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झालावाड़: परिजनों का गंभीर आरोप, मौत के बाद भी बच्ची को भर्ती रखकर निकाले भामाशाह कार्ड से पैसे - refused to release the body

झालावाड़ शहर में स्थित एलएन अस्पताल का शर्मनाक चेहरा सामने आया है. जिसमें एक परिजन ने आरोप लगाया है कि बालिका की मौत के बाद भी उसे भर्ती रखा गया और उसके परिजनों के भामाशाह कार्ड से पैसे निकाले. उसके बाद भी लालच की भूख नहीं मिटी तो मृतक का शव देने से मना कर दिया और बाद में शव के बदले में गाड़ी छीन ली. वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.

झालावाड़ अस्पताल न्यूज, Jhalawar News
झालावाड़ के एक अस्पताल का शर्मनाक चेहरा
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Published : Mar 15, 2020, 11:58 PM IST

झालावाड़. जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां शहर के एलएन अस्पताल में बालिका का इलाज करवाने आए परिजनों से पहले तो अस्पताल प्रशासन ने भामाशाह कार्ड लेकर उससे पैसे निकलवा लिए और जब भी पैसों की भूख नहीं मिटी तो और ज्यादा पैसों की मांग करने लगे. परिजनों ने आरोप लगाया है कि, जब वे पैसे नहीं दे पाए तो अस्पताल प्रशासन ने डेड बॉडी देने से मना कर दिया. उनका आरोप है कि परिजन डेड बॉडी ले जाने लगे तो अस्पताल मालिक ने उनकी गाड़ी और इलाज की फाइल छीन ली.

झालावाड़ के एक अस्पताल का शर्मनाक चेहरा

जानकारी के अनुसार यह बेहद ही शर्मनाक कृत्य झालावाड़ के एलएन अस्पताल में किया गया है. अस्पताल में कोटा जिले के रामगंज मंडी क्षेत्र का रामकल्याण अपनी बेटी पूजा का इलाज कराने के उद्देश्य से आया था. एलएन अस्पताल में 5 मार्च को पूजा को फेफड़ों में से पानी निकालने के लिए भर्ती किया गया था, लेकिन शाम तक इलाज नहीं होने के कारण उसने करीब 8 बजे दम तोड़ दिया, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने पैसे के लालच में पूजा के मृत शरीर को रात 12 बजे तक भर्ती करके रखा और परिजनों से पैसे निकलवाने के लिए भामाशाह कार्ड भी ले लिया.

पढ़ें- कोरोना की एडवायरी को लेकर BJP ने घेरा, CM गहलोत की राजसमंद में सभा पर उठाए सवाल

परिजनों का आरोप है कि इस दौरान डॉक्टरों ने उनको बेटी से मिलने नहीं दिया और डांट फटकार कर भगाते रहे. साथ ही कभी जांच और कभी खून की मांग करते रहे. परिजनों का कहना है, कि रात 12 बजे जब परिजनों ने पूजा से जबर्दस्ती मिलने की कोशिश की तो डॉक्टरों ने पूजा को मृत घोषित कर दिया. अस्पताल प्रशासन ने परिजनों से फिर से पैसे की मांग की, जब परिजनों ने और पैसे देने में असमर्थता जताई तो उन्होंने डेड बॉडी देने से मना कर दिया. उनका कहना है, कि जैसे-तैसे परिजन डेड बॉडी लेने में कामयाब हुए तो अस्पताल प्रशासन ने उनकी बाइक छीन कर रख ली और मृत बालिका के इलाज की सारी फाइल भी अपने पास ही रख ली.

ऐसे में परिजन किराए की गाड़ी में मृत पूजा का शरीर घर लेकर गए और अंतिम संस्कार किया. परिजनों का कहना है, कि इसके बाद कई बार परिजन गाड़ी लेने और फाइल लेने अस्पताल में आए, लेकिन उनके साथ बदसलूकी की गई और धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया. ऐसे में परिजन रविवार को फिर बाइक और फाइल लेने आए तो अस्पताल प्रशासन ने अपशब्द कहते हुए उनको वापस लौटा दिया. साथ ही पुलिस में मामला दर्ज करवाने की धमकी दे डाली.

