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झालावाड़ के अकलेरा में 70 साल से होती है रामलीला, गांव भर के लोग खूब चाव से देखते हैं - झालावाड़ न्यूज

महावीर मानस कला मंडल ल्हास गांव द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला का रुझान बरकरार है.

Mahavir Manas Kala Mandal, महावीर मानस कला मंडल
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Published : Nov 6, 2019, 12:13 PM IST

अकलेरा (झालावाड़). जिले के ल्हास गांव में विगत 70 सालों से अधिक हो चुके हैं महावीर मानस कला मंडल ल्हास गांव द्वारा रामलीला आयोजित की जा रही है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला का रुझान बरकरार है.

मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी रामलीला देखने पहुंचता है पूरा गांव

स्थानीय बुजुर्ग हीरालाल मीणा बताते हैं कि मेरी उम्र लगभग 50 से ऊपर है. मैंने भी पहले से चली आ रही इस रामलीला को ऐसे ही देखा है लगभग 70 सालों से इस गांव में रामलीला चली आ रही है. आज भी गांव के अंदर खेती कार्य करने के उपरांत शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं.

पढ़ें- चंदों के सिक्कों से चुनाव लड़ेगी यह महिला प्रत्याशी, जानें पूरा मामला

रामलाल को देखते हुए भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं यह राम लीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है गांव का आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी मोबाइल कंप्यूटर का जमाना जिसमें आज भी रामलीला का अस्तित्व बरकरार है. आज गांव के अंदर मनोरंजन का मुख्य साधन रामलीला ही माना जाता है. आज भी क्षेत्र के लोगों के लिए मनोरंजन का मुख्य आकर्षक का केंद्र बन रही है रामलीला दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं. इस गांव में लगभग 12 दर्जन गांव के लोग इस राम लीला को देखने के लिए आते हैं.

अकलेरा (झालावाड़). जिले के ल्हास गांव में विगत 70 सालों से अधिक हो चुके हैं महावीर मानस कला मंडल ल्हास गांव द्वारा रामलीला आयोजित की जा रही है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला का रुझान बरकरार है.

मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी रामलीला देखने पहुंचता है पूरा गांव

स्थानीय बुजुर्ग हीरालाल मीणा बताते हैं कि मेरी उम्र लगभग 50 से ऊपर है. मैंने भी पहले से चली आ रही इस रामलीला को ऐसे ही देखा है लगभग 70 सालों से इस गांव में रामलीला चली आ रही है. आज भी गांव के अंदर खेती कार्य करने के उपरांत शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं.

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रामलाल को देखते हुए भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं यह राम लीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है गांव का आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी मोबाइल कंप्यूटर का जमाना जिसमें आज भी रामलीला का अस्तित्व बरकरार है. आज गांव के अंदर मनोरंजन का मुख्य साधन रामलीला ही माना जाता है. आज भी क्षेत्र के लोगों के लिए मनोरंजन का मुख्य आकर्षक का केंद्र बन रही है रामलीला दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं. इस गांव में लगभग 12 दर्जन गांव के लोग इस राम लीला को देखने के लिए आते हैं.

