झुंझुनू. बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया रोग से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जिले में विशेष जागरूकता अभियान 'सांस' (सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू न्यूट्रेलाईज निमोनिया सक्सेसफुल) शुरू किया है. जिला कलेक्टर यूडी खान ने गुरुवार को बीडीके अस्पताल से इसका शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि निमोनिया के लक्षणों को आमजन तक पहुंचा कर बच्चों के इलाज में देरी को रोकना है. सभी कार्मिक बच्चों को निमोनिया से बचाने में अपनी भूमिका निभाए. सीएमएचओ डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य निमोनिया के प्रारंभिक लक्षणों के बारे में जागरूक करना है ताकि बच्चे के गम्भीर अवस्था में पहुंचने से पहले ही इलाज शुरू कर उसकी जान बचाई जा सके.
जनता से जुड़े सेवकों को दी जाएगी जानकारी
आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, ग्राम सेवक, पटवारी आदि के माध्यम से आमजन को इसके लक्षणों और निमोनिया की पहचान के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया जाएगा, ताकि आमजन को इन लक्षणों की जानकारी मिल सके. लोग जागरूक बने ओर निमोनिया से होने वाली मौतों को रोको जा सके.
ये हैं निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण
आरसीएचओ डॉ. दयानंद सिंह ने बताया कि निमोनिया के मुख्य लक्षण चार है खांसी झुकाम का बढ़ना, बच्चे का तेजी से सांस लेना, सांस लेते समय पसली बलना या छाती का नीचे धंसना और तेज बुखार होना. उपरोक्त लक्षण दिखाई देने पर बच्चे को तुरंत नजदीकी चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि बच्चे को निमोनिया के खतरे से बचाया जा सके. इन लक्षणों के दिखाई देने पर घरेलू इलाज में वक्त कभी नहीं गवाना चाहिए.
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प्रदेश में हर साल 1 लाख 82 हजार बच्चों को निमोनिया बनाता है शिकार, जिसमें 9200 को हो जाती हैं मौत
जिला आईईसी समन्वयक डॉ. महेश कड़वासरा ने बताया कि निमोनिया कितना खतरनाक है. इस बात की गवाही प्रदेश के आंकड़े देते हैं. निमोनिया अन्य संक्रामक बीमारियों से ज्यादा खतरनाक है. राजस्थान में सालाना 5 साल से छोटी आयु को 1लाख 82 हजार बच्चों को निमोनिया अपना शिकार बना लेता है, जिसमें से 9 हजार 200 बच्चों की निमोनिया की वजह से अकाल मौत हो जाती हैं. निमोनिया से होने वाली ये मौत 5 साल तक बच्चों की होने वाली कुल असमय मौत का 14 प्रतिशत है. निमोनिया के कारणों में कुपोषण, सुरक्षित पेयजल की कमी, स्वच्छता का अभाव, प्रदूषण आदि शामिल है. निमोनिया को हराने के लिए हमे सामुहिक सामुदायिक प्रयास करने है. निमोनिया नहीं तो बचपन सही.