वह सारा जहां पशु धन की प्यास बुझाएगा, वहीं धीरे-धीरे वाटर रिचार्ज करने का काम भी करेगा और इसके चलते आसपास का जलस्तर भी बढ़ेगा. हालांकि गांव के लोग तो इसी बात से खुश हैं कि 35 साल से कम से कम इस जोहड़ी में पानी आना तो शुरू हुआ.
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इतना सारा पानी जाने के बावजूद भी है पानी
पहली बारिश में जोहड़ी के आधा भर जाने और उसका अच्छा खासा पानी धरती में वाटर हार्वेस्टिंग के रूप में जाने के बावजूद अभी भी जोहड़ी में अच्छा-खासा पानी दिखाई दे रहा है. इसमें अब जो भी पानी आएगा वह जोहड़ी में ठहराव करेगा और एक लंबे समय तक धीरे-धीरे रिसता हुआ धरती में जा कर वाटर रिचार्ज का काम करेगा. इसके अलावा स्थानीय लोगों के पशुधन के साथ साथ आवारा घूम रही गायों का गला भी तर करेगा.
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बारिश हुई तो आधी भर गई थी जोहड़ी
जब यहां पर खुदाई के बाद पहली बारिश आई तो खुद वहां मौजूद गांव के लोग बताते हैं कि इतना पानी आया की जोहड़ी आधी भर गई थी. इतने साल तक पानी नहीं आने से यह पानी धरती पी गई लेकिन यह खुशी की बात है कि इतने साल के बाद इसमें पानी आया है. हालांकि अब गांव वालों का एक दर्द यह भी है कि इस जोहड़ी में बड़ी संख्या में अतिक्रमण हो रखे हैं और प्रशासन को चाहिए कि उसे भी हटाए.
ईटीवी भारत की मुहिम के दौरान जब जिला कलेक्टर रवि जैन ने खुदाई की शुरुआत की थी. तभी गांव वालों ने यह मांग रखी थी ईटीवी भारत इस जोड़ी की खुदाई करवाकर बेहतरीन कार्य कर रहा है लेकिन अतिक्रमण हटाए जाने भी जरूरी हैं. ताकि बंका सेठ की जोहड़ी अपने पुराने वास्तविक रूप में आ सके और ज्यादा से ज्यादा पानी वाटर रिचार्ज के रूप में काम आए.
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इस तरह से गांव वालों की माने तो अभी भी कुछ नाले बंद है और प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण हटाया गया और कुछ नए नाले खोल दिए गए तो हो सकता है कि इस जोहड़ी में और भी ज्यादा पानी आए.