ETV Bharat / state

अलविदा 2019: शेखावाटी की राजनीति में लौटा ओला परिवार, फिर जमने लगी जड़ें

author img

By

Published : Dec 30, 2019, 4:10 PM IST

झुंझुनू में कद्दावर नेता शीशराम ओला की मृत्यु हो जाने के बाद उनका परिवार राजनीतिक निर्वासन में जी रहा था. जिसके कारण ओला परिवार का दबदबा भी इलाके में कम हो गया था. लेकिन साल 2019 ने जाते जाते उन्हें खुशियां दी है.

jhunjhunu latest news, जाट नेता शीशराम ओला
ओला परिवार के लिए साल 2019 रहा चुनौतियों भरा

झुंझुनू. कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला की झुंझुनू से लेकर दिल्ली तक धाक हुआ करती थी लेकिन, उनके जाने के बाद राजनीतिक निर्वासन में जी रहे उनके परिवार को इस साल में नई संजीवनी मिली है. शीशराम ओला तीन बार केंद्रीय मंत्री, लगातार पांच बार झुंझुनू से सांसद के साथ ही कई बार विधायक और स्टेट में भी मंत्री रहे हैं.

ओला की साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले हुई मौत के बाद उनका परिवार एक तरह से राजनीतिक निर्वासन में जी रहा था. उनके लिए साल की शुरुआत हालांकि खराब रही. जब ओला परिवार से टिकट काटकर सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण कुमार को झुंझुनू लोकसभा सीट से कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारा. इस सीट पर श्रवण कुमार की रिकॉर्ड तोड़ तीन लाख से ज्यादा मतों से हार हुई और इसके साथ ही कहीं ना कहीं यह भी साबित हो गया कि ओला परिवार के अलावा अभी कांग्रेस की नैया झुंझुनू में कोई पार नहीं लगा सकता है.

पढ़ें- अलविदा 2019: झुंझुनूं को कलंकित करने वाला कृत्य, जब 12 मासूमों छात्रों से किया कुकर्म

नगर परिषद चुनाव में नई संजीवनी मिलने के साथी ओला परिवार वापस अपनी ताकत दिखाने में जुट गया है. इस बार के नगर परिषद चुनाव में न केवल ओला परिवार ने कमान संभाली बल्कि बोर्ड बनाने में भाजपा तक के वोट तोड़ डाले.

चुनाव से पहले गायब लेकिन अब बेहद मजबूत

झुंझुनू नगर परिषद के चुनाव आने से पहले ओला परिवार झुंझुनू के राजनीतिक परिदृश्य में कम ही दिखाई दे रहा था. ऐसा लग रहा था कि शीशराम ओला के जाने के बाद धीरे-धीरे ओला परिवार का झुंझुनू की राजनीति में ही प्रभुत्व कम हो रहा है.

शीशराम ओला की साल 2013 में मृत्यु के बाद उनकी राजनीतिक विरासत के रूप में पुत्रवधू पूर्व जिला प्रमुख राजबाला ओला को झुंझुनू लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मिला लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद साल 2018 के विधानसभा चुनाव में शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र ओला को कांग्रेस की टिकट पर विधायक बनने का मौका मिला लेकिन उन्हें भी मंत्री पद नहीं दिया गया.

ओला परिवार के लिए साल 2019 रहा चुनौतियों भरा

इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ओला परिवार का एमपी का टिकट भी कट गया और उनकी जगह सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण कुमार को प्रत्याशी बनाया गया. इधर ओला परिवार की विश्वस्त झुंझुनू पंचायत समिति के प्रधान सुशीला सीगड़ा को भी कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया और वह भी भाजपा में चली गई.

पढ़ें- अलविदा 2019: सत्ता में रहने के बावजूद विपक्ष की तरह सड़कों पर ही उतरी रही कांग्रेस

इसके बाद आए नगर परिषद के चुनाव

झुंझुनू नगर परिषद में शीशराम ओला के रहते हुए हमेशा से कांग्रेस का दबदबा रहा है. लेकिन, उनकी मृत्यु के बाद पिछले नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस के ज्यादा पार्षद आने के बावजूद भाजपा जोड़ तोड़ कर बोर्ड बनाने में सफल हो गई और इससे शीशराम ओला के पुत्र और झुंझुनूं के विधायक बृजेंद्र ओला की असफलता माना गया था. ऐसे में इस बार के नगर परिषद चुनाव में विधायक बृजेंद्र ओला और उनकी पत्नी पूर्व जिला प्रमुख ने शुरुआत से ही कमान संभाली. अपनी गणित के अनुसार ही टिकट बांटे और विरोधियों को टिकट से दूर भी कर दिया और अब 60 में से 34 वार्ड जीतकर और उसके बाद नगर परिषद सभापति को 53 मत दिला कर झुंझुनू जिले में अपना दबदबा वापस साबित किया है.

