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झालावाड़: गागरोन पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'...ना सड़कें, ना पानी कुछ भी नहीं हुआ विकास

राजस्थान में पंचायती राज चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो चुकी है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम 'सरपंच साहब रो रिपोर्ट कार्ड' कार्यक्रम के तहत झालावाड़ की गागरोन ग्राम पंचायत पहुंची. जहां पंचायत समिति में बीते 5 सालों में हुए विकास कार्यों को जानकारी ली. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

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गागरोन पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'
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Published : Jan 8, 2020, 7:55 PM IST

झालावाड़. गागरोन ग्राम पंचायत झालावाड़ की सबसे जानी पहचानी ग्राम पंचायत है. इस ग्राम पंचायत में गागरोन का ऐतिहासिक किला है. जो ना सिर्फ झालावाड़ में बल्कि पूरे हिंदुस्तान में खास पहचान रखता है और इसे जलदुर्ग के नाम से जाना जाता है, साथ ही ये किला वर्ल्ड हेरिटेज सूची में भी शामिल हैं. इसके अलावा यहां पर ख्वाजा हमीदुद्दीन शरीफ की दरगाह भी है. जो अजमेर दरगाह के बाद राजस्थान में मुस्लिम संप्रदाय के लिए श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है. इस दरगाह को मिट्ठे महावली सरकार के नाम से भी जाना जाता है. इसी ग्राम पंचायत में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व का क्षेत्र भी आता है, साथ ही यहां पर आहू नदी व कालीसिंध नदी का संगम भी है.

गागरोन पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'.

ग्राम पंचायत में कुल 4000 वोटर्स
ऐसे में इन तमाम खासियतों को समेटे हुए इस ग्राम पंचायत के विकास की बात करें तो इस ग्राम पंचायत में कुल 4000 वोटर्स हैं. जिनमें 2200 पुरुष और 1800 महिलाओं के वोट हैं. इस ग्राम पंचायत के मुख्य गांव गागरोन, नौलाव, लक्ष्मीपुरा, खानपुरा व हरिपुरा है.

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गागरोन का ऐतिहासिक किला

पढ़ें- झालावाड़: घाटोली पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'...विकास कार्यों से असंतुष्ट ग्रामीण

सरपंच बिरधीलाल का दावा ये किया विकास
गांव के विकास कार्य को लेकर जब सरपंच से बात कि तो सरपंच बिरधीलाल का दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में ग्राम पंचायत के सभी गांवों में इंटरलॉकिंग करवाई है, पानी के लिए हैंडपंप खुदवाए हैं और नालियां बनवाई है. साथ ही उन्होंने बड़े पुल के निर्माण के लिए विधायक और सांसद से मुलाकात भी की है. वहीं गांव में सड़कें बनाने की कार्य पर उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र वन विभाग के तहत आता है. ऐसे में वन विभाग के द्वारा यहां पर सड़क बनाने की अनुमति नहीं मिल पाती है. सरपंच का कहना है कि सड़क बनाने के लिए वन विभाग अनुमति नहीं देता है.

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ख्वाजा हमीदुद्दीन शरीफ की दरगाह

पढ़ें- भीलवाड़ा: गागेडा पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'...मॉडल तालाब से लेकर पार्क तक सब चकाचक

सड़क और पानी सबसे बड़ी समस्या
वहीं गागरोन ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी परेशानी सड़कों की है. ग्राम पंचायत के गांवों को आपस में जोड़ने के लिए एक भी जगह सड़क नहीं बनवाई गई है. लोगों को कच्चे रास्तों में ही सफर करना पड़ता है. यहां के लोगों के लिए पानी भी एक बड़ी समस्या है. गागरोन गांव के लोगों का कहना है कि उनके दोनों तरफ नदियां है. जिनसे पूरा झालावाड़ पानी पीता है, लेकिन गागरोन के लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. ग्राम पंचायत के द्वारा उनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की गई है.

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गांव में कच्ची सड़क

बारिश के समय रहती है ये बड़ी समस्या
लोगों ने बताया कि इस ग्राम पंचायत में आने के लिए आहू नदी व कालीसिंध नदी पर बने पुल पर से गुजरना पड़ता है, लेकिन बारिश के दिनों में ये दोनों पुल डूब जाते हैं. जिसके चलते पूरी ग्राम पंचायत का जिला मुख्यालय से दो-दो महीने तक संपर्क कटा हुआ रहता है.

पढ़ें- अजमेर: सोमलपुर पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'...पानी, चिकित्सा और बिजली से ग्रामीण परेशान

साथ ग्रामीणों का कहना है कि पर्यटक भी ऐतिहासिक स्थलों को नहीं देख पाते हैं. उन्होंने बताया कि दो बड़े ऐतिहासिक स्थान होने के बावजूद भी यहां पर बाहर से आने वाले लोगों के बैठने के लिए कोई अच्छी व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही रोड लाइट लगी हुई है. गांव में नालियां भी नहीं बनी हुई है. जिसके चलते जगह जगह कीचड़ भरा रहता है.

