झालावाड़. वैसे तो सरकारी अस्पताल की हालत किसी से छुपी नहीं है. सरकारी अस्पताल को लेकर लोगों के मन में जो विचारधारा बैठ गई है उसी की जीती-जागती तस्वीर शहर की गलियों में दिखी. दरअसल हुआ यूं की झालावाड़ की सड़कों पर इंसानियत को झकझोर देने वाला दृश्य देखने को मिला. जब एक टीबी मरीज अपने इलाज के लिए पैसों का इंतजाम करने ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे स्ट्रेचर पर भटकता रहा. इस दृश्य ने अस्पताल प्रशासन की सारी व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है. जिसने भी इस मरीज को देखा सिवाय तरस खाने के कुछ न कर सका.
झालावाड़ शहर की सड़कों पर ऐसा नजारा सरकारी सिस्टम को शर्मसार करने वाला था. झालावाड़ एसआरजी अस्पताल के टीबी वार्ड में भर्ती एक मरीज पैसे निकालने के लिए अस्पताल से डेढ़ किलोमीटर दूर मंगलपुरा आ पहुंचा. वो भी स्ट्रेचर और ऑक्सीजन के सिलेंडर के सहारे. साथ में एक छोटा सा बच्चा जो उस स्ट्रेचर को खींच रहा था. मरीज की नाक में ऑक्सीजन लगे होने के बाद स्ट्रेचर पर बैठकर शहर की गलियों में उसे ऐसे देख सभी हैरत में पड़ गए. साथ ही एसआरजी अस्पताल की तमाम व्यवस्थाओं को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया.
बता दे की 8 महीने से टीबी वार्ड में अपनी जिंदगी और मौत से जूझ रहे पिड़ावा क्षेत्र के दिनेश नाम के इस युवक का न तो डॉक्टर्स न नर्सेज और न ही किसी सुरक्षा गार्ड ने सुध ली. मजबूरी में ये मरीज शहर की सड़कों पर पैसों के लिए भटकता रहा. जिसके एक हाथ में स्टेट बैंक का पासबुक था जो पैसे निकलवाने के लिए आया था. लेकिन बैंक में भी उसको निराशा ही हाथ लगी. ऐसे में चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मी रवि दुबे और चेतन शर्मा ने मरीज की हालत को देखते हुए इसे सहायता राशि दी और उसे वापस अस्पताल में पहुंचाया ताकि इसकी तबीयत पर कोई गलत प्रभाव ना पड़े.
पढ़ेंः SHO विष्णुदत्त आत्महत्या की जांच CBI से कराई जाए: पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां
मरीज दिनेश ने बताया कि वह 8 महीने से टीबी वार्ड में भर्ती है. आज उसको पैसों की जरूरत थी. लेकिन अस्पताल में व्यवस्था नहीं हो पाई. तो वो खुद ही स्ट्रेचर लेकर बाहर आ गया. वहीं चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मी रवि दुबे ने बताया कि एक मरीज को स्ट्रेचर पर ऑक्सीजन का सिलेंडर रखे हुए जिसके नाक में ऑक्सीजन की पाइप लगी हुई थी वो जा रहा था. जिसे देखकर सभी चौंक गए. क्योंकि आज तक कोई भी ऐसा मरीज इस तरह सड़कों पर स्ट्रेचर के साथ घूमता हुआ नहीं देखा गया. ऐसे में पुलिसकर्मी ने उसे सहायता राशि सौंपते हुए वापस अस्पताल भेजने की व्यवस्था करवाई. वहीं इस घटना में अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है प्रशासन की व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.