झुंझुनू. सरपंच को गांव का मुखिया माना जाता है, लेकिन उसको चुनाव में टक्कर देने वाले के प्रति भी गांव के लोगों का अपना प्रेम होता है. क्योंकि भले ही वह कुछ मतों से सरपंच बनने से रह गया हो, लेकिन उसको मत तो मिलते ही हैं. इसलिए जिले में हारे हुए प्रत्याशियों को कहीं पर एकमुश्त राशि दी जा रही है तो कहीं पर साल भर की पेंशन तय कर दी है.
पैसा भी और पेंशन भी
झुंझुनू के दोरासर पंचायत में सरपंच का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के लिए ग्रामीणों ने न केवल पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी है, बल्कि उनकी हर माह 15 हजार रुपए पेंशन भी बांध दी है.
दरअसल, मोबीलाल मीणा ने पिछल दिनों हुये पंचायत चुनाव में झुंझुनू की दोरासर पंचायत से सरपंच का चुनाव लड़ा था. बदकिस्मती से वे चुनाव नहीं जीत पाए. मोबीलाल चुनाव भले ही हार गये हों, लेकिन वे आज भी ग्रामीणों के दिलों पर राज करते हैं. यही कारण है कि गांव के लोगों ने उन्हें सहायता देने का मन बना लिया है और उनके लिए हर माह 15 हजार रुपए की पेंशन शुरू कर दी है.
घर जाकर दी गई राशि
इसी तरह से बड़बड़ ग्राम पंचायत में हारे हुए प्रत्याशी को तीन लाख 11 हजार रुपए की राशि भेंट की है. इसमें सरपंच प्रत्याशी मुकेश कुमार मात्र 81 मतों से चुनाव हार गए थे. इसमें गांव के लोग प्रत्याशी के घर पहुंचे और माला पहनाते हुए राशि सौंपी.