झुंझुनूं. शेखावाटी की जीवन रेखा के नाम से जानी जाने वाली काटली नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. जब इस नदी में पानी आता है तो सिरानी पीर की दरगाह को छू लेती है. .लोग काटली नदी के उफान व बहाव को नहीं भूले हैं. वहीं नई पीढी काटली नदी की जानकारियों से अंजान हैं.
लागों ने बताया कि कई बार तो इतना पानी आता था कि सड़कों पर पानी भर जाता था.जिससे लोगों का आवागमन रूक जाता था. वहीं कई लोग इस नदी से परिचित भी थे तो कई अंजान. उदयपुरवाटी के आस-पास के गांवों में काटली नदी को पचलंगी, पापडा, जोधपुरा, बाघोली, सुनारी गांव में इस कदर खोदा गया है कि आगे पानी की निकासी ही नहीं है. पिछले तीन दिन से नेवरी, ककराना, मैनपुरा, केड, खटकड़, भाटीवाड़, सीथल, शिवनाथपुरा आदि गांवों के लोग काटली नदी के आने का इंतजार कर रहे हैं.
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केड गांव के धीरसिंह राठौड़ ने बताया कि वह रोजाना टीले पर चढ़कर नदी के आने की राह देखते हैं. केड में प्रसिद्ध सिरानी पीर की दरगाह एक टीले पर स्थित है. नदी के बहाव से यह टीला भी कई बार डूबा है और दरगाह के दरवाजे तक पानी छूता था.
नदी का आना कम होने के साथ ही पानी दो सौ फीट तक गहरा हो गया है. पहले नदी दो-तीन महीने लगातार चलती थी. नदी का अधिक बहाव होने से लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता था. खेत कई दिन तक डूब जाते थे और फसल भी नहीं हो पाती थी.