खेतड़ी (झुंझुनू). भाजपा का गढ़ कहे जाने वाली नगर पालिका अध्यक्ष की सीट पर दो दशक बाद कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा लिया है. रविवार को हुई अध्यक्ष पद की मतगणना में तीन नंबर वार्ड से निर्वाचित गीता देवी कांग्रेस की नई पालिका अध्यक्ष बनी.
पालिका अध्यक्ष के पद के लिए 3 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिसमें भाजपा की रीमा शाह, इंडियन नेशनल कांग्रेस की गीता देवी और निर्दलीय उम्मीदवार किरण बाला थी. कांग्रेस की गीता देवी को 14 और भाजपा की रीमा शाह को 11 मत मिले, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी किरण बाला के एक भी वोट नहीं आया. गीता देवी को 3 मतों से विजयी घोषित किया गया.
मुख्य रिटर्निंग अधिकारी राजपाल यादव ने बताया कि इंडियन नेशनल कांग्रेस की गीता देवी को 14 और भाजपा की रीमा शाह को 11 मत मिले, जिसमें गीता देवी को 3 मतों से विजयी घोषित किया गया. विजयी उम्मीदवार गीता देवी को रिटर्निंग अधिकारी ने शपथ दिलाकर प्रमाण पत्र दिया. शपथ ग्रहण के बाद गीता देवी के समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा और एक दूसरे को माला और मिठाईयां खिलाकर बधाइयां देने लगे. साथ ही गीता देवी की जीत के जयकारे लगने लगे.
मीडिया से रूबरू होते हुए नई अध्यक्षा गीता देवी ने कहा कि शहर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा और नगर पालिका में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पूरा मान सम्मान दिया जाएगा. जरूरतमंद लोगों के चयनित कार्ड बनाए जाएंगे. पर्यटन के दृष्टिकोण से पीछे रही खेतड़ी को पर्यटक नगरी का दर्जा दिलवाया जाएगा. कस्बे में घूम रहे आवारा पशुओं पर लगाम लगाई जाएगी.
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कांग्रेस की जीत के मुख्य वजह
कांग्रेस की जीत की मुख्य वजह यह रही कि पालिका के 25 वार्डों में 8 कांग्रेस के प्रत्याशी जीत कर आए, जो भाजपा से ज्यादा थे. कांग्रेस विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूरी रणनीति तैयार कर कांग्रेस को जीत हासिल करवाने में मुख्य भूमिका निभाई.
भाजपा की हार के मुख्य कारण
भाजपा की हार के मुख्य कारण यह रहा कि वार्डों में टिकटों का गलत वितरण भाजपा को वार्डों की जीत में ही पीछे कर दिया. आधा दर्जन से अधिक भाजपा प्रत्याशि अपनी जमानत भी वार्डों में नहीं बचा पाए. जिसका खामियाजा अध्यक्ष पद के चुनाव में भी देखने को मिला. सूत्रों कि मानी जाए तो खेतड़ी में लगाए गए भाजपा प्रभारी और सर्वे करने वाली टीम ने बिना ठीक से सर्वे किए ही टिकटों का वितरण कर दिया. जिसकी वजह से भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. निर्दलीय अधिक जीत कर आए जो ज्यादातर कांग्रेस की तरफ चले गए.