झालावाड़. गागरोन ग्राम पंचायत झालावाड़ की सबसे जानी पहचानी ग्राम पंचायत है. इस ग्राम पंचायत में गागरोन का ऐतिहासिक किला है. जो ना सिर्फ झालावाड़ में बल्कि पूरे हिंदुस्तान में खास पहचान रखता है और इसे जलदुर्ग के नाम से जाना जाता है, साथ ही ये किला वर्ल्ड हेरिटेज सूची में भी शामिल हैं. इसके अलावा यहां पर ख्वाजा हमीदुद्दीन शरीफ की दरगाह भी है. जो अजमेर दरगाह के बाद राजस्थान में मुस्लिम संप्रदाय के लिए श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है. इस दरगाह को मिट्ठे महावली सरकार के नाम से भी जाना जाता है. इसी ग्राम पंचायत में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व का क्षेत्र भी आता है, साथ ही यहां पर आहू नदी व कालीसिंध नदी का संगम भी है.

गागरोन पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'.

ग्राम पंचायत में कुल 4000 वोटर्स
ऐसे में इन तमाम खासियतों को समेटे हुए इस ग्राम पंचायत के विकास की बात करें तो इस ग्राम पंचायत में कुल 4000 वोटर्स हैं. जिनमें 2200 पुरुष और 1800 महिलाओं के वोट हैं. इस ग्राम पंचायत के मुख्य गांव गागरोन, नौलाव, लक्ष्मीपुरा, खानपुरा व हरिपुरा है.

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गागरोन का ऐतिहासिक किला

पढ़ें- झालावाड़: घाटोली पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'...विकास कार्यों से असंतुष्ट ग्रामीण

सरपंच बिरधीलाल का दावा ये किया विकास
गांव के विकास कार्य को लेकर जब सरपंच से बात कि तो सरपंच बिरधीलाल का दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में ग्राम पंचायत के सभी गांवों में इंटरलॉकिंग करवाई है, पानी के लिए हैंडपंप खुदवाए हैं और नालियां बनवाई है. साथ ही उन्होंने बड़े पुल के निर्माण के लिए विधायक और सांसद से मुलाकात भी की है. वहीं गांव में सड़कें बनाने की कार्य पर उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र वन विभाग के तहत आता है. ऐसे में वन विभाग के द्वारा यहां पर सड़क बनाने की अनुमति नहीं मिल पाती है. सरपंच का कहना है कि सड़क बनाने के लिए वन विभाग अनुमति नहीं देता है.

rajasthan panchayat election, gagron gram panchayat jhalawar
ख्वाजा हमीदुद्दीन शरीफ की दरगाह

पढ़ें- भीलवाड़ा: गागेडा पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'...मॉडल तालाब से लेकर पार्क तक सब चकाचक

सड़क और पानी सबसे बड़ी समस्या
वहीं गागरोन ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी परेशानी सड़कों की है. ग्राम पंचायत के गांवों को आपस में जोड़ने के लिए एक भी जगह सड़क नहीं बनवाई गई है. लोगों को कच्चे रास्तों में ही सफर करना पड़ता है. यहां के लोगों के लिए पानी भी एक बड़ी समस्या है. गागरोन गांव के लोगों का कहना है कि उनके दोनों तरफ नदियां है. जिनसे पूरा झालावाड़ पानी पीता है, लेकिन गागरोन के लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. ग्राम पंचायत के द्वारा उनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की गई है.

rajasthan panchayat election, gagron gram panchayat jhalawar
गांव में कच्ची सड़क

बारिश के समय रहती है ये बड़ी समस्या
लोगों ने बताया कि इस ग्राम पंचायत में आने के लिए आहू नदी व कालीसिंध नदी पर बने पुल पर से गुजरना पड़ता है, लेकिन बारिश के दिनों में ये दोनों पुल डूब जाते हैं. जिसके चलते पूरी ग्राम पंचायत का जिला मुख्यालय से दो-दो महीने तक संपर्क कटा हुआ रहता है.

पढ़ें- अजमेर: सोमलपुर पंचायत के सरपंच का 'रिपोर्ट कार्ड'...पानी, चिकित्सा और बिजली से ग्रामीण परेशान

साथ ग्रामीणों का कहना है कि पर्यटक भी ऐतिहासिक स्थलों को नहीं देख पाते हैं. उन्होंने बताया कि दो बड़े ऐतिहासिक स्थान होने के बावजूद भी यहां पर बाहर से आने वाले लोगों के बैठने के लिए कोई अच्छी व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही रोड लाइट लगी हुई है. गांव में नालियां भी नहीं बनी हुई है. जिसके चलते जगह जगह कीचड़ भरा रहता है.

