झुंझुनू. पॉक्सो न्यायाधीश ने एक निजी स्कूल के हॉस्टल में बच्चों से अप्राकृतिक मैथुन करने वाले प्रबंधक और अध्यापक को 10 साल का कठोर कारावास और 1 लाख जुर्माने की सजा सुनाई है. एक शिक्षक को इस मामले में बरी दिया गया है. जुर्माने के 1 लाख में से 15-15 हजार 5 बच्चों और 15 हजार बरी किए गए शिक्षक को बतौर क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएंगे. यह अपने समय का चर्चित मामला रहा था.
21 गवाहों के करवाए गए थे बयान...
10 फरवरी 2017 को एक बच्चे ने अपनी बहन और बहनोई के साथ मंडावा थाने में रिपोर्ट दी थी कि वह हेतमसर के एक निजी स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ता है. उसके स्कूल में अध्यापक और प्रबंधक का काम देखने वाले चुना चौक निवासी श्रीकांत ने 27 नवंबर की रात उस से कुकर्म किया. उसके बाद उसे डरा धमकाकर कुकर्म करता रहा.
विरोध करने पर स्कूल के बच्चों के सामने अपमानित करने की धमकी देता था. श्रीकांत ने उसके अलावा और भी कई बच्चों के साथ डरा धमका कर उनके साथ गलत काम किया. पुलिस ने जांच के बाद श्रीकांत और एक अन्य शिक्षक रामपाल के विरुद्ध पॉक्सो न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया. राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेंद्र सिंह शेखावत और पीड़ित बालक की तरफ से पैरवी कर रहे विक्रम सिंह दुलड़ ने 21 गवाहों के बयान करवाए.
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जांच अधिकारी के खिलाफ लिखा महानिदेशक को...
न्यायालय ने श्रीकांत को 5 बालकों के साथ कुकर्म और लैंगिक हमले का दोषी माना है. शिक्षक रामपाल के मामले में न्यायाधीश ने लिखा कि उसके विरुद्ध कोई रिपोर्ट नहीं दी गई. पीड़ित बालक के अभिभावकों ने बयान में कहा था कि रामपाल ने बच्चों की मदद की, रामपाल मदद नहीं करता तो यह मामला उजागर नहीं होता.
पीड़ित बच्चे ने स्वीकार किया कि रामपाल ने उसकी दीदी को फोन किया था. इस मामले में उसकी मदद की थी. स्कूल के प्रधानाध्यापक विनोद चंद्र शर्मा ने स्वीकार किया है कि रामपाल निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है. इस पर न्यायालय ने रामपाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया. इसके अलावा महानिदेशक को भी जांच में लापरवाही बरतने और मदद करने वाले कोई आरोपी बनाने पर पत्र लिखा गया है.