झालावाड़. लोकतंत्र की मजबूती में सबसे अहम भूमिका मतदान की होती है. ऐसे में मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से हमेशा अलग-अलग प्रयास किए जाते रहे हैं. निर्वाचन आयोग स्वीप कार्यक्रम और बीएलओ के माध्यम से नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची जोड़ने का काम करता रहता है. लेकिन वर्तमान में चल रही कोरोना महामारी के चलते नए मतदाताओं का नाम जोड़ने का काम बाधित हो रहा है.
ऐसे में अब लोग घर बैठे मोबाइल और कप्यूटर से ही अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकेंगे. नाम जुड़वाने के लिए अब सरकारी कार्यालयों और अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. मतदाता सूची में नया नाम जुड़वाने के अलावा व्यक्ति अपने नाम में संशोधन करवा सकता है तथा किसी का नाम हटवाया भी जा सकता है.
पढ़ें- स्पेशल: कोरोना काल में लड़खड़ाई एंबुलेंस व्यवस्था, निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचने को मजबूर मरीज
झालावाड़ जिला कलेक्टर निकया गोहाएन ने बताया कि 19 से 25 वर्ष तक के युवाओं का नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़ पाता है, और अब कोरोना महामारी भी चल रही है. ऐसे में अब निर्वाचन विभाग की ओर से ऑनलाइन मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का व्यवस्था की गई है. नए मतदाता अपना नाम NVSP.IN पोर्टल पर जाकर जुड़वा सकते हैं.
पोर्टल के अलावा निर्वाचन आयोग की ओर से मोबाइल एप की व्यवस्था भी की गई है. ऐसे में जिला कलेक्टर ने अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा युवा आगे आएं एवं अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाएं और लोकतंत्र को मजबूत करने का काम करें.
मिनी सचिवालय के राजीव गांधी सेवा केंद्र पर नाम दर्ज करवाने आए अभय वर्मा ने बताया NVSP.IN पोर्टल पर यूजर आईडी बनाते हुए, उन्होंने मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाया है. जिसमें पोर्टल पर जो भी जानकारी मांगी जाती है. वो भरने पर नाम मतदाता सूची में दर्ज हो जाता है. यह बहुत ही अच्छी पहल है. जिससे लोगों को घर बैठे नाम जुड़वाने की सुविधा मिलेगी.
ऐसी है, प्रक्रिया
आवेदक को सबसे पहले NVSP.IN पोर्टल पर यूजर आईडी बनानी होती है. उसके बाद आवेदक को अपना नाम, पता, माता-पिता का नाम और अन्य जानकारियां भरनी होती है. साथ ही मोबाइल नंबर पर OTP आने के साथ ही भरने की प्रक्रिया पूर्ण होती है. जिसके बाद वेरिफिकेशन करने के लिए बीएलओ मतदाता के घर पर जाता है.
जानकारी सही पाए जाने के बाद व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में जुड़ जाता है, और वोटर आईडी कार्ड बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. 1 से 2 महीने बाद मतदाता का वोटर आईडी कार्ड भी बन कर घर आ जाता है.