झुंझुनू . लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने राजस्थान के 25 में से 16 सीटों पर पत्ते खोल दिए हैं. पार्टी स्तर पर जारी की गई सूची में जहां 14 सीटों पर मौजूदा सांसद पर भरोसा जताया गया है. वहीं, झुंझुनू से 2014 के चुनाव में शीशराम ओला की पुत्रवधु को हराने वाली दिग्गज जाट नेता और सांसद संतोष अहलावत को पार्टी ने साइड कर दिया है. संतोष की जगह पार्टी ने मंडावा से विधायक नरेंद्र खींचड़ को टिकट देकर मैदान में उतारा है. पार्टी की ओर से टिकट नहीं मिलने से जहां झुंझुनू की सियासत गरम हो गई है. वहीं, खुद संतोष भी इस पार्टी के इस कदम से नाराज हैं. माना जा रहा है कि वे चुनाव को लेकर बड़ा कदम उठा सकती हैं.
दरअसल, झुंझुनू से भाजपा सांसद संतोष अहलावत इससे पहले वे सूरजगढ़ से विधायक थी. उन्हें भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान झुंझुनू सीट पर प्रत्याशी बनाते हुए दिग्गज जाट नेता शीशराम ओला की पुत्रवधु राजबाला ओला के सामने मैदान में उतारा था. इस चुनाव में मोदी लहर के बीच संतोष अहलावत ने राजबाला ओला को 2 लाख 33 हजार 835 मतों से करारी शिकस्त दी थी. इसके बाद उन्हें पूरा उम्मीद था कि पार्टी इस बार उन्हें प्रत्याशी बनाएगी. लेकिन, भाजपा ने संतोष अहलावत को सीधे तौर पर नकार दिया है. भाजपा ने यहां से मंडावा के विधायक नरेंद्र खींचड़ को टिकट देकर सभी को चौंका दिया है. पार्टी के इस कदम के बाद संतोष अहलावत जहां नाराज हैं. वहीं, उनके समर्थक भी खासे नाराज हैं. टिकट नहीं मिलने के बाद नाराज सांसद अहलावत ने समर्थकों की एक बैठक भी बुलाई .
जिसके बाद अब माना जा रहा है कि वे बगावती तेवर अपनाते हुए कोई बड़ा एलान कर सकती हैं. वहीं, टिकट कटने के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की चर्चाओं का दौर बना हुआ है. जिसमें प्रमुख रूप से यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि सांसद अहलावत भाजपा को छोड़कर बसपा को भी ज्वाइन कर सकती हैं. वहीं, सूत्रों का कहना है कि अहलावत का पार्टी के भीतर विरोध था. इसी आधार पर उनका टिकट इस बार भाजपा आलाकमान ने काट दिया. अहलावत के साइडलाइन करने के बाद इस सीट पर सियासी पारा चढ़ गया है. आपको बता दें कि अहलावत पहले सूरजगढ़ से विधायक रही हैं. उन्होंने 2004 का चुनाव भी शीशराम ओला के सामने भाजपा की टिकट पर लड़ा था. इस चुनाव में अहलावत केवल 23000 मतों से ही चुनाव हारी थी.