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Special: तितलियों के झुंड ने बढ़ाया कौतूहल, विशेषज्ञ बोले- चिंता की बात नहीं - झुंझुनूं में तितलियों का प्रवासन

शेखावाटी क्षेत्र में इन दिनों सफेद और हल्के पीले रंग की तितलियों के झुंड पश्चिम से पूर्व की ओर जाते नजर आ रहे हैं. तितलियों के इस प्रकार से प्रवासन के कारण क्षेत्र के लोगों में कौतूहल का माहोल है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने विशेषज्ञों से इस विषय में चर्चा की और जानकारी ली.

झुंझुनू न्यूज, झुंझुनू में तितलियों का प्रवासन, Migration of butterflies to Jhunjhunu
तितलियों का प्रवासन
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Published : Oct 2, 2020, 10:50 PM IST

झुंझुनू. प्रकृति के खेल को समझ पाना इंसानों के लिए कभी-कभी मुश्किल हो जाता है. प्राकृतिक घटनाएं हमेशा इंसानों को आश्चर्यचकित करती आई हैं. इन दिनों शेखावाटी क्षेत्र में भी इसी तरह की एक प्राकृतिक घटना लोगों को अचरज में डाल रही हैं. शेखावटी के इलाकों में पिछले कुछ दिनों ने सफेद और हलके पीले रंग की तितलियों के झुंड एक तय दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर जाता दिख रहा है, जो कि लोगों के बीच कौतूहल का विषय बन गया है. वहीं किसानों में मन में इन्हें लेकर थोड़ा डर भी है.

तितलियों का प्रवासन

बता दें कि आमतौर पर तितलियों का ये झुंड पांच से दस फीट की उंचाई पर उड़ता है. लेकिन किसी तरह की बाधा जैसे पेड़, मकान या अन्य कुछ सामने आने पर ये ऊंचाई में उड़ने लगते हैं. पिछले कुछ दिनों में से इनके झुंड दिखाई दे रहे हैं. कृषि विभाग और विशेषज्ञों की माने तो यह तितलियां प्रवासन कर रही हैं. हर साल ये बहुत कम दिखाई देती हैं, लेकिन इस साल किसी कारण से ये बडी संख्या में प्रवासन कर रही हैं.

ये पढ़ें: स्पेशल: लॉकडाउन और कोरोना ने छिना रोजगार, तो खिलौनों से मिला काम

एकतरफा प्रवासन करती हैं तितलियां

जानकारों और विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र में इन दिनों दिखाई दे रहीं तितलियां पायरस ब्रेसकी प्रजाति की हैं. यह हल्के पीले रंग की होती हैं. इसलिए इन तितलियों को लेमन इमीग्रेंट नाम से भी जाना जाता है. वहीं इस बारे में विशेषज्ञों की मानें तो पक्षियों, स्तनधारियों या मछलियों की तरह ही तितलियां भी प्रवासन करती हैं. वास्तव में तितलियां सफलतापूर्वक एक लंबी और सफल यात्रा तय करती है. लेकिन सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि ये यात्राएं आमतौर पर एकतरफ की ही होती हैं. यात्रा करने वाली तितलियाँ अपने जन्म स्थल पर वापस नहीं लौटती हैं. जो तितलियां लौटती हैं वो उनकी नई पीढ़ियां होती हैं. लेकिन इसमें सबसे रहस्यमय बात तो यह है कि तितलियों की नई पीढ़ी को वापस आने का रास्ता कैसे पता होता है. भारत में भी तितलियों द्वारा प्रवास करने को लेकर गहराई से अध्ययन करने की बातें सामने आती रहीं हैं.

किसानों को सता रही चिंता

कुछ महीने पहले ही राजस्थान टिड्डी दलों का प्रकोप झेल चुका है. जिसमें किसानों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई. ऐसे में जब क्षेत्र मे लोगों ने तितलियों के झुंड देखे तो वह डर गए. वहीं लोगों में अपफवाहें भी उड़ने लगी. किसानों को अपनी फसलों की चिंता सताने लगी. कृषि विभाग ने सबको यह आश्वस्त किया है कि यह तितलियां ही हैं, इनसे किसानों या प्रकृति या फसल को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं है. जबकि यह फायदेमंद ही हैं और परागण में सहायक सिद्ध होंगी.

