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ग्रामीणों की कोरोना से जंग: झालावाड़ का क्यासरा गांव जहां एक भी पॉजिटिव केस नहीं, आखिर कैसे...देखें रिपोर्ट

झालावाड़ जिले के डग उपखंड का क्यासरा गांव जो जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है. इस गांव में एक भी कोरोना पॉजिटिव केस सामने नहीं आया है. वजह है ग्रामीणों की सर्तकता और चौकसी, क्योंकि इस गांव में रहने वाले लोग सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की पूरी पालना कर रहे हैं.

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क्यासरा गांव जहां एक भी कोरोना पॉजिटिव केस नहीं
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Published : Jul 2, 2020, 11:01 PM IST

डग (झालावाड़). जिले के डग उपखंड का क्यासरा गांव जो जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है. इस गांव की आबादी करीब 3 हजार के आस-पास है. क्यासरा गांव अपनी एक अलग पहचान रखता है जो पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में कायावर्णेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर में एक शिवलिंग है. शिवलिंग के नीचे एक कुंड बना हुआ है, जो चर्म रोगों के लिए बहुत कारगर साबित होता है. वहीं यहां पर एक दूध तलाई भी है. इस गांव की खासियत यह है कि यहां अनेक कथाएं हैं जो इतिहास में लिखी हुई है. राजा जनमेजय का इतिहास भी इसी गांव से जुड़ा हुआ है.

क्यासरा गांव जहां एक भी कोरोना पॉजिटिव केस नहीं

क्यासरा गांव में राजस्थान का दूसरा वेद विद्यापीठ मंदिर स्कूल भी संचालित है. जिसमें पूरे भारतवर्ष के युवक यहां पर शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. ये कह सकते हैं कि क्यासरा गांव पूरी तरह धार्मिकता से ओतप्रोत और शिक्षा के स्तर पर में काफी आगे है. गांव के अधिकतर लोग खेती पर निर्भर है. यदि यहां की भौगोलिक स्थिति देखी जाए तो चारों ओर सिर्फ हरियाली ही हरियाली है.

कहा जाता है कि इस गांव को ऊंचाई से देखा जाए तो यह गांव ओम आकार के बीच में स्थापित है. सामान्य दिनों में क्यासरा गांव के कायावर्णेश्वर महादेव मंदिर में हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए यहां आते थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते जब से लॉकडाउन लगा, तब से इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संंख्या में कमी देखी गई. लॉकडाउन लगने के बाद ग्रामीणों ने सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की पालना की.

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क्यासरा गांव जाने का मार्ग...

पढ़ेंः कम पढ़ा-लिखा होने के बाद भी ब्राह्मण बैराड़ा पंचायत में रहने वाले लोगों के हौसले बुलंद, कोरोना से ऐसे लड़ रहे जंग

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि छोटा सा गांव होने के बाद भी यहां पर पूरी तरह प्रशासन के निर्देशों का पालन किया गया. वहीं मंदिर समिति द्वारा भी मंदिर पर ताला लगा दिया गया. जब तक लॉकडाउन चलेगा तब तक यहां दर्शनों के लिए मनाही रहेगी. वहीं यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंस की पालना की. साथ ही जब भी बाहर निकलते थे मास्क लगाकर निकलते थे. समय-समय पर प्रशासन के लोग यहां पहुंचते हैं और लोगों को समझाइश कर सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन के बारे में पूरी तरह समझाते हैं.

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कायावर्णेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग...

