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झुंझुनू: बीडीके अस्पताल में 1 साल में 34 बच्चों की मौत - झुंझुनू समाचार

झुंझुनू के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बीडीके अस्पताल में साल 2019 में 34 बच्चों की मौत हुई. साल 2019 में अस्पताल में 1426 बच्चे भर्ती हुए थे, जिनमें 34 बच्चों की मौत हो गई. डॉक्टरों के मुताबिक ज्यादातर मौत प्री-मेच्योर, बाहरी प्रसव और संक्रमण की वजह से हुई.

Jhunjhunu news, BDK hospital, झुंझुनू समाचार
बीडीके अस्पताल में 1 साल में 34 बच्चों ने दम तोड़ा
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Published : Jan 5, 2020, 11:30 AM IST

झुंझुनू. कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल में 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत का मामला पूरे देश में सुर्खियों में बना हुआ है. झुंझुनू जैसे छोटे जिले में भी शिशुओं की देखभाल अच्छे से नहीं हुई, जिसके आंकड़े गवाह हैं. बीडीके हॉस्पिटल में साल 2019 में1426 बच्चे भर्ती किए गए थे, इनमें से 34 बच्चों की मौत हो गई. बताया जा रहा है, कि इनमें से ज्यादातर बच्चे बाहर के अन्य अस्पतालों से बीडीके हॉस्पिटल में शिफ्ट किए गए थे.

बीडीके अस्पताल में 1 साल में 34 बच्चों ने दम तोड़ा

डॉक्टरों का कहना है, कि हॉस्पिटल की स्थिति काफी संतोषप्रद है. डॉक्टरों का कहना है, कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से मुख्य कारण समय से पहले जन्म और गंभीर बीमारी है. बीडीके चिकित्सालय में पिछले साल जनवरी से लेकर नवंबर तक 1426 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें से 34 बच्चों को नहीं बचाया जा सका.

यह भी पढ़ें- झुंझुनू: सीएए और एनआरसी के विरोध में 30 संगठन निकालेंगे शांति मार्च

बताया जा रहा है, कि बीडीके अस्पताल में बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई बनी हुई है. अच्छी व्यवस्था के लिए अस्यपताल ने इस साल राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया है. चिकित्सकों का यह भी कहना है, कि प्रसव के दौरान गंभीर हालत होने के बाद बीडीके हॉस्पिटल में रेफर किया जाता है, जबकि ऐसे मामलों में नवजात को तुरंत गहन चिकित्सा की आवश्यकता होती है. डॉक्टरों ने बताया, कि नवजात को बाहर से आते समय ज्यादा संक्रमण फैल जाता है, जो गंभीर हो जाता है.

झुंझुनू. कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल में 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत का मामला पूरे देश में सुर्खियों में बना हुआ है. झुंझुनू जैसे छोटे जिले में भी शिशुओं की देखभाल अच्छे से नहीं हुई, जिसके आंकड़े गवाह हैं. बीडीके हॉस्पिटल में साल 2019 में1426 बच्चे भर्ती किए गए थे, इनमें से 34 बच्चों की मौत हो गई. बताया जा रहा है, कि इनमें से ज्यादातर बच्चे बाहर के अन्य अस्पतालों से बीडीके हॉस्पिटल में शिफ्ट किए गए थे.

बीडीके अस्पताल में 1 साल में 34 बच्चों ने दम तोड़ा

डॉक्टरों का कहना है, कि हॉस्पिटल की स्थिति काफी संतोषप्रद है. डॉक्टरों का कहना है, कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से मुख्य कारण समय से पहले जन्म और गंभीर बीमारी है. बीडीके चिकित्सालय में पिछले साल जनवरी से लेकर नवंबर तक 1426 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें से 34 बच्चों को नहीं बचाया जा सका.

यह भी पढ़ें- झुंझुनू: सीएए और एनआरसी के विरोध में 30 संगठन निकालेंगे शांति मार्च

बताया जा रहा है, कि बीडीके अस्पताल में बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई बनी हुई है. अच्छी व्यवस्था के लिए अस्यपताल ने इस साल राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया है. चिकित्सकों का यह भी कहना है, कि प्रसव के दौरान गंभीर हालत होने के बाद बीडीके हॉस्पिटल में रेफर किया जाता है, जबकि ऐसे मामलों में नवजात को तुरंत गहन चिकित्सा की आवश्यकता होती है. डॉक्टरों ने बताया, कि नवजात को बाहर से आते समय ज्यादा संक्रमण फैल जाता है, जो गंभीर हो जाता है.

Intro: कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल में 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत का मामला पूरे देश में सुर्खियों में है। इस मामले में झुंझुनू जैसे छोटे जिले में शिशुओं की देखभाल बेहतरीन तरीके से हुई है और आंकड़े इसके गवाह हैं। हॉस्पिटल में पूरे साल में 1426 बच्चे भर्ती किए गए और इनमें से 34 बच्चों की मौत हो गई। इनमें से मौत वाले ज्यादातर बच्चे बाहर के अन्य अस्पतालों से बीडीके के हॉस्पिटल में शिफ्ट किए गए थे।


Body:झुंझुनू। कोटा के जेके लोन अस्पताल में गत दिनों 100 से अधिक बच्चों की मौत देश भर में सुर्खियां बनी हुई है, बेहतर सुविधा के बाद भी वहां के चिकित्सक बच्चों को नहीं बचा सके। इस मामले में झुंझुनू के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल भगवानदास खेतान हॉस्पिटल की स्थिति काफी संतोषप्रद कही जा सकती है। बीडीके अस्पताल में गत 1 वर्ष में 34 बच्चों की मौत हुई है। चिकित्सकों के अनुसार जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें से मुख्य कारण समय से पहले जन्म और गंभीर बीमारी है। बीडीके चिकित्सालय में गत वर्ष जनवरी से लेकर नवंबर तक 1426 बच्चे भर्ती हुए ,जिनमें से 34 बच्चों को नहीं बचाया जा सका। बीडीके अस्पताल में बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई बनी हुई है। अच्छी व्यवस्था के लिए यह राज्य में इस वर्ष दूसरे स्थान पर रहा है।


नवजात को समय पर नहीं मिल पाता उपचार
चिकित्सकों के अनुसार बाहर प्रसव के दौरान गंभीर होने के बाद भी बीडीके रेफर किया गया, जबकि ऐसे मामलों मैं नवजात को तुरंत गहन चिकित्सा की आवश्यकता होती है नवजात में बाहर से आते समय ज्यादा संक्रमण फैल जाता है।

बाइट डॉक्टर शुभकरण कालेर पीएमओ


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