अकलेरा (झालावाड़). जिले के ल्हास गांव में विगत 70 सालों से अधिक हो चुके हैं महावीर मानस कला मंडल ल्हास गांव द्वारा रामलीला आयोजित की जा रही है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला का रुझान बरकरार है.
स्थानीय बुजुर्ग हीरालाल मीणा बताते हैं कि मेरी उम्र लगभग 50 से ऊपर है. मैंने भी पहले से चली आ रही इस रामलीला को ऐसे ही देखा है लगभग 70 सालों से इस गांव में रामलीला चली आ रही है. आज भी गांव के अंदर खेती कार्य करने के उपरांत शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं.
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रामलाल को देखते हुए भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं यह राम लीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है गांव का आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी मोबाइल कंप्यूटर का जमाना जिसमें आज भी रामलीला का अस्तित्व बरकरार है. आज गांव के अंदर मनोरंजन का मुख्य साधन रामलीला ही माना जाता है. आज भी क्षेत्र के लोगों के लिए मनोरंजन का मुख्य आकर्षक का केंद्र बन रही है रामलीला दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं. इस गांव में लगभग 12 दर्जन गांव के लोग इस राम लीला को देखने के लिए आते हैं.