अब रास्ते मुड़ रहे हैं ओला परिवार की ओर

नगर परिषद के चुनाव में इस तरह से ताकत दिखाने के बाद अब जिले के कांग्रेस के आला नेता ओला परिवार की तरफ वापस जाने लगे हैं. जल्दी पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव आने वाले हैं और यदि इसमें कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो विधायक बृजेंद्र ओला की पत्नी और पूर्व उप जिला प्रमुख राजबाला ओला एक बार वापस जिला प्रमुख की बड़ी दावेदार रहेंगी. इस तरह से साल 2019 कहीं ना कहीं ओला परिवार के लिए जाते-जाते खुशियां देकर गया है और साल 2020 में उनको दबदबा साबित करने का मौका वापस मिलने वाला है.

झुंझुनू. कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला की झुंझुनू से लेकर दिल्ली तक धाक हुआ करती थी लेकिन, उनके जाने के बाद राजनीतिक निर्वासन में जी रहे उनके परिवार को इस साल में नई संजीवनी मिली है. शीशराम ओला तीन बार केंद्रीय मंत्री, लगातार पांच बार झुंझुनू से सांसद के साथ ही कई बार विधायक और स्टेट में भी मंत्री रहे हैं.

ओला की साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले हुई मौत के बाद उनका परिवार एक तरह से राजनीतिक निर्वासन में जी रहा था. उनके लिए साल की शुरुआत हालांकि खराब रही. जब ओला परिवार से टिकट काटकर सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण कुमार को झुंझुनू लोकसभा सीट से कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारा. इस सीट पर श्रवण कुमार की रिकॉर्ड तोड़ तीन लाख से ज्यादा मतों से हार हुई और इसके साथ ही कहीं ना कहीं यह भी साबित हो गया कि ओला परिवार के अलावा अभी कांग्रेस की नैया झुंझुनू में कोई पार नहीं लगा सकता है.

पढ़ें- अलविदा 2019: झुंझुनूं को कलंकित करने वाला कृत्य, जब 12 मासूमों छात्रों से किया कुकर्म

नगर परिषद चुनाव में नई संजीवनी मिलने के साथी ओला परिवार वापस अपनी ताकत दिखाने में जुट गया है. इस बार के नगर परिषद चुनाव में न केवल ओला परिवार ने कमान संभाली बल्कि बोर्ड बनाने में भाजपा तक के वोट तोड़ डाले.

चुनाव से पहले गायब लेकिन अब बेहद मजबूत

झुंझुनू नगर परिषद के चुनाव आने से पहले ओला परिवार झुंझुनू के राजनीतिक परिदृश्य में कम ही दिखाई दे रहा था. ऐसा लग रहा था कि शीशराम ओला के जाने के बाद धीरे-धीरे ओला परिवार का झुंझुनू की राजनीति में ही प्रभुत्व कम हो रहा है.

शीशराम ओला की साल 2013 में मृत्यु के बाद उनकी राजनीतिक विरासत के रूप में पुत्रवधू पूर्व जिला प्रमुख राजबाला ओला को झुंझुनू लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मिला लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद साल 2018 के विधानसभा चुनाव में शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र ओला को कांग्रेस की टिकट पर विधायक बनने का मौका मिला लेकिन उन्हें भी मंत्री पद नहीं दिया गया.

ओला परिवार के लिए साल 2019 रहा चुनौतियों भरा

इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ओला परिवार का एमपी का टिकट भी कट गया और उनकी जगह सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण कुमार को प्रत्याशी बनाया गया. इधर ओला परिवार की विश्वस्त झुंझुनू पंचायत समिति के प्रधान सुशीला सीगड़ा को भी कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया और वह भी भाजपा में चली गई.

पढ़ें- अलविदा 2019: सत्ता में रहने के बावजूद विपक्ष की तरह सड़कों पर ही उतरी रही कांग्रेस

इसके बाद आए नगर परिषद के चुनाव

झुंझुनू नगर परिषद में शीशराम ओला के रहते हुए हमेशा से कांग्रेस का दबदबा रहा है. लेकिन, उनकी मृत्यु के बाद पिछले नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस के ज्यादा पार्षद आने के बावजूद भाजपा जोड़ तोड़ कर बोर्ड बनाने में सफल हो गई और इससे शीशराम ओला के पुत्र और झुंझुनूं के विधायक बृजेंद्र ओला की असफलता माना गया था. ऐसे में इस बार के नगर परिषद चुनाव में विधायक बृजेंद्र ओला और उनकी पत्नी पूर्व जिला प्रमुख ने शुरुआत से ही कमान संभाली. अपनी गणित के अनुसार ही टिकट बांटे और विरोधियों को टिकट से दूर भी कर दिया और अब 60 में से 34 वार्ड जीतकर और उसके बाद नगर परिषद सभापति को 53 मत दिला कर झुंझुनू जिले में अपना दबदबा वापस साबित किया है.