पढ़ें- बीमा की राशि उठाने के लिए रची 'खुद की हत्या' की साजिश, पुलिस के हत्थे चढ़ा

वहीं, मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का कहना है, कि सभी बातें रिकार्ड में पता चल जाएगा कि उसकी मृत्यू कब हुई. उनका कहना है कि परिजनों को पहले ही बता दिया गया था कि मरीज की हालत बेहद खराब है और बचने की उम्मीद भी बहुत कम है, उसके बाद मरीज को भामाशाह में भर्ती कराया गया था. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि रिकॉर्ड में देखकर मरीज की मृत्यू कब हुई इसका पता चल पाएगा. उनका कहना है कि मरीज की छुट्टी भामाशाह में ही की गई है, वहीं, बाइक छीनने के सवाल पर प्रशासन का कहना है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.

झालावाड़. जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां शहर के एलएन अस्पताल में बालिका का इलाज करवाने आए परिजनों से पहले तो अस्पताल प्रशासन ने भामाशाह कार्ड लेकर उससे पैसे निकलवा लिए और जब भी पैसों की भूख नहीं मिटी तो और ज्यादा पैसों की मांग करने लगे. परिजनों ने आरोप लगाया है कि, जब वे पैसे नहीं दे पाए तो अस्पताल प्रशासन ने डेड बॉडी देने से मना कर दिया. उनका आरोप है कि परिजन डेड बॉडी ले जाने लगे तो अस्पताल मालिक ने उनकी गाड़ी और इलाज की फाइल छीन ली.

झालावाड़ के एक अस्पताल का शर्मनाक चेहरा

जानकारी के अनुसार यह बेहद ही शर्मनाक कृत्य झालावाड़ के एलएन अस्पताल में किया गया है. अस्पताल में कोटा जिले के रामगंज मंडी क्षेत्र का रामकल्याण अपनी बेटी पूजा का इलाज कराने के उद्देश्य से आया था. एलएन अस्पताल में 5 मार्च को पूजा को फेफड़ों में से पानी निकालने के लिए भर्ती किया गया था, लेकिन शाम तक इलाज नहीं होने के कारण उसने करीब 8 बजे दम तोड़ दिया, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने पैसे के लालच में पूजा के मृत शरीर को रात 12 बजे तक भर्ती करके रखा और परिजनों से पैसे निकलवाने के लिए भामाशाह कार्ड भी ले लिया.

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परिजनों का आरोप है कि इस दौरान डॉक्टरों ने उनको बेटी से मिलने नहीं दिया और डांट फटकार कर भगाते रहे. साथ ही कभी जांच और कभी खून की मांग करते रहे. परिजनों का कहना है, कि रात 12 बजे जब परिजनों ने पूजा से जबर्दस्ती मिलने की कोशिश की तो डॉक्टरों ने पूजा को मृत घोषित कर दिया. अस्पताल प्रशासन ने परिजनों से फिर से पैसे की मांग की, जब परिजनों ने और पैसे देने में असमर्थता जताई तो उन्होंने डेड बॉडी देने से मना कर दिया. उनका कहना है, कि जैसे-तैसे परिजन डेड बॉडी लेने में कामयाब हुए तो अस्पताल प्रशासन ने उनकी बाइक छीन कर रख ली और मृत बालिका के इलाज की सारी फाइल भी अपने पास ही रख ली.

ऐसे में परिजन किराए की गाड़ी में मृत पूजा का शरीर घर लेकर गए और अंतिम संस्कार किया. परिजनों का कहना है, कि इसके बाद कई बार परिजन गाड़ी लेने और फाइल लेने अस्पताल में आए, लेकिन उनके साथ बदसलूकी की गई और धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया. ऐसे में परिजन रविवार को फिर बाइक और फाइल लेने आए तो अस्पताल प्रशासन ने अपशब्द कहते हुए उनको वापस लौटा दिया. साथ ही पुलिस में मामला दर्ज करवाने की धमकी दे डाली.

पढ़ें- बीमा की राशि उठाने के लिए रची 'खुद की हत्या' की साजिश, पुलिस के हत्थे चढ़ा

वहीं, मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का कहना है, कि सभी बातें रिकार्ड में पता चल जाएगा कि उसकी मृत्यू कब हुई. उनका कहना है कि परिजनों को पहले ही बता दिया गया था कि मरीज की हालत बेहद खराब है और बचने की उम्मीद भी बहुत कम है, उसके बाद मरीज को भामाशाह में भर्ती कराया गया था. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि रिकॉर्ड में देखकर मरीज की मृत्यू कब हुई इसका पता चल पाएगा. उनका कहना है कि मरीज की छुट्टी भामाशाह में ही की गई है, वहीं, बाइक छीनने के सवाल पर प्रशासन का कहना है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.

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