झुंझुनू. भामाशाह योजना से जुड़े जिले के लगभग 50 प्राइवेट अस्पतालों के करीब 20 करोड़ रुपए अटक गए हैं. ऐसे में 1 दिसंबर से सभी अस्पतालों में योजना पर ब्रेक लग गए हैं. भामाशाह स्वास्थ्य योजना में जुड़े निजी अस्पतालों को इलाज के पैसे का बीमा कंपनी की ओर से भुगतान नहीं किए. इस वजह खफा जिले के प्राइवेट अस्पतालों में भामाशाह कार्ड धारकों का फ्री इलाज करना बंद कर दिया है.
बता दें कि राज्य सरकार की ओर से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीब परिवारों को निशुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की गई है. इसके तहत न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी निजी अस्पतालों के बिलों का भुगतान करती है. लेकिन पिछले माह से जिले के अस्पतालों को भुगतान नहीं मिला है.
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बात-बात पर अटका रहे हैं बिल...
अस्पताल संचालकों का कहना है कि बीमा कंपनी की ओर से बात बात पर बिल अटका दिए जाते हैं. एक मरीज का इलाज करने के बाद उसके इलाज के बिल को देरी से अपलोड होना बताकर निरस्त कर दिया गया. प्राइवेट अस्पताल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने अलग-अलग नियम बनाकर झुंझुनू जिले के 50 अस्पतालों के भी 20 करोड रुपए के बिल अटके हैं.
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दिसंबर 2015 से चल रही भामाशाह योजना का चल रहा दूसरा फेज 12 दिसंबर को पूरा होगा. इससे ठीक पहले इलाज नहीं करने की घोषणा ने मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है. गौरतलब है कि 7 दिन पहले ही निजी अस्पताल संचालकों ने चिकित्सा मंत्री से मिलकर इलाज बंद करने की चेतावनी दी थी.
बी डी के हॉस्पिटल के हालात हो जाएंगे खराब...
जिला मुख्यालय के राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में रोजाना करीब 2000 मरीज बेहतर इलाज की आस में आते हैं. बीडीके एवं उसकी जनाना विंग हमेशा फुल रहती है. ऐसे में जिले सभी भामाशाह कार्ड धारक अगर बीडीके का रुख करेंगे तो चिकित्सा व्यवस्था दम तोड़ सकती है.
अस्पताल संचालकों ने बताया कि 25 नवंबर को जयपुर में प्राइवेट अस्पताल संचालकों की बैठक हुई थी. उसमें प्रतिनिधिमंडल ने चिकित्सा मंत्री से मिलकर बकाया भुगतान दिलाने के लिए ज्ञापन दिया था. उसमें प्रदेश के अस्पतालों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा था कि 30 नवंबर तक भुगतान नहीं होने की स्थिति में 1 दिसंबर से उपचार करना संभव नहीं रहेगा.