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राजस्थान दिवस विशेष: राज्य पुष्प रोहिडा से महक उठी धोरों की धरती...जानें क्या है खास

झुंझुनूं में राज्य पुष्प रोहिडा के फूल ने पूरी धरती को महका दिया है.इस फूल को राज्य पुष्प होने का गौरव हासिल है.

धोरों की धरती को महकाते रोहिडा के फूल
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Published : Mar 30, 2019, 10:00 PM IST

झुंझुनूं. राज्य पुष्प रोहिडा के फूल इस समय पूरे परवान पर आकर खिले हुए हैं और धोरों की धरती इसकी खुशबू से महक रही है. लाल सुर्ख रंग के बड़े इस फूल को राज्य पुष्प होने का गौरव ही इसलिए हासिल है कि इसकी भीनी-भीनी खुशबू पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है.मरुस्थल और सम मरुस्थल पट्टी में यह बहुतायत में होता है और फागुन के बाद में जब हवा चलती है तो इस की महक से धोरों की धरती अपने आप को आनंदित महसूस करती है. यह मरुस्थल की शोभा है. राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिडा को 1983 में घोषित किया गया था.

इस फूल को राज्य पुष्प होने का गौरव हासिल है

इसका वैज्ञानिक नाम टिकोमेला अंडूलेटा है. इसको मरुस्थल का मरूशौभा और रेगिस्तान का सागवान भी कहा जाता है. रोहिड़ा सर्वाधिक पश्चिमी राजस्थान में मिलता है और उसका पुष्प मार्च-अप्रैल के महिने में खिलता है.जोधपुर में तो इसे मारवाड़ का टीक भी कहा जाता है.रोहिड़ा की लकड़ी भी मुलायम होने के कारण महंगी होती है और बेहद उपयोग मानी जाती है. इससे दरवाजे फर्नीचर बनाए जाते हैं क्योंकि इसमें दिमक नहीं लगती है. इसलिए इसका भाव भी प्रति क्यूब के हिसाब से होता है.

झुंझुनूं. राज्य पुष्प रोहिडा के फूल इस समय पूरे परवान पर आकर खिले हुए हैं और धोरों की धरती इसकी खुशबू से महक रही है. लाल सुर्ख रंग के बड़े इस फूल को राज्य पुष्प होने का गौरव ही इसलिए हासिल है कि इसकी भीनी-भीनी खुशबू पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है.मरुस्थल और सम मरुस्थल पट्टी में यह बहुतायत में होता है और फागुन के बाद में जब हवा चलती है तो इस की महक से धोरों की धरती अपने आप को आनंदित महसूस करती है. यह मरुस्थल की शोभा है. राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिडा को 1983 में घोषित किया गया था.

इस फूल को राज्य पुष्प होने का गौरव हासिल है

इसका वैज्ञानिक नाम टिकोमेला अंडूलेटा है. इसको मरुस्थल का मरूशौभा और रेगिस्तान का सागवान भी कहा जाता है. रोहिड़ा सर्वाधिक पश्चिमी राजस्थान में मिलता है और उसका पुष्प मार्च-अप्रैल के महिने में खिलता है.जोधपुर में तो इसे मारवाड़ का टीक भी कहा जाता है.रोहिड़ा की लकड़ी भी मुलायम होने के कारण महंगी होती है और बेहद उपयोग मानी जाती है. इससे दरवाजे फर्नीचर बनाए जाते हैं क्योंकि इसमें दिमक नहीं लगती है. इसलिए इसका भाव भी प्रति क्यूब के हिसाब से होता है.

Intro:झुंझुनू। राज्य पुष्प रोहिडा के फूल इस समय पूरे परवान पर आकर खिले हुए हैं और धोरों की धरती इसकी खुशबू से महक रही है। लाल सुर्ख रंग के बड़े इस फूल को राज्य पुष्प होने का गौरव ही इसलिए हासिल है कि इसकी भीनी भीनी खुशबू पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है। मरुस्थल व सम मरुस्थल पट्टी में यह बहुतायत में होता है और फागुन के बाद में जब हवा चलती है तो इस की महक से धोरों की धरती अपने आप को आनंदित महसूस करती है ।


Body:यह है मरुस्थल की शोभा
राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिडा को 1983 में घोषित किया गया था व इसका वैज्ञानिक नाम टिकोमेला अंडूलेटा है। इसको मरुस्थल का मरूशौभा व रेगिस्तान का सागवान भी कहा जाता है। रोहिड़ा सर्वाधिक पश्चिमी राजस्थान में मिलता है और उसका पुष्प मार्च-अप्रैल के माह में खिलता है । जोधपुर में तो इसे मारवाड़ का टीक भी कहा जाता है ।


Conclusion:रेगिस्तान की इमारती लकड़ी
रोहिड़ा की लकड़ी भी मुलायम होने के कारण महंगी होती है और बेहद उपयोग मानी जाती है । इससे दरवाजे फर्नीचर बनाए जाते हैं क्योंकि इसमें दिमक नहीं लगती है। इसलिए इसका भाव भी प्रति क्यूब के हिसाब से होता है।

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