झालावाड़. शहर से 6 किलोमीटर दूर स्थित गागरोन ग्राम पंचायत ने वैश्विक महामारी कोरोना से बड़ी सूझबूझ से लड़ाई लड़ी है. गागरोन ग्राम पंचायत की आबादी करीब 4500 है. ऐसे में यहां कोरोना को लेकर लोगों ने सजगता से काम किया.
लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद जहां प्रशासन और सरपंच ने आशा सहयोगिनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर सर्वे करवाकर सोडियमहाइपोक्लोराइट का छिड़काव करवाया. वहीं, लोगों ने भी सजगता और जागरूकता का परिचय देते हुए गाइडलाइन की पालना की. ग्रामीण हर जगह सोशल डिस्टेंसिंग के नियम पालन करते नजर आए. ज्यादातर लोगों ने गमछे या रूमाल से मुंह ढक रखा था.
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गागरोन ग्राम पंचायत के सरपंच शोभाराम ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होते ही ग्राम पंचायत के सभी गांवों में सर्वे करवाते हुए सैनिटाइजेशन करवाया गया. इसके अलावा सभी लोगों से घर घर जाकर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करने की अपील की गई. साथ ही बाहर से आने वाले व्यक्ति की सूचना तुरंत प्रशासन व पंचायत को देने को कहा गया.
प्रवासियों से होने वाले संक्रमण का रखा ध्यान...
गांव में लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 40 से 45 प्रवासी यहां आए, जिन्हें पंचायत भवन, राजीव गांधी सेवा केंद्र व उनके ही घरों के बाहर क्वॉरेंटाइन करने की व्यवस्था की गई. गांव में इस दौरान जब दुकान के बाहर बैठे कई लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने बाहर निकलना बंद कर दिया. इसके अलावा वह हमेशा मुंह पर गमछा व रूमाल बांध कर बाहर निकलते हैं और लोगों से 2 गज की दूरी से ही बात करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इस दौरान राशन की व्यवस्था अच्छे से की गई. समय पर गेहूं व दाल उपलब्ध करवाई गई, जिसके चलते उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.
गागरोन ग्राम पंचायत में दुकानदारों से भी बात की तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से वे प्रशासन द्वारा बताए गए समय के अनुसार ही दुकान खोलते हैं और इस दौरान उचित दूरी बनाते हुए ग्राहकों को सामान दे रहे हैं. साथ ही अपने और ग्राहक के हाथों पर भी लगातार सैनिटाइजर लगाते रहते हैं.
गांव के युवाओं ने बताया कि लॉक डाउन की घोषणा होने के बाद उन्होंने लकड़ियों और झाड़ियों का दरवाजा बनाते हुए गांव के मुख्य रास्तों को बंद कर दिया. जिससे कोई भी बाहरी व्यक्ति गांव के अंदर नहीं आ सके.
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गागरोन ग्राम पंचायत से बड़ी संख्या में दूधवाले झालावाड़ शहर में जाते हैं. ऐसे में हमने दूध वालों से बात की तो उन्होंने बताया कि पूरे लॉकडाउन के दौरान वो घर पर ही रहे, शहर में दूध नहीं लेकर गए. अब जब एक जून से छूट मिली है तो वे एहतियात के तौर पर मास्क लगाकर झालावाड़ शहर में दूध बेचने जाते हैं और वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए दूध को बेचते हैं.
ऐसे में ग्रामीणों की सजगता से गागरोन ग्राम पंचायत कोरोना से अछूता रहा. लोगों ने कोरोना वायरस महामारी से बचाव के सारे उपाय और सभी महत्वपूर्ण कदम उठाए. जिसके चलते कोरोना की इस जंग में ग्रामीण 'योद्धा' साबित हुए.