Intro:अकलेरा झालावाड़ हेमराज शर्मा 9950555135



अकलेरा (झालावाड़) जिले के ल्हास गांव में महावीर मानस कला मंडल की ओर से चल रही रामलीला में छठे दिन खर दूषण तीसरा का वध होने के बाद बहन शूपर्णखा रावण के दरबार में पहुंचती है और रावण को सारा वृत्तांत सुनातीहै। रावण कहता के बहिन तेरे नाक कान के बदले मैं उसकी भार्या को हर ले आऊंगा उसके बाद रावण मामा मारीच के पास जाता है और उसे कहता है कि तू अपनी माया से मृग बन जा ,मैं बाबा जी बन जाऊंगा ,तू राम को बहकाना, मैं उसकी भार्या हर लाऊंगा। उसके बाद मारीच मृग बनकर राम को बहकाता और राम उसके पीछे पीछे चले जाते हैं।मारीच राम की आवाज में कहता है हाय!लक्ष्मण मेरी सुध लेना ,माता सीता राम की आवाज सुनकर बड़ा विचलित होती है और लक्ष्मण को कहती है जाओ अपने भैया की रक्षा करो । तब लक्ष्मण जाने से पहले एक रेखा खींचते है और कहते के जो भी रेखा को पार करेगा वह यही जलकर भस्म हो जाएगा । इधर रावण माता सीता को अकेला देख भिक्षा मांगने आता और भिक्षा के बहाने माता सीता का हरण कर लेता है। गिद्धराज जटायु माता सीता को बचाने की बहुत कोशिश करते है लेकिन रावण अपनी तलवार से उसके पंख काट देता है । माता सीता का हरण होने के बाद राम लक्ष्मण सीता को वन जंगलों में ढूंढते फिरते तथा आगे चलने पर गिद्ध राज जटायु घायल अवस्था मे मिलते हैं और सारा वृत्तांत राम को सुनाते हैं।उसके बाद राम लक्ष्मण माता सीता को खोजते खोजते एक आश्रम के निकट पहुंचते हैं जहा शबरी नाम की एक वृद्ध महिला कोए को संबोधित कर कह रही थी कि बोल बोल कागा मेरे राम कब आएंगे।राम यह सब देखकर शबरी के पास पहुंचते हैं शबरी राम को मीठे मीठे बेर खिलाती है।शबरी से मिलने के बाद शबरी के बताए अनुसार राम ऋषि मुख पर्वत की ओर चले जाते हैं जहां हनुमान की सहायता से राम सुग्रीव मित्रता होती। वहीं स्थानीय कलाकारों में रामलीला में पाठ अदा करने वाले कलाकार हंसराज मीणा मोहनलाल कच्छावा हीरा लाल मीणा घनश्याम मीणा रामकिशन आदि विभिन्न कलाकार द्वारा रामलीला में पाठ अदा किए जाते हैं ।Body:सिर पर सफेद साफी बांधे हुए सफेद मूछों वाले बुजुर्ग व्यक्ति 65 वर्षीय हीरा लाल मीणा की बाइट


स्थानी रामलीला कलाकारों की अभिनय करने वाले पात्रों की बाइट

ग्रामीण दर्शकों की भीड़ के विजुअलConclusion:अकलेरा झालावार हेमराज शर्मा


अकलेरा(झालावाड़ )जिले के ल्हास गांव में विगत 70 वर्षों से अधिक हो चुके हैं महावीर मानस कला मंडल ल्हास गांव द्वारा रामलीला आयोजित करते हुए वही आज लोग दूरदराज सहित आसपास के और कहीं विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में रामलीला देखने आते हैं मॉडर्न टेक्नोलॉजी जमाने में आज भी गांव के अंदर रामलीला का रुझान बरकरार है वहीं स्थानीय बुजुर्ग हीरालाल मीणा बताते हैं कि मेरी उम्र लगभग 50 से ऊपर है मैंने भी पहले से चली आ रही इस रामलीला को ऐसे ही देखा है लगभग 70 वर्षों से इस गांव में रामलीला चली आ रही है आज भी गांव के अंदर खेती कार्य करने के उपरांत शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं रामलाल को देखते हुए भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं यह राम लीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है गांव का आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी मोबाइल कंप्यूटर का जमाना जिसमें आज भी रामलीला का अस्तित्व बरकरार है आज गांव के अंदर मनोरंजन का मुख्य साधन रामलीला ही माना जाता है आज भी क्षेत्र के लोगों के लिए मनोरंजन का मुख्य आकर्षक का केंद्र बन रही है रामलीला दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं इस गांव में लगभग 12 दर्जन गांव के लोग इस राम लीला को देखने के लिए आते हैं
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