कई कारणों से तितलियां करती हैं प्रवासन

राजकीय मोरारका कॉलेज के जूलोजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफसर राजमोहन मीणा बताते हैं कि तितलियों द्वारा प्रवासन कई कारणों से होता है. अनुकूल परिस्थितियों की तलाश में वयस्कों और क्रमिक पीढ़ियों द्वारा प्रवासन किया जाना उनमें से एक है. तितलियों द्वारा प्रवासन मुख्य रूप से मौसम के परिवर्तन या खाद्य पौधों की कमी के कारण किया जाता है.

ये पढ़ें: Special: मेवाड़ के मुकेश ने खोज निकाली तितलियों की नई प्रजाति 'स्पीआलिया जेब्रा'

तितलियों के प्रवासन तीन प्रकार के होते हैं. जिन्हें छोटी दूरी, लंबी दूरी और प्रसार में विभाजित किया गया है. छोटी दूरी में प्रवासन आमतौर पर स्थानीय जगहों पर प्रतिदिन किया जाता है. आमतौर पर प्रतिकूल मौसम की स्थिति से बचने के लिए. वहीं कई बार तितलियां भोजन खत्म होने पर भी अस्थायी रूप से अपने निवास स्थान से दूसरे में चली जाती हैं, यह दूसरे प्रकार का प्रवासन है.

वहीं तीसरे प्रकार के प्रसार प्रवासन में तितलियों के कुछ समूह आते हैं. इस तरह का प्रवासन हमारे देश में राजस्थान और बांग्लादेश में होता है. इन्हें अधिकतर समूह में देखा जाता है. इसमें अक्सर वयस्क तितलियां अगली पीढ़ी के लिए पर्याप्त खाद्य पौधों वाले क्षेत्रों की तलाश में प्रसार करती हैं. इसमें तितलियां केवल एक दिशा में उड़ती हैं और ये प्रसार अचानक ही शुरू हो जाता है.

विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत में तितलियों द्वारा प्रवासन करने का कोई सटीक कारण आज भी नहीं पता चल पाया है. इसके लिए एक गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है. ऐसे में तितलियों का इस तरह से प्रवासन करना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है. तितलियों का प्रवासन एक प्राकृतिक घटना है. जिसमें किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता.

झुंझुनू. प्रकृति के खेल को समझ पाना इंसानों के लिए कभी-कभी मुश्किल हो जाता है. प्राकृतिक घटनाएं हमेशा इंसानों को आश्चर्यचकित करती आई हैं. इन दिनों शेखावाटी क्षेत्र में भी इसी तरह की एक प्राकृतिक घटना लोगों को अचरज में डाल रही हैं. शेखावटी के इलाकों में पिछले कुछ दिनों ने सफेद और हलके पीले रंग की तितलियों के झुंड एक तय दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर जाता दिख रहा है, जो कि लोगों के बीच कौतूहल का विषय बन गया है. वहीं किसानों में मन में इन्हें लेकर थोड़ा डर भी है.

तितलियों का प्रवासन

बता दें कि आमतौर पर तितलियों का ये झुंड पांच से दस फीट की उंचाई पर उड़ता है. लेकिन किसी तरह की बाधा जैसे पेड़, मकान या अन्य कुछ सामने आने पर ये ऊंचाई में उड़ने लगते हैं. पिछले कुछ दिनों में से इनके झुंड दिखाई दे रहे हैं. कृषि विभाग और विशेषज्ञों की माने तो यह तितलियां प्रवासन कर रही हैं. हर साल ये बहुत कम दिखाई देती हैं, लेकिन इस साल किसी कारण से ये बडी संख्या में प्रवासन कर रही हैं.

