झुंझुनू. सबसे ज्यादा शिक्षित जिलों में शामिल झुंझुनू शेखावाटी में किसान तो जागरूक हैं. लेकिन सिंचाई के संसाधनों को लेकर सरकार ही उदासीन रवैया अपना रखी है. किसानों को सिंचाई के लिए बिजली कनेक्शन देने की गति को देख कर तो कुछ ऐसा ही लगता है. वर्ष 2012 में कुएं पर बिजली के कनेक्शन के लिए आवेदन करने वालों को भी अब तक कनेक्शन नहीं मिल पाए हैं.
इसमें सरकार और प्रशासन की ओर से बिजली की उपलब्धता का रोना रोया जाता है. लेकिन जनाब, सौर उर्जा तो असमिति है और उसके कनेक्शन के लिए भी 2 हजार से ज्यादा किसान कतार में हैं और अब भी सरकार ने फरवरी 2018 से पहले आवेदन करने वाले किसानों की पैंडेंसी निपटाने के आदेश दे रखे हैं. जबकि उसके बाद वालों के आवेदनों पर तो किसी को नजर डालने का भी समय नहीं है.
इधर भी है लम्बी कतार
वहीं इस तरह से बिजली कनेक्शनों की लम्बी कतार देखकर किसानों ने सौर उर्जा की सब्सिडी स्किम के तहत नोडल उद्यान विभाग में आवेदन किया. वहां भी 2 हजार से ज्यादा किसान पहले से ही कनेक्शन के इंतजार में हैं. इसमें विभाग की ओर से जितने लोगों को प्लान में लिया जा रहा है, उससे दस गुना आवेदन विभाग को मिल रहे हैं. ऐसे में यह तय है कि आने वाले समय में इसकी पैंडैंसी और बढ़ेगी. जबकि शेखावाटी में सूर्य अपनी पूरी चमक के साथ उतरता है और यहां पर 45 डिग्री तक तापमान जाना कोई बड़ा काम नहीं है. इसलिए सरकार यह सोचे तो इस मामले में झुंझुनू में लोगों का खासा रूझान और बढ़ सकता है.
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यह तो तब जब केवल दो क्षेत्र डार्क जोन में नहीं
जिले के मलसीसर और खेतड़ी ब्लाक को छोड़कर सारा क्षेत्र डार्क जोन में है. यानि केवल बिजली और सौर उर्जा के कनेक्शन भी इन दोनों ही क्षेत्रों में दिए जा सकते हैं. क्योंकि डार्क जोन में सिंचाई के लिए कनेक्शन नहीं दिया जा सकता. ऐसे में सोचा जा सकता है कि यदि सभी 13 ब्लाक में किसान आवेदन कर सकते तो पैंडेसी कहां तक चली जाती.
किसान चुकाता है पूरा पैसा
शेखावाटी में सिंचाई के साधन के रूप में प्रमुख रूप से कुएं ही हैं और ऐसे में यदि औसत बिल की बात की जाए तो एक किसान 2 महीने में करीब 2500 रुपए औसत रूप से चुकाता है. ऐसे में इस भार से बचने के लिए पहले से बिजली के कनेक्शन लिए हुए किसान भी आकाश की ओर देखता है कि यदि सौर उर्जा का कनेक्शन मिल जाए तो उसे बिजली के इस बिल की रकम से निजात मिल सकती है. सरकारों को सोचना होगा कि किसानों की बात तो सभी करते हैं लेकिन सौर उर्जा में यदि सरकारें जल्दी सब्सिडी देने लग जाएं तो सारी समस्या ही खत्म हो सकती है.