झालावाड़. कोरोना काल में झालावड़ से बेपरवाही की हैरान देने वाली कहानी सामने आई है. जहां एक तड़पते मरीज को देख कर भी जिम्मेदारों का दिल नहीं पसीजा. आखिरकार मरीज के बेटे ने खुद ही अस्पताल कर्मचारियों का काम किया, तब जाकर मरीज की जान बच सकी.
दरअसल, सरवर निवासी गोविंद मेघवाल ने बताया कि उसके पिता रतनलाल को 4 दिन पहले बुखार व सांस लेने में तकलीफ होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां पर आज अचानक से सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म हो गई. ऐसे में उनके पिता तड़पने लगे. इस दौरान उनकी माता ने उन्हें ऑक्सीजन देने की भी कोशिश की, लेकिन उनके पिता काफी देर तक तड़पते रहे. इस दौरान उन्होंने अस्पताल प्रशासन से कई बार सिलेंडर बदलने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की.
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ऐसे में अपने पिताजी को तड़पता देख वह खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आया और उसने सिलेंडर बदला तब जाकर उनके पिता को ऑक्सीजन मिली. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पिड़ावा अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में मरीजों को तड़पना पड़ता है. ऐसा ही कुछ यहां पर फिर से देखने को मिला जब कोरोना मरीज ऑक्सीजन के लिए काफी देर तक तड़पता रहा. आखिर में उसके परिजनों को ही ऑक्सीजन का सिलेंडर बदलना पड़ा.
इससे पूर्व भी ऑक्सीजन के अभाव में यहां मरीज दम तोड चुके हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में पंखा भी मरीजों को खुद लेकर आना पड़ता है. इसके अलावा यहां पर्याप्त रोशनी की भी व्यवस्था नहीं है.