पढ़ेंः कोरोना से जंग: ग्रामीणों की वजह से अब तक कोरोना मुक्त है ये गांव, सैनिकों की तरह कर रहे रक्षा

इसके साथ ही गांव के सरपंच द्वारा पूरी तरह से यहां पर लॉकडाउन का पालन कराया जा रहा है. वहीं यहां पर दूसरी जगह से आने वाले मजदूर वर्ग के लोगों का अलग से रजिस्टर्ड बना रखा है. जिन्हें पूरी तरह प्रशासनिक अधिकारी देखते हैं. इसके साथ ही जो बाहर से लोग आते हैं, उन्हें क्वॉरेंटाइन करते हैं. इस गांव में अभी 12 लोग क्वॉरेंटाइन किए गए हैं. वहीं ग्राम पंचायत द्वारा असहाय लोगों को राशन सामग्री भी समय-समय पर वितरित करवाई जाती है. गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया. मंदिर परिसर में भी सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो गांव के लोग सरकार की पूर्ण रुप से पालना कर रहे हैं.

डग (झालावाड़). जिले के डग उपखंड का क्यासरा गांव जो जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है. इस गांव की आबादी करीब 3 हजार के आस-पास है. क्यासरा गांव अपनी एक अलग पहचान रखता है जो पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में कायावर्णेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर में एक शिवलिंग है. शिवलिंग के नीचे एक कुंड बना हुआ है, जो चर्म रोगों के लिए बहुत कारगर साबित होता है. वहीं यहां पर एक दूध तलाई भी है. इस गांव की खासियत यह है कि यहां अनेक कथाएं हैं जो इतिहास में लिखी हुई है. राजा जनमेजय का इतिहास भी इसी गांव से जुड़ा हुआ है.

क्यासरा गांव जहां एक भी कोरोना पॉजिटिव केस नहीं

क्यासरा गांव में राजस्थान का दूसरा वेद विद्यापीठ मंदिर स्कूल भी संचालित है. जिसमें पूरे भारतवर्ष के युवक यहां पर शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. ये कह सकते हैं कि क्यासरा गांव पूरी तरह धार्मिकता से ओतप्रोत और शिक्षा के स्तर पर में काफी आगे है. गांव के अधिकतर लोग खेती पर निर्भर है. यदि यहां की भौगोलिक स्थिति देखी जाए तो चारों ओर सिर्फ हरियाली ही हरियाली है.

कहा जाता है कि इस गांव को ऊंचाई से देखा जाए तो यह गांव ओम आकार के बीच में स्थापित है. सामान्य दिनों में क्यासरा गांव के कायावर्णेश्वर महादेव मंदिर में हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए यहां आते थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते जब से लॉकडाउन लगा, तब से इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संंख्या में कमी देखी गई. लॉकडाउन लगने के बाद ग्रामीणों ने सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की पालना की.

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कुल मिलाकर कह सकते हैं कि छोटा सा गांव होने के बाद भी यहां पर पूरी तरह प्रशासन के निर्देशों का पालन किया गया. वहीं मंदिर समिति द्वारा भी मंदिर पर ताला लगा दिया गया. जब तक लॉकडाउन चलेगा तब तक यहां दर्शनों के लिए मनाही रहेगी. वहीं यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंस की पालना की. साथ ही जब भी बाहर निकलते थे मास्क लगाकर निकलते थे. समय-समय पर प्रशासन के लोग यहां पहुंचते हैं और लोगों को समझाइश कर सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन के बारे में पूरी तरह समझाते हैं.

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इसके साथ ही गांव के सरपंच द्वारा पूरी तरह से यहां पर लॉकडाउन का पालन कराया जा रहा है. वहीं यहां पर दूसरी जगह से आने वाले मजदूर वर्ग के लोगों का अलग से रजिस्टर्ड बना रखा है. जिन्हें पूरी तरह प्रशासनिक अधिकारी देखते हैं. इसके साथ ही जो बाहर से लोग आते हैं, उन्हें क्वॉरेंटाइन करते हैं. इस गांव में अभी 12 लोग क्वॉरेंटाइन किए गए हैं. वहीं ग्राम पंचायत द्वारा असहाय लोगों को राशन सामग्री भी समय-समय पर वितरित करवाई जाती है. गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया. मंदिर परिसर में भी सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो गांव के लोग सरकार की पूर्ण रुप से पालना कर रहे हैं.

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