चिड़ावा (झुंझुनू). जिले के चिड़ावा उपखंड के एक गांव की प्रसूता पिछले नौ माह से एक निजी अस्पताल में इलाज ले रही थी, लेकिन वहां पर डिलीवरी नहीं करवाई गई. इसके बाद प्रसूता दो अन्य निजी अस्पताल में गई, वहां पर भी प्रसूता की डिलीवरी नहीं करवाई गई. इसके बाद उसके परिजन आनन-फानन में उसे सरकारी अस्पताल लेकर आए, जहां स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. टीना ढाका ने प्रसूता की जांच करवाई.
वहीं, जांच में जब सामने आया कि प्रसूता एचआईवी पॉजिटिव है तो डॉ. ढाका ने इसकी जानकारी चिड़ावा बीसीएमओ को दी. बीसीएमओ ने इस मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी तो उच्च अधिकारियों ने प्रसूता को झुंझुनू बीडीके अस्पताल भेजने के लिए कहा. कारण ये रहा कि चिड़ावा के सरकारी अस्पताल में एक ही रूम है, जहां प्रसव होता है और सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन कम से पांच प्रसव होते हैं. ऐसे में अगर उस रूम में प्रसव करवाया दिया जाता तो फिर प्रतिदिन होने वाले प्रसव के लिए बड़ी समस्या पैदा हो जाती.
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वहीं, संक्रमण न फैले और जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहें, इसके लिए झुंझुनू रेफर कर दिया. इस बीच जब 104 एंबुलेंस प्रसूता को झुंझुनू लेकर जा रही थी, तभी बगड़ में प्रसूता ने एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दे दिया. इस बाबत बीसीएमओ का कहना है कि ये संवेदनशील मामला था. इसके लिए अन्य प्रसूताओं की सेहत की सुरक्षा एवं संक्रमण न फैले इसके लिए ये कदम उठाए गए. हालांकि इस मामले में विभागीय जांच जारी है.