झुंझुनू. केंद्र और राज्य सरकार की किसान और जनविरोधी नीतियों के विरोध में कलेक्ट्रेट पर धरना-प्रदर्शन किया गया. माकपा और जनवादी संगठनों की ओर से कोरोना काल में उपभोक्ताओं के छह माह का बिजली का बिल माफ करने, बढ़ी बिजली दरों को वापस लेने, वीसीआर के नाम पर प्रताड़ना समेत विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया. एईएन कार्यालयों पर बिजली बिल की प्रतियां भी जलाने का निर्णय लिया गया. बताया कि केंद्र सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे.
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट, ट्रेन समेत अन्य सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रही है. किसान और मजदूरों के खिलाफ अध्यादेश लाए जा रहे हैं जिससे उनका शोषण बढ़ेगा. बिजली चोरी के नाम पर डिस्कॉम के अधिकारी रात में घरों में छापेमारी कर रहे जिससे बाधा उत्पन्न हो रही है. कोरोना से प्रभावित जनता को राहत देने की बजाय बिजली दरों में बढ़ोतरी की गई है.
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प्रदर्शन के बाद प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम राजेंद्र अग्रवाल की मौजूदगी में डिस्कॉम एसई राजेंद्र सिंह शेखावत से वार्ता की. इस दौरान कहा गया कि रसीद उपभोक्ताओं को तुरंत दी जाएं, घरेलू उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग डिस्कॉम को नियमित कर्मचारी लेकर जाएगा, 33 केवी जीएसएस पर बिजली उपकरण आवश्यक रूप से स्थापित किए जाएंगे, किसानों को लोड बढ़ाने के नाम पर प्रताड़ित नहीं करने पर सहमति बनी. लेकिन रात के समय वीसीआर नहीं भरने पर सहमति नहीं हुई.
वार्ता में विद्याधर गिल, मदन यादव, गिरधारीलाल, बिलाल कुरेशी, मूलचंद खरीटा मौजूद रहे. धरने पर मौजूद आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने बिजली की बढ़ी दरों के विरोध में सहायक अभियंता कार्यालय पर बिल की कॉपी जलाने का निर्णय लिया, जिसके बाद एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.