झुंझुनू. पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भारत में कुल मरीजों की संख्या का आंकड़ा 5 लाख के पार हो चुका हैं. जिसमें सबसे ज्यादा मरीज महाराष्ट्र में सामने आए हैं. जिसके बाद दूसरे स्थान पर दिल्ली और तीसरे पर तमिलनाडु है. इन बढ़ते हुए मामलों को लेकर सरकार भी चिंता में है. वहीं, इस बीच एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना वायरस उन लोगों को अपनी जद में जल्दी लेता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. यदि आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो तो यह रोग आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. भारत में कई ऐसी औषधियां हैं, जो इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती हैं.
इस बीच बाबा रामदेव की ओर से कोरोना की कथित रूप से दवाई बनाने के बाद आयुर्वेद एक बार वापस खासी चर्चा में है. अब भले ही दवाई बनाने को लेकर कई तरह के तर्क होंगे, बड़ी संख्या में लोग भी इस मामले में बंटे हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन इसमें आम सहमति है कि इम्यूनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद में बताई गई कई औषधियां बेहद कारगर हैं. तो हम आपको ऐसे ही एक आयुर्वेद के हॉस्पिटल से रूबरू करवाने जा रहे हैं. जिसको देखने के बाद आपको लगेगा की यही आयुर्वेद हॉस्पिटल की सही परिभाषा है.
![झुंझुनू न्यूज, RAJASTHAN NEWS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7826335_jhkklkghf.png)
पढ़ें: कोरोनिल दवा पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पतंजलि को जारी किया नोटिस, 4 सप्ताह में मांगा जवाब
यूं तो आपको हर एक गांव में राजकीय आयुर्वेद औषधालय मिल जाएंगे, लेकिन इंडाली गांव के आयुर्वेद औषधालय जैसा नहीं, क्योंकि ज्यादातर आयुर्वेद औषधालयों में आपको दवाएं सरकार जो सप्लाई करती है वहीं दी जाती हैं, लेकिन शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर खाजपुर-भड़ौदा रोड के बीच आने वाले इंडाली गांव का राजकीय आयुर्वेद औषधालय ऐसा है, जहां पर आपको किसी बीमारी की दवा भी नहीं मिली तो चिंता करने की कोई बात नहीं.
![झुंझुनू न्यूज, RAJASTHAN NEWS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7826335_jhkklkgh.png)
हॉस्पिटल में ही उगी हुई ताजा औषधि पहुंंचाएंगी फायदा
आपको यहां पर मौजूद चिकित्सक या कंपाउडर बस इतना ही कहेगा कि जाओ औषधालय के परिसर में औषधी उगी हुई है, उसे तोड़कर इस्तेमाल कर लो, क्योंकि इस औषधालय के छोटे से परिसर में ग्रामीणों के सहयोग से वहां पर कार्यरत चिकित्सक और कंपाउडरों ने सैकड़ों की तादाद में औषधीय पौधे लगाकर हरा भरा कर दिया है. यहां पर आपको छोटी से लेकर बड़ी बीमारी चाहे वो कैंसर ही क्यों नहीं हो उसमें फायदा देने आने वाली औषधि भी मिल जाएगी.
ये औषधियां मिलेंगी
गुड़मार की बेल, लेमन घास, पत्थर चट्टा, नागदान, अंजीर, कई प्रकार की गिलोय, अर्जुन, पारिजात, तेजपता, वासा, सतावरी, भूमि आंवला, अपराजिता सफेद और निली, गुगल, वंशलोचन, पहाड़ी नींबू, गुलाब, सीताफल, लेहसूआ अडूसा, सफेद चंदन समेत सैकड़ों प्रकार के औषधीय पौधे लगाए गए हैं.
![झुंझुनू न्यूज, RAJASTHAN NEWS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7826335_jhn.png)
सब जानते हैं कि आयुर्वेद में सारा कमाल तासीर का होता है, एक औषधि को गर्म पानी के साथ लेने पर अलग प्रभाव होता है तो दूध के साथ लेने पर उसका प्रभाव बदल जाता है. वहीं, सुबह लेने पर अलग प्रभाव दिखाती है तो शाम को लेने पर उसकी कुछ अलग ही तासीर होती है.
यह भी पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: ढाई हजार साल पुराने जैन धर्म के सिद्धांतों से ही हारेगा कोरोना
2017 से लगाने शुरू किए औषधीय पौधे
कंपाउडर नारायणलाल भील बताते हैं कि वो भीलवाड़ा के रहने वाले हैं और यहां पर कई सालों से नौकरी कर रहे हैं. राजकीय परिसर में 2017 में ग्रामीणों की मदद से औषधीय पौधे लगाने का कार्य शुरू किया गया था और आज यहां कई प्रजाति के औषधीय पौधे हैं. भले ही रिकॉर्ड के अनुसार 70 से 72 औषधि हैं, लेकिन यदि तासीर के हिसाब से देखा जाए तो ये सैकड़ों रोगों में फायदा देने वाली है.
![झुंझुनू न्यूज, RAJASTHAN NEWS](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7826335_jhk.png)
अभी ये कार्यरत हैं औषधालय में
वर्तमान में औषधालय में डॉ. पवनकुमार यादव बतौर चिकित्सा प्रभारी और कंपाउडर नारायणलाल भील कार्यरत हैं. कंपाउडर नारायण भील यहां काफी सालों से कार्यरत हैं और वो ही ग्रामीणों की मदद से इन औषधीय पौधों को लगाने और इनकी देखभाल का कार्य करते हैं. गांव के लोग भी हॉस्पिटल में आते हैं तो उनके मन में भी ये होता है कि हमनें खुद ये औषधीय पौधे तैयार किए हैं तो इनका फायदा भी लिया जाना चाहिए.