झालावाड़. शहर में आज ऑपरेशन ब्लू स्टार में अपने प्राणों की आहुति देने वाले रणबांकुरे शहीद निर्भय सिंह सिसोदिया की प्रतिमा पर सामाजिक संगठनों ने माल्यार्पण कर उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान एक प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया जिसमें स्कूली बच्चों के साथ शहर के गणमान्य नागरिक स्काउट गाइड के कई पदाधिकारी मौजूद रहे. बता दें कि 6 जून 1985 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिख आतंकवादियों से लोहा लेते हुए जिले के इस जांबाज सिपाही ने अपनी जान गंवा दी थी. शहीद निर्भय सिंह सिसोदिया का जन्म झालावाड़ में तहसीलदार के पद पर कार्यरत नन्द सिंह के यहां 1 मई 1958 को हुआ था. वह बचपन से अच्छे खिलाड़ी थे तथा उनके प्रारंभिक शिक्षा झालावाड़ में हुई थी. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कई पूर्व सैनिकों ने भी शहीद को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी.
क्या है ! ऑपरेशन ब्लू स्टार : 1984 में पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर था और उसी दौरान पंजाब के अमृतसर में स्थित सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थल स्वर्ण मंदिर को आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया था. आतंकवादी स्वर्ण मंदिर से ही अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. तभी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर की इमारत को खाली करवाने का आदेश दिया. तब सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर को आतंकवादियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार अभियान चलाया था.
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शहीद की कंपनी को मिला था इमारत खाली कराने की जिम्मेदारी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा सेना को इमारत खाली कराने के आदेश के बाद ऑपरेशन ब्लू स्टार की जिम्मेदारी शहीद निर्भय सिंह सिसोदिया की कंपनी को दी गई. झालावाड़ के जांबाज सिपाही को लाइट मशीन गन डिटैचमेंट कमांडर चुना गया. ऑपरेशन के दौरान शहीद निर्भय सिंह अपने कंपनी के लिए इमारत को खाली कराने के लिए आगे बढ़ रहे थे, सामने की इमारत में जबर्दस्त फायरिंग होने के कारण उन्हें अपने अभियान कुछ देर के लिए रोकना पड़ा. जिसके बाद कंपनी के कमांडर ने आगे बढ़ने का फैसला किया. कमांडर को कवर देने के दौरान सामने से आ रही फायरिंग में शहीद निर्भय के दोनों पैरों मैं गोलियां लग गई. जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए. उसके बाद भी उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और आगे बढ़ते हुए सामने से लाइट मशीनगन से हो रही फायरिंग पर गोला फेंक कर उसे नेस्तनाबूद कर दिया. हालांकि लगातार हो रही फायरिंग में उनका शरीर गोलियों से पूरी तरह से छलनी हो गया. इस ऑपरेशन में निर्भय सिंह ने शहीद हो गए.
भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित : ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान शहर के जांबाज सिपाही को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. शहर के लोग आज भी उनके वीरता और अदम्य साहस को याद करते हैं.