अकलेरा (झालावाड़). जिले के अकलेरा में करीब दो साल पुराने एक मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश अकलेरा असीम कुलश्रेष्ठ ने हत्या के प्रयास और आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने की आरोपी महिला को दो धाराओं में सात-सात साल के कारावास और 10-10 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है.
बता दें कि 6 नवंबर 2017 को मोरसिंह ने झालावाड़ हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज में पुलिस को बयान दिया था कि वह सरड़ा का रहने वाला है. उसकी पत्नी शांतिबाई और उसके बीच करीब 10-15 दिन पहले से झगड़ा चल रहा है. करीब 12 बजे उसे उसकी पत्नी ने पता नहीं कौनसी दवाई पिला दी कि उसे चक्कर आने लगे. जब उसने पूछा कि क्या पिलाया तो उसने फिर से झगड़ा किया. उसने गुस्से में आकर केरोसीन छिड़ककर आग लगा ली. इससे उसके कपड़े व पूरा शरीर जल गया. गांव वालो ने आकर आग बुझाई.
उसकी पत्नी शांतिबाई रोज उससे बात-बात पर झगड़ा और गाली गलोज करती थी. इससे तंग व परेशान होकर उसने तेल छिड़ककर आग लगा ली थी. जिसके बाद घायल अवस्था में उसे झालावाड़ के अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इस दौरान उसकी पत्नी या परिवार का कोई भी अन्य सदस्य साथ नहीं आया. उसने बयान दिया था कि उसकी पत्नी के उसके भाई के साथ गलत संबंध थे. इस कारण आए दिन झगड़ा होता रहता था.
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इस प्रकरण में घटना के अगले दिन ही मोरसिंह की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी. उक्त पर्चा बयान के आधार पर पुलिस थाना भालता में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र अकलेरा के न्यायिक मजिस्ट्रेट समक्ष पेश किया. इस मामले में न्यायालय ने माना कि आरोपी शांतिबाई ने अपने ही पति मोर सिंह को जहर देकर मारने की कोशिश की और उसके साथ बार-बार झगडे़ कर आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित किया.
इसके परिणामस्वरूप मोरसिंह ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी. जिसके बाद कोर्ट ने पति की हत्या का प्रयास और आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने की आरोपी महिला को सात साल की कैद की सजा सुनाई है.