झालावाड़. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते गड़बड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने लॉकडाउन खत्म करने के साथ ही अनलॉक- 1 की शुरुआत की है, जिसमें लगभग अनेक प्रकार के व्यवसायों से जुड़े हुए लोग काम पर लौटने लगे हैं, जिससे हालात भी अब धीरे-धीरे ठीक होने की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच एक व्यवसाय ऐसा भी है, जिसकी स्थिति अब भी दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है. जी हां, हम बात कर रहे हैं लाइट, साउंड और डीजे के व्यापार से जुड़े हुए लोगों की, जिनकी हालत आज भी खस्ताहाल बनी हुई है.
लॉकडाउन की वजह से बीते 3 महीनों में मांगलिक, सामाजिक, सरकारी और शादियों के कार्यक्रम नहीं हो पा रहे है. ऐसे में लाइट, साउंड और डीजे के व्यापार से जुड़े कर्मचारियों और श्रमिकों की आर्थिक हालत बेहद खराब हो चुकी है और आगे भी हालातों में सुधार होने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है. दरअसल, अन्य व्यवसाय तो कुछ शर्तों के साथ खुल रहे हैं, लेकिन इस व्यवसाय से जुड़े हुए कोई भी कार्यक्रम होने के आसार नहीं दिख रहे है. ऐसे में शादियां भी बहुत कम हो रही है, जिसमें भी सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 50 लोगों के आने की ही पाबंदी है. इतने कम लोगों में कोई भी लाइट, साउंड और डीजे नहीं लगा रहा है, जिसके चलते जिले भर में इस व्यवसाय से जुड़े लोग भूखे मरने को मजबूर हो गए हैं.
इस व्यवसाय से 20 हजार से ज्यादा लोग जुड़े
झालावाड़ जिले में करीबन 20 हजार से भी अधिक लोग लाइट, साउंड और डीजे के व्यापार से जुड़े हुए हैं, जिसमें ऑडियो व वीडियो ऑपरेटर, बिजली मिस्त्री, हेल्पर, वाहन चालक आदि लोग शामिल है. ऐसे में मार्च, अप्रैल, मई और जून के हर महीने में 15 से अधिक सावे होते हैं. इस तरह इन 4 महीनों में 60 से अधिक सावे होते हैं. इसके बाद 4 महीनों का सूतक लग जाता है. ऐसे में इस व्यवसाय से जुड़े लोग मुख्यत: इन्हीं 4 महीनों में सालभर की कमाई करते हैं.
एक शादी में करीब 30 से 40 हजार की कमाई
व्यवसायियों ने बताया कि हर एक शादी के कार्यक्रम में वो करीबन 30 से 40 हजार रुपए की कमाई करते हैं. इन 4 महीनों में झालावाड़ जिले में करीबन 10 हजार शादियां होती है. इसके अलावा अन्य सामाजिक और सरकारी कार्यक्रमों का भी काम मिलता रहता है. लेकिन पूरी तरह से लॉकडाउन के कारण बीते 4 महीनों में बिल्कुल भी कमाई नहीं हो पाई है, जिसके चलते इनके खुद का और इनके परिवार का पालन-पोषण करना भी मुश्किल हो गया है.
8 से 10 महीने के लिए व्यवसाय ठप
व्यापारियों का कहना है कि कोरोना के कारण पूरा व्यवसाय 8 से 10 महीनों के लिए समाप्त हो चुका है. ऐसे में खुद के लिए और श्रमिकों को तनख्वाह, दुकानों व गोदामों का किराया, बिजली के बिल देने में भी असमर्थ हो गए हैं, और तो और जो सामान उन्होंने लोन पर ले रखा था, उसकी भी किस्त चुकाने के लिए बैंको की ओर से दबाव बनाया जा रहा है. सरकार के आदेशों के बावजूद भी प्राइवेट बैंक किस्त चुकाने के लिए दबाव बना रही है.