अब रास्ते मुड़ रहे हैं ओला परिवार की ओर

नगर परिषद के चुनाव में इस तरह से ताकत दिखाने के बाद अब जिले के कांग्रेस के आला नेता ओला परिवार की तरफ वापस जाने लगे हैं. जल्दी पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव आने वाले हैं और यदि इसमें कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो विधायक बृजेंद्र ओला की पत्नी और पूर्व उप जिला प्रमुख राजबाला ओला एक बार वापस जिला प्रमुख की बड़ी दावेदार रहेंगी. इस तरह से साल 2019 कहीं ना कहीं ओला परिवार के लिए जाते-जाते खुशियां देकर गया है और साल 2020 में उनको दबदबा साबित करने का मौका वापस मिलने वाला है.

Intro:कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के झुंझुनू से लेकर दिल्ली तक धाक हुआ करती थी लेकिन उनके जाने के बाद राजनीतिक निर्वासन में जी रहे उनके परिवार को इस साल में नई संजीवनी मिली है। शीशराम ओला तीन बार केंद्रीय मंत्री, लगातार पांच बार झुंझुनू से सांसद के साथ ही कई बार विधायक और स्टेट में भी मंत्री रहे हैं। ओला की वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले हुई मौत के बाद उनका परिवार एक तरह से राजनीतिक निर्वासन में जी रहा था। उनके लिए साल की शुरुआत हालांकि खराब रही जब ओला परिवार से टिकट काटकर सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण कुमार को झुंझुनू लोकसभा सीट से कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारा। इस सीट पर श्रवण कुमार की रिकॉर्ड तोड़ तीन लाख से ज्यादा मतों से हार हुई और इसके साथ ही कहीं ना कहीं यह भी साबित हो गया कि ओला परिवार के अलावा अभी कांग्रेस की नैया झुंझुनू में कोई पार नहीं लगा सकता है। नगर परिषद चुनाव में नई संजीवनी मिलने के साथी ओला परिवार वापस अपनी ताकत दिखाने में जुट गया है । इस बार के नगर परिषद चुनाव में न केवल ओला परिवार ने कमान संभाली बल्कि बोर्ड बनाने में भाजपा तक के वोट तोड़ डाले।





Body:


चुनाव से पहले गायब लेकिन अब बेहद मजबूत

झुंझुनू नगर परिषद के चुनाव आने से पहले ओला परिवार झुंझुनू के राजनीतिक परिदृश्य में कम ही दिखाई दे रहा था। ऐसा लग रहा था कि शीशराम ओला के जाने के बाद धीरे-धीरे ओला परिवार का झुंझुनू की राजनीति में ही प्रभुत्व कम हो रहा है। शीशराम ओला की वर्ष 2013 में मृत्यु के बाद उनकी राजनीतिक विरासत के रूप में पुत्रवधू पूर्व जिला प्रमुख राजबाला ओला को झुंझुनू लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मिला लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र ओला को कांग्रेस की टिकट पर विधायक बनने का मौका मिला लेकिन उन्हें भी मंत्री पद नहीं दिया गया। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ओला परिवार का एमपी का टिकट भी कट गया और उनकी जगह सूरजगढ़ के पूर्व विधायक श्रवण कुमार को प्रत्याशी बनाया गया। इधर ओला परिवार की विश्वस्त झुंझुनू पंचायत समिति के प्रधान सुशीला सीगड़ा को भी कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया और वह भी भाजपा में चली गई।

इसके बाद आए नगर परिषद के चुनाव

झुंझुनू नगर परिषद में शीशराम ओला के रहते हुए हमेशा से कांग्रेस का दबदबा रहा है। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद गत नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस के ज्यादा पार्षद आने के बावजूद भाजपा जोड़ तोड़ कर बोर्ड बनाने में सफल हो गई और इससे शीशराम ओला के पुत्र व झुंझुनूं के विधायक बृजेंद्र ओला की असफलता माना गया था। ऐसे में इस बार के नगर परिषद चुनाव में विधायक बृजेंद्र ओला व उनकी पत्नी पूर्व जिला प्रमुख ने शुरुआत से ही कमान संभाली। अपनी गणित के अनुसार ही टिकट बांटे और विरोधियों को टिकट से दूर भी कर दिया। और अब 60 में से 34 वार्ड जीतकर तथा उसके बाद नगर परिषद सभापति को 53 मत दिला कर झुंझुनू जिले में अपना दबदबा वापस साबित किया है।


अब रास्ते मुड़ रहे हैं ओला परिवार की ओर
नगर परिषद के चुनाव में इस तरह से ताकत दिखाने के बाद अब जिले के कांग्रेस के आला नेता ओला परिवार की तरफ वापस जाने लगे हैं। जल्दी पंचायत समिति व जिला परिषद के चुनाव आने वाले हैं और यदि इसमें कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो विधायक बृजेंद्र ओला की पत्नी व पूर्व उप जिला प्रमुख राजबाला ओला एक बार वापस जिला प्रमुख की बड़ी दावेदार रहेंगी। इस तरह से वर्ष 2019 कहीं ना कहीं ओला परिवार के लिए जाते-जाते खुशियां देकर गया है और वर्ष 2020 में उनको दबदबा साबित करने का मौका वापस मिलने वाला है।



बाइट विधायक बृजेंद्र ओला

राजबाला ओला पूर्व जिला प्रमुख



Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.