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एकतरफा प्रवासन करती हैं तितलियां

जानकारों और विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र में इन दिनों दिखाई दे रहीं तितलियां पायरस ब्रेसकी प्रजाति की हैं. यह हल्के पीले रंग की होती हैं. इसलिए इन तितलियों को लेमन इमीग्रेंट नाम से भी जाना जाता है. वहीं इस बारे में विशेषज्ञों की मानें तो पक्षियों, स्तनधारियों या मछलियों की तरह ही तितलियां भी प्रवासन करती हैं. वास्तव में तितलियां सफलतापूर्वक एक लंबी और सफल यात्रा तय करती है. लेकिन सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि ये यात्राएं आमतौर पर एकतरफ की ही होती हैं. यात्रा करने वाली तितलियाँ अपने जन्म स्थल पर वापस नहीं लौटती हैं. जो तितलियां लौटती हैं वो उनकी नई पीढ़ियां होती हैं. लेकिन इसमें सबसे रहस्यमय बात तो यह है कि तितलियों की नई पीढ़ी को वापस आने का रास्ता कैसे पता होता है. भारत में भी तितलियों द्वारा प्रवास करने को लेकर गहराई से अध्ययन करने की बातें सामने आती रहीं हैं.

किसानों को सता रही चिंता

कुछ महीने पहले ही राजस्थान टिड्डी दलों का प्रकोप झेल चुका है. जिसमें किसानों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई. ऐसे में जब क्षेत्र मे लोगों ने तितलियों के झुंड देखे तो वह डर गए. वहीं लोगों में अपफवाहें भी उड़ने लगी. किसानों को अपनी फसलों की चिंता सताने लगी. कृषि विभाग ने सबको यह आश्वस्त किया है कि यह तितलियां ही हैं, इनसे किसानों या प्रकृति या फसल को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं है. जबकि यह फायदेमंद ही हैं और परागण में सहायक सिद्ध होंगी.

कई कारणों से तितलियां करती हैं प्रवासन

राजकीय मोरारका कॉलेज के जूलोजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफसर राजमोहन मीणा बताते हैं कि तितलियों द्वारा प्रवासन कई कारणों से होता है. अनुकूल परिस्थितियों की तलाश में वयस्कों और क्रमिक पीढ़ियों द्वारा प्रवासन किया जाना उनमें से एक है. तितलियों द्वारा प्रवासन मुख्य रूप से मौसम के परिवर्तन या खाद्य पौधों की कमी के कारण किया जाता है.

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तितलियों के प्रवासन तीन प्रकार के होते हैं. जिन्हें छोटी दूरी, लंबी दूरी और प्रसार में विभाजित किया गया है. छोटी दूरी में प्रवासन आमतौर पर स्थानीय जगहों पर प्रतिदिन किया जाता है. आमतौर पर प्रतिकूल मौसम की स्थिति से बचने के लिए. वहीं कई बार तितलियां भोजन खत्म होने पर भी अस्थायी रूप से अपने निवास स्थान से दूसरे में चली जाती हैं, यह दूसरे प्रकार का प्रवासन है.

वहीं तीसरे प्रकार के प्रसार प्रवासन में तितलियों के कुछ समूह आते हैं. इस तरह का प्रवासन हमारे देश में राजस्थान और बांग्लादेश में होता है. इन्हें अधिकतर समूह में देखा जाता है. इसमें अक्सर वयस्क तितलियां अगली पीढ़ी के लिए पर्याप्त खाद्य पौधों वाले क्षेत्रों की तलाश में प्रसार करती हैं. इसमें तितलियां केवल एक दिशा में उड़ती हैं और ये प्रसार अचानक ही शुरू हो जाता है.

विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत में तितलियों द्वारा प्रवासन करने का कोई सटीक कारण आज भी नहीं पता चल पाया है. इसके लिए एक गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है. ऐसे में तितलियों का इस तरह से प्रवासन करना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है. तितलियों का प्रवासन एक प्राकृतिक घटना है. जिसमें किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता.

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