झालावाड़. जिला कारागृह में बुधवार को रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया. कारागृह में बन्द अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधने के लिए बड़ी संख्या में उनकी बहनें पहुंची. इस दौरान कैदियों को आपराधिक कृत्यों से दूर रहने का संकल्प करवाया गया.
झालावाड़ के जिला कारागृह में बंद अपने भाइयों से उनकी बहनें मिलने के लिए पहुंची. बंदी भाईयों को तिलक लगाकर कलाई पर राखी बांधी. इस दौरान अपने भाइयों को जेल की सलाखों के पीछे देख कई बहनों की आंखें नम हो गई. इस दौरान भाई और बहनों के बीच कारागृह की सलाखें तो रहीं, लेकिन ये सलाखें भाई और बहन के अटूट रिश्तों के आगे छोटी नजर आई. इस दौरान बंदी भाइयों की बहनों ने कहा कि उनकी प्रार्थना है कि उनके भाई जल्द ही जिला कारागृह से मुक्त होकर घर लौटें और अगले वर्ष रक्षाबंधन पर राखी घर पर ही बंधवाएं.
वहीं कारागृह के जेलर शंकर लाल ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर जिला कारागृह के बंदियों को अपनी बहनों से मिलने तथा राखी बंधवाने के लिए जेल प्रशासन द्वारा भी खास व्यवस्थाएं की गईं. जिसके तहत थाली, कुमकुम, चावल, रोली तथा मिठाई की व्यवस्था की गई है. बंदी भाईयों से मिलने आ रही बहनों को यह सामग्री उपलब्ध कराई गई है. शंकर लाल ने कहा कि आज रक्षाबंधन के अवसर पर बंदी भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के दौरान कई बहनें रो पड़ी. ऐसे में हम भी चाहते हैं कि कारागृह के बंदी अपनी सजा पूरी कर जल्द अपने घर पहुंचे और इनका अगला रक्षाबंधन घर पर ही मनाएं. हमने जेल के बंदियों से भी आपराधिक कृत्यों से दूरी रखने का संकल्प करवाया है.
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फोन पर करवाई बात, मिठाई और राखी जेल में पहुंचाई: जोधपुर के केंद्रीय कारागृह के बाहर रक्षाबंधन पर भाइयों को राखी बांधने के लिए बहनों की भीड़ नजर आई. हालांकि इस बार भी बहनों के हाथ निराशा ही लगी. जेल प्रबंधन ने भाइयों की फोन पर बात तो करवा दी, लेकिन राखी बांधने के लिए अंदर प्रवेश नहीं दिया. उनकी मिठाई और राखी जेल प्रहरियों के माध्यम से भाइयों तक पहुंचा दी गई. जेल प्रबंधन ने किसी को भी इसका कोई कारण नहीं बताया. कोरोना के पहले और दूसरे दौर के दौरान जेल में बंद लोगों की मुलाकात उनके परिजनों से करने की व्यवस्था बंद हो गई थी. लेकिन कोविड प्रोटोकाल खत्म होने के बाद भी यह व्यवस्था सामान्य नहीं हुई है.