झुंझुनू. कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल में 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत का मामला पूरे देश में सुर्खियों में बना हुआ है. झुंझुनू जैसे छोटे जिले में भी शिशुओं की देखभाल अच्छे से नहीं हुई, जिसके आंकड़े गवाह हैं. बीडीके हॉस्पिटल में साल 2019 में1426 बच्चे भर्ती किए गए थे, इनमें से 34 बच्चों की मौत हो गई. बताया जा रहा है, कि इनमें से ज्यादातर बच्चे बाहर के अन्य अस्पतालों से बीडीके हॉस्पिटल में शिफ्ट किए गए थे.
डॉक्टरों का कहना है, कि हॉस्पिटल की स्थिति काफी संतोषप्रद है. डॉक्टरों का कहना है, कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से मुख्य कारण समय से पहले जन्म और गंभीर बीमारी है. बीडीके चिकित्सालय में पिछले साल जनवरी से लेकर नवंबर तक 1426 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें से 34 बच्चों को नहीं बचाया जा सका.
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बताया जा रहा है, कि बीडीके अस्पताल में बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई बनी हुई है. अच्छी व्यवस्था के लिए अस्यपताल ने इस साल राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया है. चिकित्सकों का यह भी कहना है, कि प्रसव के दौरान गंभीर हालत होने के बाद बीडीके हॉस्पिटल में रेफर किया जाता है, जबकि ऐसे मामलों में नवजात को तुरंत गहन चिकित्सा की आवश्यकता होती है. डॉक्टरों ने बताया, कि नवजात को बाहर से आते समय ज्यादा संक्रमण फैल जाता है, जो गंभीर हो जाता है.