Intro:झालावाड़ के गागरोन ग्राम पंचायत में जितने बड़े ऐतिहासिक व प्रसिद्ध स्थल है, उतनी ही बड़ी यहां के लोगों की परेशानियां है। ग्रामीणों के लिए न तो सड़कों की व्यवस्था है, ना पीने की पानी की और बारिश के दिनों में आवागमन में भी परेशानी होती है।

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Body:राजस्थान में पंचायती राज चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो चुकी है। ऐसे में ईटीवी भारत की टीम 'सरपंच साहब रो रिपोर्ट कार्ड' कार्यक्रम के तहत झालावाड़ की गागरोन ग्राम पंचायत में बीते 5 वर्षों में हुए विकास कार्यों को जानने पहुंची।

गागरोन ग्राम पंचायत झालावाड़ की सबसे जानी पहचानी ग्राम पंचायत है। इस ग्राम पंचायत में गागरोन का ऐतिहासिक किला है जो न सिर्फ झालावाड़ में बल्कि पूरे हिंदुस्तान में खास पहचान रखता है और इसे जलदुर्ग के नाम से जाना जाता है साथ ही ये किला वर्ल्ड हेरिटेज सूची में भी शामिल हैं। इसके अलावा यहां पर ख्वाजा हमीदुद्दीन शरीफ की दरगाह भी है जो अजमेर दरगाह के बाद राजस्थान में मुस्लिम संप्रदाय के लिए श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है। इस दरगाह को मिट्ठे महावली सरकार के नाम से भी जाना जाता है। इसी ग्राम पंचायत में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व का क्षेत्र भी आता है साथ ही यहां पर आहू नदी व कालीसिंध नदी का संगम भी है। ऐसे में इन तमाम खासियतों को समेटे हुए इस ग्राम पंचायत के विकास की बात करें तो इस ग्राम पंचायत में कुल 4000 वोटर्स है। जिनमें 2200 पुरुष व 1800 महिलाओं के वोट हैं। इस ग्राम पंचायत के मुख्य गांव गागरोन, नौलाव, लक्ष्मीपुरा, खानपुरा व हरिपुरा है।

आम जनता का कहना है कि उनकी ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी परेशानी सड़कों की है। ग्राम पंचायत के गांवों को आपस में जोड़ने के लिए एक भी जगह सड़क नहीं बनवाई गई है। लोगों को कच्चे रास्तों में ही सफर करना पड़ता है। यहाँ के लोगों के लिए पानी भी एक बड़ी समस्या है। गागरोन गांव के लोगों का कहना है कि उनके दोनों तरफ नदियां है जिनसे पूरा झालावाड़ पानी पीता है लेकिन गागरोन के लोगों को पानी नहीं मिल पाता है। ग्राम पंचायत के द्वारा उनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं की गई है। लोगों ने बताया कि इस ग्राम पंचायत में आने के लिए आहू नदी व कालीसिंध नदी पर बने पुल पर से गुजरना पड़ता है लेकिन बारिश के दिनों में ये दोनों पुल डूब जाते हैं। जिसके चलते पूरी ग्राम पंचायत का जिला मुख्यालय से दो-दो महीने तक संपर्क कटा हुआ रहता है। साथ ही पर्यटक भी ऐतिहासिक स्थलों को नहीं देख पाते हैं। उन्होंने बताया कि दो बड़े ऐतिहासिक स्थान होने के बावजूद भी यहां पर बाहर से आने वाले लोगों के बैठने के लिए कोई अच्छी व्यवस्था नहीं की गई है और न ही रोड लाइट लगी हुई है। गांव में नालीयां भी नहीं बनी हुई है जिसके चलते जगह जगह कीचड़ भरा रहता है।

वहीं सरपंच का दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में ग्राम पंचायत के सभी गांवों में इंटरलॉकिंग करवाई है, पानी के लिए हैडपम्प खुदवाए हैं तथा नालियां बनवाई है। उन्होंने बड़े पुल के निर्माण के लिए विधायक और सांसद से मुलाकात की है। वही गांव में सड़कें बनाने की बात है तो यह क्षेत्र वन विभाग के तहत आता है ऐसे में वन विभाग के द्वारा यहां पर सड़क बनाने की अनुमति नहीं मिल पाती है। सरपंच का कहना है कि सड़क बनाने के लिए वन विभाग अनुमति नहीं देता है वही मिट्टी या गिट्टी उठानी हो तो उसकी भी अनुमति नहीं दी जाती है


Conclusion:बाइट 1 - नरेंद्र सिंह सोलंकी (ग्रामीण)
बाइट 2 - अब्दुल रशीद (ग्रामीण)
बाइट 3 - रामभरोस (ग्रामीण)
बाइट 4 - बिरधीलाल (वर्तमान सरपंच)
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